कोरोनावायरस अभी तक पूरे विश्व में 22 हजार से अधिक जान ले चुका है। इस वायरस के संक्रमण के पॉज़िटिव केस बढ़ते ही जा रहे हैं, इटली के बाद अब अमेरिका इस वायरस का एपिसेंटर बनने की राह पर है। भारत में भी मामले बढ़ कर 720 से ऊपर हो चुके हैं।
चीन में खाने के साथ किए गए एक्सपरिमेंट को आज पूरा विश्व इस महामारी के रूप में भुगत रहा है, लेकिन लिबिरल मीडिया लगातार चीन को दोषी ठहराने के कतरा रहीं है। और चीन को दोष मुक्त साबित करने पर तुली हुई है।
विश्व के माहौल पर कल The Hindu ने एक कार्टून प्रकाशित किया जिसमें यह दिखाया गया था कि किस तरह पूरा विश्व चीन के इस वायरस से त्रस्त है और कई दिनों से रुका हुआ है। कोरोना वायरस को एक आतंकवादी रूप में दिखाया गया है जो पृथ्वी के तरफ बंदूक ताने खड़ा है। इस कार्टून को दीपक हरिचन्द्रन ने बनाया था।
Today's cartoon by Deepak Harichandran
For more cartoons, visit: https://t.co/HWZnhh396dhttps://t.co/tY6iIWyoVN— The Hindu Comment (@TheHinduComment) March 26, 2020
इसके बाद तो कॉमेंट में इस्लामिस्टों ने हमला बोल दिया और इस अखबार को इस्लाम विरोधी बताने लगे। अब यह विडम्बना ही है कि कोई The Hindu जैसे अखबार को इस्लाम विरोधी कह रहा हो। इस कार्टून का विरोध करने वालों का कहना था कि वायरस ने बंदूक ले रखी है और उसे पठानी सूट पहने दिखाया गया है। बता दें कि अभी काबुल में एक सिख गुरुद्वारा पर LET और हक्कानी के हमले को दो दिन भी नहीं हुए लेकिन फिर भी इस कार्टून में दिखाये गए कपड़ों से विशेष वर्ग नाराज हो रहा है।
Didn't expected such irrationality from one of the leading newspapers..
Totally distressful
— Liberal Spade (@liberalSpade) March 26, 2020
https://twitter.com/RazviAnas/status/1243110855333437446?s=19
We will win over coronavirus but islamophobia is a longer fight. Very disappointing coming from @the_hindu
— Zoya Rasul (@zoyarasul) March 26, 2020
One of them should've been wearing orange robes and clanging utensils, right? C'mon @TheHinduComment, your readers need support right now, not extra fear.
— Sidra Maheen (@MaheenSidra) March 26, 2020
@the_hindu , I never expected you to board the Islamophobia bandwagon, least in the midst of pandemic. Had always been an ardent fan of yours but sadly, looks the time has come to bid adieous!
— Hafees M حفيظ م (@mrhafees) March 26, 2020
"The Hindu" news paper displays a cartoon of Corona virus with Muslim attire. What does this indicate. Are not these blood thirsty mainstreams done with Muslim hatredness?
Condemn #Islamophobia pic.twitter.com/pci9ELTMlV— ️Ladeeda Farzana (@ladeedafarzana) March 26, 2020
The aesthetic fetishes of the Indian majority conscious is satisfied only when Muslims are portrayed as the bad and evil.
/Cartoon from The Hindu/ pic.twitter.com/t2yhlyRS5r— Afreen Fatima (@AfreenFatima136) March 26, 2020
This cartoon published by @the_hindu is nothing short of a hate crime. The virus is dressed in a Muslim attire. This is highly islamophobic. This issue is already furthering xenophobia, do not use it to further religious intolerance.
Apologize now! pic.twitter.com/7Sb1boT4eP— Arya 𓅓 (@RantingDosa) March 26, 2020
इन ट्वीट्स को देख कर आप समझ सकते हैं कि किस तरह से The Hindu ने मुस्लिम वर्ग को नाराज कर दिया। हालांकि, The Hindu के एडिटोरियल पॉलिसी से सभी परिचित हैं लेकिन वे इतने भी बेवकूफ नहीं है कि सच्चाई न दिखायें।
अगर वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो आतंकवादी आखिर किस प्रकार के कपड़े पहनते हैं? यह सोचने वाली बात है। किसी भी संदेश को अधिक व्यापक रूप से पहुंचाने के लिए फोटो सबसे ताकतवर हथियार होता है उस कार्टून का भी यह संदेश था कि किस प्रकार विश्व अभी कोरोना के हाथों बंदी बना हुआ है। लेकिन यह आसान सा संदेश भी समझने में कई लोगों को परेशानी हुई और उन्होंने तुरंत अपना विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया।
The Hindu पर लगातार हमले किए गए जिसके कारण और शायद हिम्मत न होने के कारण The Hindu ने एक माफीनामा जारी कर दिया। इस माफी नामे में लिखा था, “कुछ लोगों ने 26 मार्च को प्रकाशित कार्टून पर आपत्ति जताई थी और उसे इस्लाम विरोधी बताया था। इस कार्टून में मुस्लिम परिधान का होना बिल्कुल गैरइरादतन था। इस कार्टून का असली मकसद दुनिया को कोरोना की गिरफ्त में दिखाना था।“ आगे लिखा था कि हम इस कार्टून को हटा दे रहे हैं और इसकी जगह दूसरे कार्टून को लगा रहे हैं।
आतंकवाद की सच्चाई के ऊपर बोलने और चित्रित करने की हिम्मत रखने वालों को लगातार परेशान किया जाता है। यह गहरी चिंताजनक बात है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह अभिव्यक्ति की आज़ादी और मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला नहीं था तो क्या था ?