कल ब्रिटेन में हुए चुनावों के नतीजों से यह स्पष्ट हो चुका है, कि अगले पांच सालों तक बोरिस जॉनसन ही ब्रिटेन की कमान संभालने वाले हैं। उनकी कंजरवेटिव पार्टी को यूके संसद के निचले सदन में अपने दम पर बहुमत हासिल हो गयी है। माना जा रहा है कि अब की बार ब्रिटिश हिन्दू समुदाय ने कंजरवेटिव पार्टी का समर्थन किया है, जिनका यूके की लगभग 40 सीटों से अधिक पर जबरदस्त प्रभाव है। उनकी जीत से अब यह स्पष्ट हो गया है कि आने वाले पांच सालों तक अब यूके में इस्लामिक चरमपंथियों और खालिस्तानियों के हौसले जरूर ठंडे पड़ेंगे।
दरअसल, चुनावों से ठीक पहले बोरिस जॉनसन ने इस बात के संकेत दिये थे कि अगर वे दोबारा सत्ता में आते हैं तो यूके में इस्लामिक चरमपंथियों और खलिस्तानियों को पनपने नहीं दिया जाएगा। चुनावों से पहले जॉनसन ने कहा था ‘उनके देश में किसी भी भारत विरोधी या हिन्दू-विरोधी भावना को पनपने नहीं दिया जाएगा’। साथ ही पीएम जॉनसन ने यह भी कहा था कि वह पूरी तरह भारत के साथ खड़े हैं।
बता दें कि उनकी जीत के बाद अब इस बात की उम्मीद बढ़ गयी है कि ब्रिटेन में इस्लामिक चरमपंथियों के प्रभाव में कोई कमी देखने को मिलेगी। कनाडा के बाद यूके में सबसे ज़्यादा खलिस्तानियों और पाकिस्तानी अतिवादियों को पनाह मिलना शुरू हो गया था। इस वर्ष अगस्त में जब भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया था, तो लंदन में बड़ी संख्या में पाकिस्तानियों ने गुंडागर्दी की थी और भारतीय दूतावास पर हमला बोला था। इसी वर्ष 3 सितंबर को करीब 10 हज़ार लोगों ने लंदन की सड़कों पर प्रदर्शन किया था और हिंसक प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन की आड़ में भारतीय हाई कमीशन पर हमला तक कर डाला था। इन प्रदर्शनों में पाकिस्तानी मूल के लोगों के साथ कुछ खालिस्तानी समर्थक लोग भी शामिल थे। इससे पहले 15 अगस्त के मौके पर भी भारतीय हाई कमीशन के सामने ऐसे ही हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। लंदन जैसे बड़े शहर में फैलते जा रहे अराजकता के इस माहौल को देखकर यह स्पष्ट है कि इस देश का भविष्य अंधकार की ओर अग्रसर है। ऐसे में अब बोरिस जॉनसन की जीत से उम्मीद जगी है कि यूके अब भी अपने आप को संभाल सकता है।
गौरतलब है कि लंदन के मेयर सादिक़ खान की नाक के नीचे लंदन में भारत-विरोधी ताकतों का प्रभाव काफी बढ़ चुका है। लंदन में ऐसे हिंसक प्रदर्शनों को देखकर यह तो स्पष्ट हो गया था कि यूके पूरी तरह एक नेतृत्वहीन देश बन चुका है, जहां पर कानूनी व्यवस्था पूरी तरह लचर पड़ चुकी है। यह प्रदर्शन किसी समान्य जगह पर नहीं, बल्कि ऐसे जगह पर हो रहे थे जहां पर कई देशों के दूतावास मौजूद हैं, जहां आमतौर पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत मानी जाती है। हालांकि, पाकिस्तानी मूल के लंदन के मेयर सादिक़ खान पर पाकिस्तानी परस्ती के आरोप लगते रहते हैं। वे कहने को तो लंदन के लोगों के मेयर हैं, लेकिन वहां बैठकर वे अपना पाकिस्तानी एजेंडा आगे बढ़ाते हैं। इससे भी बड़ी चिंता की बात तो यह है कि यूके के नागरिकों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है और वहां की राजनीति में अभी सिर्फ ब्रेक्जिट का मुद्दा ही हावी है। हालांकि, बोरिस जॉनसन की जीत के बाद अब यूके की इस स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।