उत्तर प्रदेश में एक अभूतपूर्व खोज में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने विशाल स्वर्ण भंडार खोज निकाला है। यह खदान सोनभद्र जिले में दो जगह पाये गए हैं – एक खदान 2700 टन सोना के साथ सोनपहाड़ी पर मिला है और 650 टन से ज़्यादा की सोने की खदान हरदी में मिला है।
जिला के खनन अधिकारी केके राय के अनुसार राजकीय खनन विभाग ने सात सदस्यीय टीम का गठन किया है, जो उक्त जिले का दौरा करेगी, जिससे खदान से संबंधित इलाकों की मैपिंग और जियो टैगिंग की जा सके। इस खोज की सबसे सकारात्मक बात यह है कि यह पहाड़ी पर स्थित है, जिससे खनन में कम से कम समस्या आएगी।
सूत्रों की माने तो योगी सरकार इन खनन ऑपरेशन को जल्द ही लीज़ पर देने वाली है, और मुआवजा और आवश्यक क्लियरेंस की व्यवस्था होते ही नीलामी भी होगी। इतना ही नहीं, स्वर्ण धन के अलावा इस जिले से कई अन्य बहुमूल्य खनिज पदार्थ भी निकलने हैं। आशा की जा रही है कि यूरेनियम जैसे दुर्लभ पदार्थ है।
उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में आने वाले जिले स्वर्ण धन, हीरा, प्लेटिनम, लाईमस्टोन, ग्रेनाइट, क्वार्ट्ज़ जैसे बहुमूल्य पदार्थों से सम्पन्न है। ऐसे में सोने की इन खदानों की खोज केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का भाग्य बदल सकता है। राज्य को भयंकर राजस्व मिलने के साथ ही युवाओं को रोजगार के असंख्य अवसर भी मिलेंगे।
इतना ही नहीं, इस खोज से उत्तर प्रदेश के 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के सपनों को भी उड़ान मिलेगी। राज्य की वर्तमान जीएसडीपी [Gross State Domestic Product] 15.42 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में इसे 1 ट्रिलियन डॉलर का मार्क प्राप्त करने हेतु 70 लाख करोड़ की जीएसडीपी चाहिए। चूंकि इस खदान से लगभग 12.7 लाख करोड़ की कमाई हो सकती है, इसलिए उत्तर प्रदेश की जीएसडीपी में ज़बरदस्त उछाल आने की पूरी पूरी संभावना है। इसके अलावा इन खदानों से जुड़ी अन्य आर्थिक गतिविधियों से भी राज्य के विकास में वृद्धि होगी।
बात यहीं पर नहीं रुकती। इन स्वर्ण खदानों की खोज से भारत के कुल स्वर्ण भंडार में भी वृद्धि होने की पूर्ण संभावना है। विश्व गोल्ड काउंसिल के अनुसार , भारत का वर्तमान स्वर्ण भंडार 626 टन है। ऐसे में 3350 टन स्वर्ण तो भारत के कुल स्वर्ण भंडार से 5 गुना ज़्यादा है, जिससे भारत का कद और अर्थव्यवस्था दोनों में इजाफा होगा।
बता दें कि विश्व भर में 8133.5 टन के साथ अमेरिका के पास सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार है, जिसके बाद जर्मनी और आईएमएफ़ का नंबर है। ऐसे में इस स्वर्ण भंडार के खोज से भारत का कुल स्वर्ण भंडार 4000 टन के मार्क तक पहुँच सकता है, जिससे वो जर्मनी और आईएमएफ़ को भी पीछे छोड़ सकता है।
परंतु किसी खोज के साथ उसकी अपनी चुनौतियां भी आती है। ये खोज सोनभद्र में हुई है, जो आर्थिक रूप से उत्तर प्रदेश और संभवत: भारत के सबसे पिछड़े जिलों में से एक हैं। इतना ही नहीं, सोनभद्र मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ से भी सटा हुआ है, और इसी कारण से इस जिले को भी नक्सलवाद के प्रकोप का सामना करना पड़ता है।
पिछले ही वर्ष फरवरी सोनभद्र में एक नक्सली के घर से हथियारों की एक बहुत बड़ी खेप बरामद हुई थी। सोनभद्र से ही सटे बलरामपुर जिला, जो छत्तीसगढ़ राज्य का हिस्सा है, आए दिन नक्सली हिंसा का शिकार होता है। पिछले वर्ष लोकसभा में वोटिंग के दौरान माओवादियों ने ही यहां आईईडी ब्लास्ट करने का प्रयास किया। यह और बात है कि दैवीय प्रकोप [आकाशीय बिजली] से वो आईईडी किसी निर्दोष की जान लीलने से पहले ही फट गया। इसी प्रकार से सोनभद्र से सटा झारखंड का गढ़वा जिला भी नक्सली हिंसा से प्रभावित रहा है। 2013 में इसे देश के उन 26 हिस्सों में गिना गया है, जो नक्सल हिंसा से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं।
ऐसे में स्वर्ण भंडार के खोज से जहां सोनभद्र किसी स्वर्णिम अवसर से कम नहीं है, तो वहीं नक्सलवादी इलाकों से सटे होने के कारण ये सुरक्षा एजेंसियों के लिए किसी कठिन चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में सरकार के साथ साथ यूपी पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षाबलों को भी मुस्तैद रहना पड़ेगा, ताकि नक्सलवादी इस अवसर में बाधा न बने।