कांग्रेस और पाकिस्तान का गठबंधन हमें देश की राजनीति में तो कई मौकों पर देखने को मिलता ही है, लेकिन अब की बार लगता है कि कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के नेतृत्व में यह गठबंधन अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुका है। दरअसल, कांग्रेस ने सैम पित्रोदा के नेतृत्व में दुनियाभर में भारतीय दूतावासों के सामने बदहाल अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, भेदभावपूर्ण राजनीति और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर बड़े स्तर पर सरकार का विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। कांग्रेस के विदेश मामलों के विभाग ओवरसीज कांग्रेस की तरफ से अमेरिका से लेकर यूके और ऑस्ट्रेलिया से लेकर सऊदी अरब तक भारतीय दूतावासों पर कांग्रेस के समर्थक प्रदर्शन करेंगे। यूके और यूएस में भारतीय दूतावासों के सामने अभी कुछ महीनों पहले ही पाकिस्तान और खालिस्तानी समर्थक अतिवादी लोग हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, और आज उसकी जगह कांग्रेस ने ले ली है। विदेशों में भारतीय दूतावास को भारत का प्रतिनिधि माना जाता है, ना कि किसी राजनीतिक पार्टी का। हालांकि, शर्मनाक बात यह है कि कांग्रेस और सैम पित्रोदा ने भारतीय दूतावास को ही भाजपा का मुख्यालय समझ लिया है।
इन प्रदर्शनों को लेकर IOC चेयरमैन सैम पित्रोदा ने अपने एक बयान में कहा,
“दुनिया भर में IOC की यूनिट भारतीय दूतावास/वाणिज्य दूतावासों के बाहर प्रदर्शन करेगी। ये दिल्ली में हो रही ‘भारत बचाओ’ रैली से एकजुटता दिखाने और अपनी ताकत दिखाने के लिए किया जाएगा”।
पिछले कुछ समय में जिस तरह कांग्रेस ने देश विरोधी रुख अपनाया है, वह किसी से छुपा नहीं है। एक तरफ जहां राहुल गांधी का देश को ‘रेप इन इंडिया’ कहकर अपमानित करना हो, या अब दुनियाभर में कांग्रेस द्वारा भारत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना हो, यह सब कांग्रेस के एक सुनियोजित भारत-विरोधी एजेंडे का ही हिस्सा लगता है।
कांग्रेस के इन भारत-विरोधी कदमों से अब भारत में कांग्रेस पार्टी की छवि को जितना नुकसान होगा, उसकी आप कल्पना ही कर सकते हैं। एक तरफ जहां मोदी सरकार पूरे विश्व में घूमकर भारत की छवि को मजबूत करने की दिशा में जी-तोड़ मेहनत कर रही है, तो वहीं कांग्रेस की योजना है कि उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया जाए। हालांकि, लोकतन्त्र में जनता ही भगवान होती है और वह कांग्रेस के इस एजेंडे को भली-भांति देख और समझ रही है। और सिर्फ भारत की जनता ही नहीं, बल्कि विश्व के अलग-अलग कोनों में रहने वाले भारतीय समुदाय के मन में कांग्रेस के विरुद्ध जो छवि बनेगी, उससे भाजपा की कांग्रेस-मुक्त नीति को ही बल मिलेगा।
लोकतन्त्र में असहमति का स्वागत होना चाहिए। हालांकि, जब किसी पार्टी या सरकार का विरोध देश के विरोध में बदल जाये, तो उसकी निंदा की जानी चाहिए। कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह भारत और भाजपा को एक मानती है? क्या सैम पित्रोदा को भारतीय दूतावास में बैठे भारतीय राजदूतों में भाजपा के कार्यकर्ताओं के चेहरे नज़र आते हैं? ये वही पार्टी है जिसके नेता देश के हितों को परे रखते हुए कश्मीर मुद्दे पर लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन के साथ मुलाक़ात करते हैं। इसके बाद देश में राजनीतिक भूचाल आ गया था। ये वही सैम पित्रोदा जो सिख दंगे से लेकर पुलवामा अटैक पर भी अपने विवादित टिप्पणी की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं। इन्हीं बयानों के कारण कांग्रेस को 2019 के आम चुनावों में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था । अब यही सैम पित्रोदा देश के बाहर देश का मजाक बनाने की पूरी कोशिश करने वाले हैं ठीक वैसे ही जैसे उनके पार्टी के हाई कमान राहुल गांधी करते हैं चाहे वो महिलाओं के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाकर या देश को रेप कैपिटल कहकर। भारत बचाओ रैली के नाम पर अपना राजनीति स्वार्थ साधने में अंधी हो चुकी कांग्रेस भारत की छवि धूमिल करने का जो प्रयास आकर रही है वो बेहद शर्मनाक है। अब सैम पित्रोदा ने कांग्रेस को विवादों में घिरवाने का एक और मौका ढूंढ निकाला है, जो कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है।