विवादों से जगन मोहन रेड्डी का पुराना नाता है। आंध्र प्रदेश में नए-नए विवादित प्रयोगों, नाम बदल कर अपने परिवार के नाम पर रखने और अपने हिन्दू विरोधी रुख के कारण अक्सर समाचार में बने रहते हैं। अब एक नए विवाद में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने सोमवार को एक आदेश जारी कर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम के लिए दिए जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम प्रतिभा अवार्ड का नाम बदलकर अपने पिता के नाम पर वाईएसआर विद्या पुरस्कार कर दिया था। लेकिन चारों तरफ से विरोधों के बाद सरकार ने फैसला वापस लेते हुए इस पुरस्कार का नाम दोबारा एपीजे अब्दुल कलाम प्रतिभा पुरस्कार कर दिया है। इसकी पुष्टि खुद मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने की है।
Andhra Pradesh Chief Minister YS Jaganmohan Reddy has ordered to immediately cancel the concerned GO (Government Order). He further ordered to reinstate the name of 'Dr APJ Abdul Kalam Pratibha Puraskar Awards'. https://t.co/JVGCx3eA2L
— ANI (@ANI) November 5, 2019
दरअसल, देशभर में 11 नवंबर को शिक्षा दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर आंध्र प्रदेश में मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर पुरस्कार वितरित किए जाते हैं। इसी अवसर पर आंध्र प्रदेश सरकार एसएससी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभाशाली छात्रों को एपीजे अब्दुल कलाम प्रतिभा अवार्ड देती है। लेकिन इस वर्ष जगनमोहन रेड्डी ने एपीजे अब्दुल कलाम प्रतिभा पुरस्कार का नाम बदलकर वाईएसआर विद्या पुरस्कार कर दिया था। इसके बाद लोगों का गुस्सा फुट पड़ा।
सोशल मीडिया पर #YSRCPInsultsAbdulKalam नाम से ट्रेंड भी शुरू हो गया और जगनमोहन सरकार की आलोचना होने लगी। लोगों ने सोशल मीडिया पर जगनमोहन को जमकर लताड़ा।
Dr. Kalam has accomplished much for the nation with his inspiring life. @ysjagan’s govt changing “APJ Abdul Kalam Pratibha Puraskar” to “YSR Vidya Puraskar” is a shocking method of self-aggrandizement at the cost of disrespecting a much venerated man. #YSRCPInsultsAbdulKalam pic.twitter.com/7lPaZddNZF
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) November 5, 2019
https://twitter.com/VasuChinna1506/status/1191586204761772032?s=20
बीजेपी प्रवक्ता लंका दिनकर ने जगन सरकार के इस फैसले पर सख्त एतराज जताया। उन्होंने कहा, ‘दुख की बात है कि आंध्र प्रदेश सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर दिए जाने वाले अवार्ड का नाम बदल दिया है। राज्य सरकार ने ऐसा कर उनका अपमान किया है। ये गैर-कानूनी है। कलाम के साथ तेलुगु लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं’।
आंध्र प्रदेश में जबसे वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सरकार बनी है तबसे वह सरकारी योजनाओं के नाम बदलने के काम में जुट गए हैं। राज्य में सरकार बनाने के बाद उन्होंने एनटीआर भरोसा का नाम बदलकर वाईएसआर पेंशन, अन्ना कैंटीन को राजन्ना कैंटीन और मध्याह्न भोजन योजना का नाम वाईएसआर अक्षय पात्र कर दिया। जगनमोहन रेड्डी ने राज्य की बागडोर संभालने के बाद एनटी रामा राव (पूर्व मुख्यमंत्री और चंद्रबाबू नायडू के ससुर) के नाम पर चलने वाली कई जनकल्याण योजनाओं के नाम बदलकर उनमें अपने पिता का नाम शामिल कर दिया, लेकिन किसी ने इसका विरोध नहीं किया। हालांकि, जैसे ही उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का नाम एक अवार्ड से हटाकर अपने पिता का नाम रखा तो उनकी चौतरफा आलोचना होने लगी। राज्य में इस पर विवाद खड़ा हो गया। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई।
यही नहीं, पिछले महीने 21 तारीख को जहां अमेरिका के दौरे पर गए जगन मोहन रेड्डी ने एक कार्यक्रम में दीप जलाने से साफ इंकार कर दिया, तो वहीं तिरुमाला में मंदिर दर्शन के लिए जा रहे श्रद्धालुओं को आंध्र प्रदेश के सरकारी परिवहन विभाग द्वारा जो टिकट दी गई थी, उन टिकटों के पीछे हज और यरूशलम जैसे गैर–हिन्दू तीर्थस्थलों से संबन्धित विज्ञापन दिये हुए थे।
मुख्यमंत्री ने इसके अलावा सचिवालय भवन की दीवार से तिरंगा हटाकर अपनी पार्टी के झंडे के रंग का पेंट करवा दिया था। जिसके लिए उन्हें काफी विरोध भी झेलना पड़ा था।
जगनमोहन का इस तरह से APJ अब्दुल कलाम का नाम हटाकर उनका अपमान करना कहीं से भी जायज नहीं है। डॉ. कलाम भारत के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक हैं। वे कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं और न ही वे किसी राजनीतिक संगठन का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह वास्तव में एक राष्ट्रीय व्यक्ति हैं। केवल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुरस्कार का नाम बदलकर, आंध्र प्रदेश के सीएम जगन रेड्डी ने वास्तव में अपने लिए ही गड्ढा खोद रहे हैं। भले ही उन्होंने अपने फैसले को वापस ले लिया है लेकिन आज नहीं तो कल जगनमोहन का यह निर्णय उन्हीं पर भारी पड़ेगा।