विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज दिल्ली में ग्लोबल बिजनेस समिट में बोलते हुए CAA विरोधी गैंग को आड़े हाथों लिया। उन्होंने ना सिर्फ दुनियाभर के CAA के आलोचकों को आईना दिखाने का काम किया बल्कि यूएन की मानवाधिकार संस्था UNHCR को भी खरी-खरी सुनाई। एक लाइन के जवाब में जयशंकर ने CAA विरोधी गैंग को चुप करा दिया। जयशंकर ने सवाल पूछा कि आप एक देश का नाम बता दें जो अपने देश में सबका स्वागत करता हो। जयशंकर का इशारा प्रवासी संबन्धित नियमों की ओर था। हर देश के पास यह तय करने का अधिकार होता है कि वह किसे अपने देश में घुसने देना चाहता है और किसे नहीं।
जयशंकर ने कहा “हमने CAA के माध्यम से स्टेटलेस लोगों को नागरिकता देने का काम किया है, इसपर किसी को भला क्या आपत्ति हो सकती है? हमें यह इस प्रकार किया है ताकि खुद हमारे लिए ही समस्या ना खड़ी हो जाए”। जयशंकर का इशारा इस ओर था कि अगर मुस्लिमों को भी CAA के तहत नागरिकता देने का काम किया जाता है, तो उससे भारत के लिए और खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाती। आगे जयशंकर ने कहा “हर किसी देश का नागरिकता प्रदान करने का एक तरीका होता है, आप किसी एक ऐसे देश का नाम बता सकते हैं जहां सभी का स्वागत किया जाता हो”।
इसी के साथ जयशंकर ने UNHRC पर कहा कि कश्मीर को लेकर यह UN की संस्था शुरु से ही पक्षपाती रवैया अपनाती रही है। जयशंकर के मुताबिक UNHRC ने शुरू से ही कश्मीर को गैर-जिम्मेदाराना ढंग से देखा है। बता दें कि UNHRC ने हाल ही में कश्मीर पर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि “सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच लड़ाई के दौरान मारे गए नागरिकों की बड़ी संख्या के बावजूद कश्मीर में अत्यधिक बल का प्रयोग किया जा रहा है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है”।
इससे पहले हरीश साल्वे ने भी अपने एक लेख में CAA पर सवाल उठाने वाले लोगों को इस कानून कि वैधता के बारे में समझाया था। इस सब के बाद से ही अब CAA विरोधी गैंग बैकफुट पर आ चुका था और अब जयशंकर ने रही सही कसर पूरी कर दी है।