दुनिया के किसी भी कोने में कोई व्यक्ति चाहे कितना भी ताकतवर क्यों न हो, अब भारत को कश्मीर के मुद्दे पर दबाव बना कर नहीं झुका सकता है। भारत की नीति अब स्पष्ट है अगर कश्मीर की बात होगी तो पाक अधिकृत कश्मीर की होगी अन्यथा कोई बात नहीं होगी। मध्यस्थता तो दूर दूर तक संभव नहीं है।
इसी का नमूना हमें रविवार को देखने को मिला जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष की मध्यस्थता वाले बयान को सिरे से नकार दिया और कहा कि अगर कश्मीर पर बात होगी तो सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर होगी जिसे पाक ने अवैध तरीके से अपने कब्जे में रखा है।
दरअसल, पाकिस्तान के दौरे पर आए संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि अगर दोनों देश सहमत हों तो वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। उनकी इस टिप्पणी के बाद भारत ने रविवार को स्पष्ट कहा कि कश्मीर मामले में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता मंजूर नहीं है और न ही भारत के पक्ष में कोई बदलाव आएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारत की स्थिति बदली नहीं है। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा। जिस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है, वह पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से और जबरन कब्जा किए गए क्षेत्र का समाधान करना। इसके आगे अगर कोई मसला है तो उस पर द्विपक्षीय चर्चा होगी। किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता मंजूर नहीं है”।
Raveesh Kumar, MEA on comments made by Secretary-General of United Nations (UNSG) in Islamabad: Further issues, if any, would be discussed bilaterally. There is no role or scope for third party mediation. https://t.co/h4zRauRdeb
— ANI (@ANI) February 16, 2020
बता दें कि अपने पाकिस्तान दौरे पर यूएन महासचिव ने इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, ”हमने दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू कराने के लिए प्रस्ताव रखा है लेकिन यह तभी संभव होगा जब दोनों देश तैयार होंगे। शांति और स्थिरता केवल बातचीत के ज़रिए ही आ सकती है। दोनों देशों को इस मामले में संयम बरतने की ज़रूरत है। यूएन चार्टर और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों ते तहत राजनयिक संवाद के ज़रिए ही शांति और स्थिरता तक पहुंचा जा सकता है। हम इस मामले में पहल करने के लिए तैयार हैं लेकिन दोनों देशों को इसके लिए सहमत होना होगा”।
पर भारत ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में एंटोनियो गुटेरेस को जवाब दे दिया है और यह बता दिया है भारत को किसी भी तरह की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। इससे कुछ दिन पहले भी एक अमेरकी सीनेटर ने कश्मीर पर भारत को ज्ञान देने की कोशिश की थी लेकिन उस दौरान भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने करारा जवाब देते हुए कहा था कि “चिंता मत कीजिए। एक लोकतान्त्रिक देश है, जो इसे सुलझा लेगा और आप जानते हैं कि वह देश कौन सा है?”,
वहीं जब अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने कश्मीर में मध्यस्थता की बात की थी तब भी भारत ने ऐसे ही जवाब दिया था। उस दौरान बैंकॉक में आयोजित आसियान समिट के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से मुलाकात कर सीधे स्पष्ट शब्दों में उनसे कहा था कि ‘भारत-पाकिस्तान के सभी मुद्दे द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाए जायेंगे। हमें किसी तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं है।’
जब भारत ट्रम्प को इस तरह से जवाब दे सकता है तो संयुक्त राष्ट्र के पास तो बन नाम की शक्ति है। अब भारत के विदेश नीति को देख कर यह स्पष्ट हो गया है कि भारत ने वापस जवाब देना सीख लिया है। यह नया भारत है। जवाबी कार्रवाई करना भी जानता है और कूटनीतिक जवाब देना भी जानता है।