हाल ही में हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ रेप और जिंदा जलाकर मारने के मामले में पकड़े गए चारों आरोपियों को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया है। रेप और हत्या के इस मामले से देश भर में लोग आक्रोशित थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिमांड के दौरान पुलिस क्राइम सीन रिक्रिएट कराने के लिए सभी आरोपियों को गुरुवार देर रात घटनास्थल पर ले गई थी। पुलिस पूरे घटना को आरोपियों की नजर से समझना चाह रही थी। कहा जा रहा है कि इसी दौरान इन चारों ने पुलिस की गिरफ्त से भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस को मजबूरन एनकाउंटर करना पड़ा।
हर मामले की तरह इस मामले में भी लिबरल और मानवाधिकार ब्रिगेड तुरंत एक्टिव हो गए हैं। कई पत्रकार और बुद्धिजीवी घटना की खबर सुनकर ही अपनी छाती पीटने लगे हैं और यह विलाप करने लगे कि यह गलत हुआ है। इन सभी लिबरलों का मानना है कि इसमें हैदराबाद की पुलिस ने गलत किया और उसने कानून तोड़ा। आश्चर्यजनक बात यह है कि ये वही लोग हैं जो हैवानियत भरा रेप होने पर भी छाती पीटते हैं और मोमबत्ती लेकर मार्च निकालते हैं। लेकिन जब इन रेपिस्टों को पुलिस इनके जुर्म के अनुसार ही एनकाउंटर कर देती है तो इन्हें वे लोग सामान्य मानव नजर आने लगते हैं और इस पर वे कैसे हाहाकार मचा रहे हैं यह देखने लायक है।
इन लिबरलों में सबसे पहले हैं फाये डीसूजा। ईसाई धर्म परिवर्तन पर चुप रहने वाली और हिन्दू त्योहारों पर ज्ञान देने वाली फाये ने ट्वीट किया है, “यह न्याय नहीं है। पुलिस कानून तोड़ रही है। यह खतरनाक है। देश में लीगल सिस्टम किसी वजह से ही बनाया गया है।”
https://twitter.com/fayedsouza/status/1202783418557140993?s=20
वहीं लिबरलों के चहते पत्रकार राजदीप सरदेसाई को तो existential crisis महसूस होने लगा। उन्होंने लिखा, “ये कैसी दुनिया में रह रहे है हमलोग।”
BIG BREAKING: all four Hyderabad rape and murder accused shot dead in ‘encounter’ with cops! What kind of bizarre world are we living in: fast track trigger happy justice no substitute for fast track courts. https://t.co/s8DH9a488D
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 6, 2019
वहीं 26/11 के आतंकियों की मदद करने वाली बरखा दत्त ने कई ट्वीट कर लिखा- हैदराबाद एनकाउंटर के बाद आ रहा Response बिखरी हुई भारतीय न्यायपालिका के कारण है। बड़े ही बखूबी तरीके से इन्होंने अपनी भाषा से अपने रोष को छिपा लिया है।
The hyderabad shootout and the responses to it in the rape and murder of the young veterenarian brings home the utter lack of belief most Indians feel in a broken justice system.
— barkha dutt (@BDUTT) December 6, 2019
संजुक्ता बासु ने ट्वीट किया कि “गांधी का भारत जिसने विश्व को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया, आज वही देश खून का प्यासा हो चुका है और यह बदला मांग रहा है।” उन्होंने आगे लिखा, हमें शर्म आनी चाहिए।
Gandhi's India, the nation which gave the world truth and non violence is now officially a nation of blood thirsty revenge seeking mob. How can we do this to our beloved nation? We should be so ashamed. #Encounter #DishaCase #HyderabadHorror #hyderabadpolice
— Dr. Sanjukta Basu, M.A., LLB., PhD (@sanjukta) December 6, 2019
NDTV की लिबरल पत्रकार निधि राज़दान लिखती हैं- आश्चर्यजनक, पुलिस एनकाउंटर को इस तरह Normalised नहीं किया जा सकता है। हमारे पास इसके लिए अदालतें और एक कानूनी प्रणाली है।
Astonishing. Police encounters cannot be normalised like this. We have courts and a legal system for a reason. https://t.co/J8s7EZwQwH
— Nidhi Razdan (@Nidhi) December 6, 2019
लिबरलों की रानी राणा आयुब इस मौके को कैसे छोड़ सकती थीं। उन्होंने लिखा कि, “हम एक देश के रूप में क्या बन चुके हैं, जब न्याय के नाम पर न्यायिक प्रक्रिया के इतर एंकाउंटर का जश्न माना रहे हैं। यह केवल लिंच मॉब्स को बढ़ावा देगा, जिन्हें पहले ही इस देश में फ्री हैंड दिया जा चुका है।”
What have we become as a country when we are celebrating brazen extra judicial murders by the state in the name of justice? This will only embolden the lynch mobs who have already been given a free hand in this country.
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) December 6, 2019
‘द वायर’ की कट्टर वामपंथी पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने भी इस मौके पर हाथ साफ करते हुए कहा कि- ‘’इस Barbaric Encounter का जश्न मत मनाइए। पुलिस का कानून का अपने हाथ में लेना और Accused को मारना न्याय नहीं है।‘’
Don’t cheer the barbaric encounter!Police taking law into their hands and killing the accused is not ‘justice’.
No one knows if the arrested people were actual rapists.Any punishment shall be executed only after the due process of law.
This will further brutalise our society.— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) December 6, 2019
यह तो इनका रोज़ का ही काम है लेकिन पुलिस पर लांछन लगाना ठीक नहीं है। ये वही लोग हैं जो न्याय के नाम पर एक आतंकवादी के लिए भी पेटीशन पर पेटीशन डाल कर रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को आधी रात को खुलवा सकते हैं। ये वही लोग हैं जो रेप के बाद कैन्डल मार्च भी निकालते हैं, लेकिन जब उसी रेपिस्ट को पुलिस एनकाउंटर में मार देती है तो वह इनके लिए शहीद हो जाता है। इनका कोई भी एक स्टैंड नहीं होता और ये पुलिस को बदनाम करने के लिए कुछ भी कर सकते है।