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महाराष्ट्र का मंत्रिमंडल, ये मंत्रिमंडल है या परिवार का कुनबा!

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
31 December 2019
in मत
उद्धव ठाकरे

PC: Punjab Kesari

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महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम आने के एक महीने बाद आखिरकार उद्धव ठाकरे ने अपने केबिनेट का विस्तार किया है। इस केबिनेट विस्तार की जो सबसे खास बात है वह है वंशवाद की राजनीति।

लोकसभा चुनावों में जबर्दस्त हार के बाद भी, कांग्रेस गांधी परिवार से नहीं उबर पाई है। वहीं 79 वर्षीय शरद पवार ने पहले ही अपने भतीजे अजीत पवार और बेटी सुप्रिया सुले को राजनीति में बैठा दिया है और अब तीसरी पीढ़ी को भी 2019 ले लोक सभा चुनाव में लॉंच कर चुके हैं। यही नहीं उद्धव ठाकरे भी स्वर्गीय बाल ठाकरे के पुत्र अहीन और अपने बेटे अदित्य ठाकरे को मंत्री पद सौप चुके हैं।

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इसलिय यह आश्चर्य की बात नहीं है कि महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में 19 मंत्री हैं किसी न किसी रजीनीतिक परिवार से संबंध रखते है।

उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्रिमंडल को 43 पदों तक विस्तार किया जो कि इसकी अधिकतम सीमा है। 288 सीटों वाली विधान सभा का यह लगभग 15 प्रतिशत है। उद्धव की कैबिनेट की महत्वपूर्ण बात है कि कि उनके बेटे आदित्य भी कैबिनेट में हैं, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार भतीजे अजीत पवार भी कैबिनेट में हैं, एनसीपी अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल के भतीजे भी कैबिनेट में हैं, इसके साथ ही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण और दिवंगत विलासराव देशमुख के बेटे भी इस कैबिनेट में शामिल हैं।

इस प्रकार महाराष्ट्र की राजनीति को एक पारिवारिक मामला बना दिया गया है।

हालांकि यह तो शाश्वत सत्य है कि जब भी बात वंशवाद की होती है तब कांग्रेस को कोई नहीं हारा सकता। इस बार भी उसी का अनुसरण करते हुए कांग्रेस ने अपने कोटे के 12 पदों में से 8 पर किसी न किसी वंशवादी को ही बैठाया है। शिवसेना, NCP और कांग्रेस की गठबंधन में शिवसेना को मुख्यमंत्री के साथ 15, पद, एनसीपी को 16 और कांग्रेस को 12 पद मिले थे।

NCP ने अपने कोटे में उपमुख्यमंत्री से साथ सात पदों पर वंशवादी नेता को ही जगह दिया है वहीं शिव सेना ने 3 पदों पर। भाजपा के साथ सरकार में शिवसेना के लगभग 8 वंशवादी नेता सरकार में थे। इनमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जिनके पिता गंगाधर फड़नवीस भाजपा एमएलसी थे, और पंकजा मुंडे भी शामिल थी जिनके पिता स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे भाजपा के वरिष्ठ नेता थे।

उद्धव ठाकरे के इस केबिनेट में उनके स्वयं पिता-पुत्र की जोड़ी के अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण, जिन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में भी शपथ ली, पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शंकरराव चव्हाण के बेटे हैं। अशोक चव्हाण 2008 से 2010 तक तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी राज्य सरकार के मुख्यमंत्री भी रहे। इसके अलावा, राकांपा विधायक अदिति तटकरे, जिन्होंने ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में शपथ ली, वह राकांपा के रायगढ़ लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे की बेटी हैं, जो पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार में सिंचाई और वित्त मंत्री थे। कांग्रेस नेता अमित देशमुख ने भी सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाया। लातूर शहर से तीन बार के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलासराव देशमुख के बेटे हैं। एक अन्य कांग्रेस नेता विश्वजीत कदम, जिन्होंने Mos के रूप में शपथ ली, पार्टी के नेता स्वर्गीय पतंगराव कदम के पुत्र हैं। इसके अलावा, क्रांतिकारी शतकरी पक्ष नेता शंकरराव गडाख, जिन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया था, एनसीपी के पूर्व नेता यशवंतराव गडाख के बेटे हैं।

बता दें कि आदित्य ठाकरे, जो वर्ली से पहली बार विधायक चुने गए हैं, उन्हें चुनाव में शिवसेना के सीएम चेहरे के रूप में पेश किया गया था, लेकिन महागठबंधन में से कोई भी दल उन्हें मुख्यमंत्री बनने के नहीं था इच्छुक था।  इस वजह से उद्धव मुख्यमंत्री बन गए। आदित्य ठाकरे की एक कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने पदभार संभालने से पहले उद्धव उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने की पूरी कोशिश करते रहे थे। अब कैबिनेट में उनका प्रवेश इस तथ्य को दर्शाता है कि महाराष्ट्र की यह महा विकास अगाढ़ी गठबंधन पूरी तरह से वंशवाद को प्रमोट करेगा। यह गठबंधन राज्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय वंशवादियों के राजनीतिक करियर बनाने में लगी रहेगी।

हालांकि शिवसेना के सत्ता में बैठने में अहम भूमिका निभाने वाले नेता संजय राउत को मायूसी ही मिली है। संजय राउत के भाई सुनील राउत, जो कि विक्रोली से विधायक हैं, उन्हें अंतिम समय में केबिनेट से हटा दिया क्योंकि उद्धव ने अंत समय में आदित्य को शामिल किया। स्वाभाविक रूप से, सुनील राउत शिवसेना के गुस्सा है और इस्तीफा देने की धमकी दे चुके हैं। संजय राउत भी शपथ ग्रहण समारोह से अनुपस्थित थे।

वंशवादी केबिनेट होने के बावजूद कई नेता छूट ही गए थे जिससे इस ‘महा विकास आघाडी गठजोड़’ में दरार आ चूकी है। हालांकि इस गठबंधन का भी टूटना तय है, क्योंकि गठबंधन के सभी सदस्य अपने परिवारों के हितों की पूर्ति के लिए करने के लिए ही केबिनेट में भेजे गए है और उनके हित न सधने पर वे टूट कर अलग भी हो सकते है। बस सवाल यह है कि “कब टूटेगा यह गठबंधन।”

Tags: उद्धव ठाकरेमहाराष्ट्र
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22 October 2025

गोरखपुर के पावन मंच से जब योगी आदित्यनाथ ने यह कहा कि राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को सबसे बड़ा झटका दिया है, तो यह...

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