प्रोपेगैंडावादी हरजीत सिंह भट्टी तो याद है ना? अरे वही, जेएनयू कांड वाले। दरअसल, जनाब एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं, और इस बार भी, गलत कारणों से। इस बार जनाब अफवाह फैला रहे थे कि देश में डॉक्टर्स के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की बहुत भारी कमी है, और कोई सुनने वाला नहीं है।
डॉक्टर भट्टी का दावा है कि भारत में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की बहुत बड़ी कमी है, और अस्पताल के पास पर्याप्त सामग्री नहीं है।
I received calls from Assam Medical College that they have PPEs this was tested as what can be used if shortage occurs in case of huge load of patients. pic.twitter.com/scqEQFgNqm
— Harjit Singh Bhatti (@DrHarjitBhatti) March 23, 2020
पर ठहरिए, ये तो स्पष्टीकरण था। इससे पहले इन्होंने एक बेहद आपत्तिजनक ट्वीट डालते हुए कहा-
“बहुत ही दयनीय हालात है। असम में स्वास्थ्य कर्मियों को प्लास्टिक के थैली पहनने पड़ रहे हैं। क्या ताली बजाने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी इन कर्मियों को इक्विपमेंट दिलवा सकते हैं।”
अब बता दें कि हरजीत भट्टी एम्स के पूर्व डॉक्टर रह चुके हैं, और इसके साथ ही वे यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी रह चुके हैं। यहां स्पष्ट पता चल रहा है कि उन्हें पीएम मोदी के जनता कर्फ्यू में स्वास्थ्य कर्मियों और सैनिकों के लिए आभार प्रकट करने से बहुत चिढ़ मच रही है।
परन्तु हरजीत की पोल खोलते हुए असम भाजपा के कद्दावर नेता और राज्य के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सर्मा ट्वीट करते हैं-
“यह ट्वीट बेबुनियाद है और इसे एक विशेष उद्देश्य से किया गया है। हमारे पास स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त मात्रा में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट हैं। पुलिस को हर स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है”।–
This tweet is highly motivated and some one must be doing purposefully. We have supplied good number of PPE kits in last 3 days. Police has been asked to register an FIR and investigate . I have personally in touch with hospital authorities https://t.co/c0xVRN5Y2G
— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) March 23, 2020
इसके अलावा द इंडियन एक्सप्रेस के एक पत्रकार ने हिमंता के विचारों की पुष्टि करते हुए हरजीत के दावों को खोखला सिद्ध किया।
Top district official of Dibrugarh tells me this is fake. @IndianExpress https://t.co/DieoBUWG8c
— Abhishek Saha (@saha_abhi1990) March 23, 2020
हरजीत भट्टी के खोखले दावों को विनोद कापड़ी, रोहिणी सिंह और विजेता सिंह जैसे लोगों ने रीट्वीट किया, परन्तु उसका ट्वीट फेक सिद्ध होते ही विजेता को छोड़कर सबने अपने-अपने ट्वीट डिलीट कर दिए।
सिर्फ ताली से काम नहीं चलेगा! This is unacceptable. #covid19 https://t.co/bGEfqvrxxP
— Vijaita Singh (@vijaita) March 23, 2020
परन्तु हरजीत भट्टी का यह पहला कारनामा नहीं है। जनवरी में जब जेएनयू में दो गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प हुई, तो हरजीत भट्टी एम्स का प्रतिनिधित्व करते हुए यह दावा कर रहे थे कि एबीवीपी के छात्रों ने हमला किया था, जिसके कारण वामपंथी छात्रों को गंभीर चोटें आई थीं। इतना ही नहीं, महोदय यह भी दावा किए कि एबीवीपी के छात्रों ने अपनी चोटों को ज़्यादा बढ़ा-चढ़ा के पेश किया है, और इस थ्योरी को बरखा दत्त जैसे पत्रकार ने खूब बढ़ावा भी दिया। परन्तु बाद में पता चला कि हरजीत भट्टी एम्स में प्रैक्टिसिंग डॉक्टर तो थे ही नहीं।
https://twitter.com/Iyervval/status/1214190688125849601?s=19
ऐसे डॉक्टर के झूठे दलीलों को मीडिया जिस तरह बढ़ावा दे रही है, उसकी जितनी निंदा की जाए, कम है। परन्तु हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इनका उद्देश्य एक ही है – एजेंडा ऊंचा रहे हमारा।