कल तक जो लिबरल ब्रिगेड और एक्टिविस्टों की टोली मुंबई मेट्रो के प्रस्तावित कार शेड को आरे में निर्मित होने से रोक रहे थी, वो आज उद्धव ठाकरे की सरकार द्वारा मुंबई मेट्रो के लिए प्रस्तावित फेज़ 2ए के लिए 300 से ज़्यादा पेड़ कटवाए जाने के निर्देश पर चुप्पी साधे बैठे हैं। हाल ही में मुंबई मेट्रो के गोरेगांव से लेकर कांदिवली तक जाने वाले फेज़ 2 ए के 300 से ज़्यादा पेड़ों को काटे जाने के लिए स्वीकृति दे दी है। इन पेड़ों को गोरेगांव और अंधेरी के DN नगर से लेकर कांदिवली के लालजीपाड़ा तक काटा जाना है।
सच ही कहा था पीएम मोदी ने, “हिपोक्रेसी की भी सीमा होती है”। ये वही उद्धव ठाकरे की सरकार थी, जिन्होंने आरे में प्रस्तावित मुंबई मेट्रो कार शेड का पुरजोर विरोध किया था और सत्ता में आते ही उसके कार्य पर रोक लगा दी थी। उद्धव के अनुसार, “हमारी पार्टी सत्ता में आई तो हम आरे में पेड़ों की हत्या करने वालों से अच्छे तरीके से निपटेंगे। ये जो हत्यारे अधिकारी बैठे हैं, वो पेड़ों के कातिल हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।“ अब वही उद्धव ठाकरे अपने ही आदर्शों को पैरों तले रौंदते हुए 300 से ज़्यादा पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी।
परंतु ये पहली बार ऐसा नहीं है, जब उद्धव ठाकरे की सरकार ने अपने ही ‘आदर्शों’ की धज्जियां उड़ाई हो। उद्धव ठाकरे ने दिसंबर में ही औरंगाबाद में बाल ठाकरे के स्मारक के लिए 1000 पेड़ों के काटे जाने की अनुमति दे दी थी। औरंगाबाद के प्रियदर्शनी उद्यान में बालासाहेब ठाकरे का स्मारक बनाने का प्रस्ताव पहले ही मंजूर कर लिया गया। लेकिन दिक्कत यह है कि जहां पर स्मारक बनाया जाना था वहां पर लगभग 1000 से ज़्यादा पेड़ लगे हुए थे। पहले उसे काटना पड़ता तब जाकर स्मारक बनाया जाता।
इस प्रोजेक्ट के खिलाफ बॉम्बे हाइ कोर्ट में अपील दायर करने वाले सनी खिनवसरा ने बताया, “एएमसी की अपनी परियोजना रिपोर्ट के अनुसार 1000 से ज़्यादा पेड़ों को काटने की आवश्यकता पड़ेगी। परंतु कोर्ट में अपने हलफनामे पर एएमसी मौन है। हमने अपने जवाबी हलफनामे में बताया है कि ये भूमि एएमसी की नहीं है, अपितु सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की है और वहां पर पब्लिक गार्डेन था”। इसके अलावा अधिवक्ता ने दावा किया कि जबसे एएमसी ने यह पार्क लिया है, तबसे 1200 पेड़ों को या तो सुखाया जा चुका है या फिर काटा जा चुका है।
परंतु उद्धव ठाकरे की हिपोक्रेसी से ज़्यादा मजेदार तो उन सेलेब्रिटी एक्टिविस्टों की चुप्पी है, जिन्होंने आरे में प्रस्तावित मेट्रो कार शेड के विरुद्ध कोहराम मचा दिया था। महाराष्ट्र भाजपा के उपाध्यक्ष किरीट सोमैया ने उद्धव सरकार और ऐसे एक्टिविस्टों पर तंज़ कसते हुए ट्वीट किया, “यह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार थी, जिसने आरे में ‘पेड़ों को बचाने’ के लिए मुंबई मेट्रो-3 कार शेड के निर्माण पर रोक लगा दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे 1,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने प्रतिबंध नहीं हटाया। गज़ब है उद्धव सरकार”।
शिवसेना मुंबई महानगरपालिकेच्या वृक्ष प्राधिकरण समितीने काल मुंबई मेट्रो २ मधील ५०८ झाडे काढून टाकण्यासाठी परवानगी दिली
यात १६२ झाडं कापलीही जाणार आहेत.
१०० हून अधिक दिवस झाले तरी,
वृक्ष संवर्धनाखाली दिलेली आरे कारशेडची स्थगिती अद्यापही उठवण्यात आली नाही.
उध्दवा, अजब तुझे सरकार pic.twitter.com/XQydxbwFgp— Kirit Somaiya ( Modi ka Pariwar) (@KiritSomaiya) March 14, 2020
वहीं जो बॉलीवुड छाप एक्टिविस्ट आरे के लिए अश्रु गंगा बहा रहे थे, वे सब अभी मौन पड़ चुके हैं। अभिनेत्री दिया मिर्ज़ा ने आरे में वन कटाई को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस पर निशाने साधते हुए ट्वीट किया था, “क्या यह अवैध नहीं है? आरे में अभी यह हो रहा है। क्यों? कैसे?” –
Isn’t this illegal!?! This is happening at #Aarey right now. Why? How? @AUThackeray @mybmc @CMOMaharashtra @TOIIndiaNews @MumbaiMirror @fayedsouza @VishalDadlani @ShraddhaKapoor pic.twitter.com/V8IrO6M2dU
— Dia Mirza (@deespeak) October 4, 2019
इसी तरह अभिनेता और पूर्व फिल्म निर्देशक फरहान अख्तर ने भी दिया की हाँ में हाँ मिलाते हुए ट्वीट किया था, “रात में पेड़ों को काटना एक कायराना प्रयास है, जो लोग ऐसा करने जा रहे हैं वो भी जानते हैं कि यह गलत है।
Cutting trees at night is a pathetic attempt at trying to get away with something even those doing it know is wrong. #Aarey #GreenIsGold #Mumbai
— Farhan Akhtar (@FarOutAkhtar) October 5, 2019
फिलहाल इतना तो स्पष्ट हो चुका है कि उद्धव ठाकरे की सरकार को न पर्यावरण की चिंता है और न ही महाराष्ट्र के विकास की, उन्हें बस किसी भी स्थिति में सत्ता में बने रहने से मतलब है। सरकार बनाने के कुछ ही दिनों में उद्धव सरकार ने आव न ताव मुंबई मेट्रो के कार शेड डिपो के काम पर रोक लगा दी, और मुंबई – अहमदाबाद जाने वाली बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया। ऐसे में अब ये स्पष्ट हो चुका है कि उद्धव सरकार किसी भी तरह सत्ता में बनी रहना चाहती है, चाहे इसके लिए नैतिकता और अपने मूल आदर्शों की बलि ही क्यों न चढ़ानी पड़े।