सीएए पर उमड़ रहे विरोध प्रदर्शनों की आड़ में काँग्रेस पार्टी अपने पुनरुत्थान के भरसक प्रयास कर रही है। चाहे जामिया मिलिया पर हुई पुलिस की कार्रवाई का विरोध करना हो, या फिर हिंसक प्रदर्शनकारियों का बचाव करना हो, काँग्रेस किसी मोर्चे पर पीछे नहीं है। इस भ्रामक अभियान की अगुवाई कर रही हैं काँग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, जिनकी लाख असफलताओं के बाद भी राहुल गांधी की भांति काँग्रेस उन्हें एक बार फिर लॉंच करती दिखाई दे रही है।
हाल ही में सीएए के विरुद्ध किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों में प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाला हुआ है। चाहे इंडिया गेट के सामने धरना देना हो, या फिर भारत बचाओ रैली में राजीव गांधी और इन्दिरा गांधी के नाम पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करना हो, या फिर बिजनौर में मृत दंगाइयों के परिवारों से ही मिलना क्यों न हो। उन्होंने केंद्र सरकार को निशाने पर लेने का हरसंभव प्रयास किया है, और वे इसके लिए बेशर्मी से झूठ बोलने में भी नहीं हिचकिचा रही हैं।
दरअसल, कल यानि 28 दिसंबर को लखनऊ में पार्टी कार्यालय के दौरे से पहले प्रियंका गांधी पूर्व आईपीएस अफसर दारापुरी के परिवारजनों से मिलने जा रही थीं, जिन्हें सीएए का विरोध करने के लिए कथित रूप से हिरासत में लिया गया था। उनके अनुसार, “मैं आईपीएस अफसर दारापुरी के परिवारवालों से मिलने जा रही थी। परंतु पुलिस वालों ने मुझे न केवल रोका, अपितु मेरे साथ धक्का मुक्की भी की और मेरा गला दबाने की भी कोशिश की। मुझे पैदल चलकर जाना पड़ा” –
#WATCH: Congress' Priyanka Gandhi Vadra says,"UP police stopped me while I was going to meet family of Darapuri ji. A policewoman strangulated&manhandled me. They surrounded me while I was going on a party worker's two-wheeler,after which I walked to reach there." pic.twitter.com/hKNx0dw67k
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 28, 2019
फिर क्या था, काँग्रेस के चाटुकारों ने आसमान सर पे उठाते हुए यूपी सरकार को भला बुरा सुनाना शुरू कर दिया। काँग्रेस प्रवक्ता सुष्मिता देव ने तो यहाँ तक कह दिया की राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए –
Sushmita Dev, Congress: We condemn the physical violence on protesters and manhandling of Priyanka Gandhi Ji. This government should be dismissed and there should be President's rule in the state. https://t.co/lpZK5amxIb pic.twitter.com/WHwUwta5nq
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 28, 2019
परंतु सोशल मीडिया पर यह झूठ ज़्यादा देर टिक नहीं पाया। लखनऊ की सर्कल ऑफिसर अर्चना सिंह, जो उस समय घटनास्थल पर उपस्थित थीं, प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा फैलाये गए झूठ को उजागर करने के लिए न केवल सामने आई, अपितु उन्होंने कांग्रेस नेता को सफ़ेद झूठ बोलने के लिए आड़े हाथों लिया। अर्चना के अनुसार, “ये सरासर झूठ है। मैं तो उनके काफिले के सुरक्षा की इंचार्ज थी। उनसे किसी ने भी हाथापाई नहीं की। उल्टे मेरे साथ बदतमीजी की गयी”।
अर्चना सिंह के समर्थन में लखनऊ पुलिस सहित पूरा सोशल मीडिया सामने आया। लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नाइथिनी ने बताया, “आज सुबह मॉर्निंग एरिया इंचार्ज डॉ॰ अर्चना सिंह ने एडिशनल सुपरिंटेंडेंट को रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने बताया की प्रियंका गांधी वाड्रा की गाड़ी आधिकारिक रूट पे न जाकर अलग रूट ले रही थी। जब उन्होंने टोका, तो उनके ग्रुप के साथ बदतमीजी की गयी, और सोशल मीडिया पर जो प्रियंका गांधी के साथ बदतमीजी और गला दबाने की अफवाहें फैलाई जा रही है, वो सरासर झूठ हैं” –
Kalanidhi Naithini, Lucknow SSP: Singh has also written that whatever rumours are doing rounds on social media of heckling and strangulating Priyanka Gandhi Vadra are wrong. https://t.co/5IsyHvTWdJ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 28, 2019
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी फुटेज में पता चला की प्रियंका गांधी न केवल अनाधिकारिक रूट पर जा रही थी, अपितु वे यातायात नियमों का भी उल्लंघन कर रही थी। जिस दुपहिया वाहन पे वे सवार थी, न तो उसके चालक और न उन्होने खुद कोई हेलमेट पहना हुआ था। सूत्रों से यह भी पता चला कि डॉ॰ अर्चना सिंह अपने भाई की मृत्यु के बावजूद प्रियंका गांधी वाड्रा के सुरक्षा के लिए तैनात खड़ी थी। इस पर सोशल मीडिया ने जमकर प्रियंका गांधी को लताड़ा और यूपी पुलिस ज़िंदाबाद और आई स्टैंड विथ अर्चना सिंह ट्विटर पर जल्द ही ट्रेंड होने लगा।
अर्चना सिंह मेरी बहन है।कल हमारे एक भाई की मृत्य हो गई,इसके बाबजूद उन्होंने देश के प्रति जिम्मेदारी को सर्वोपरि रखा और प्रियंका वाड्रा की सुरक्षा में लगी थीं। पर गांधी परिवार की गंदी राजनीति के लिए इनके ऊपर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।#IStandWithArchanaSingh pic.twitter.com/5hAjllLScA
— Nishant Azad/निशांत आज़ाद🇮🇳 (@azad_nishant) December 29, 2019
लगता है काँग्रेस ने राहुल गांधी के उदाहरण से कोई सीख नहीं ली है। निरंतर चुनावी अभियान में असफल होने के बाद भी काँग्रेस का विश्वास राहुल गांधी में बना हुआ है। अभी भी अफवाहें चल रही है कि राहुल गांधी को दोबारा काँग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसी भांति प्रियंका गांधी वाड्रा को भी काँग्रेस के नेता बड़ा चेहरा बनाने के लिए प्रयासरत हैं, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण सीएए के विरोध में उनकी सक्रियता के रूप में देखा जा सकता है।
परंतु प्रियंका गांधी वाड्रा वास्तव में कितनी परिपक्व और सफल रही हैं, इसका प्रमाण हमें लोकसभा चुनावों में ही देखने को मिला था। प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनावों के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश का जनरल सेक्रेटरी बनाया था, और उन्होंने 31 सीटों पर पार्टी के लिए प्रचार प्रसार किया। परंतु उन सीटों में से केवल 1 ही सीट पर काँग्रेस जीत पायी, क्योंकि प्रियंका वाड्रा ये भूल गयी थी कि पूर्वी उत्तर प्रदेश या पूर्वाञ्चल योगी आदित्यनाथ का गढ़ है, जहां भाजपा को हरा पाना इतना आसान काम नहीं है।
इसके अलावा ये पहली बार नहीं है जब प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी छवि बेहतर करने के लिए झूठी खबरों और आपत्तिजनक अभियानों का सहारा लिया हो। प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा चुनावों के दौरान कुछ बच्चों से पीएम मोदी के लिए अपशब्द भी बुलवाए थे, जिसके लिए उन्हे सोशल मीडिया पर चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा –
https://twitter.com/shubh19822/status/1123219499921039361
इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी क्षेत्र में हुए एक आपसी झड़प को जातिवादी रंग देने का प्रयास किया, और पोस्ट किया था, “उप्र में दबंगों ने गवाही देने के लिए भयावह तरीके से दलित भाइयों की पिटाई कर दी। भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है। हर रोज दलित-आदिवासियों पर दबंग-अपराधी खुलेआम हमले कर रहे हैं। कानून-व्यवस्था का ये हाल और दलित आदिवासियों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा” –
उप्र में दबंगों ने गवाही देने के लिए भयावह तरीके से दलित भाइयों की पिटाई कर दी।
भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है। हर रोज दलित-आदिवासियों पर दबंग-अपराधी खुलेआम हमले कर रहे हैं।
कानून-व्यवस्था का ये हाल और दलित आदिवासियों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। https://t.co/C9YcIvHKrj
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 6, 2019
हालांकि पुलिस जांच में पता चला कि यह झड़प एक जाति के दो गुटों में हुई थी, जिसके लिए मैनपुरी पुलिस ने प्रियंका गांधी को आड़े हाथों लिया। उन्होने ट्वीट करते हुए कहा, “उक्त खबर का खण्डन किया जाता है। झगड़ा राजपूत परिवारों में हुआ था। जिसमें अभियोग पंजीकृत कर विधिक कार्यवाही की जा रही है।
सच कहें तो प्रियंका गांधी वाड्रा अभी भी उस युग में जी रही हैं, जहां गांधी परिवार की हर मांग को सर आँखों पर रखा जाता था। जब से मोदी सरकार ने नेहरू गांधी परिवार जैसे वंशवादी गुटों को दिये जा रहे वीवीआईपी ट्रीटमेंट पर कार्रवाई की है, तब से प्रियंका गांधी जैसे लोग बौखलाए हुए हैं और लाईमलाइट में बने रहने के लिए हर प्रकार के प्रोपगैंडा का सहारा ले रहे हैं। परंतु अब उनकी दादागिरी बिलकुल नहीं चलने वाली।