किसी ने सही ही कहा था – ‘भय बिनु होइ न प्रीति’, अर्थात बिना भय के संसार में कुछ भी नहीं हो सकता। जब से दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को दंगे भड़काने वालों के संबंध में नोटिस भेजा है, कुछ लोग ऐसे शांत पड़ चुके हैं, मानो उनका दंगे भड़काने से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं। चाहे स्वरा भास्कर हों, या आरजे साएमा, दोनों दिल्ली हाई कोर्ट के ऑर्डर पास होने के बाद से कुछ ज़्यादा ही शांत पड़ चुकी हैं। जहां स्वरा भास्कर फिलहाल अरविंद केजरीवाल की पैरवी करती दिखाई दे रही हैं, तो वहीं आरजे साएमा के अकाउंट से आरजे हट चुका है।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अपील पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से हर्ष मंदर, अमानतुल्लाह खान, आरजे साएमा और स्वरा भास्कर के संबंध में कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी है। इसके साथ ही सरकार को नोटिस थमाते हुए कांग्रेस हाईकमान, हर्ष मंदर, अमानतुल्लाह खान और स्वरा भास्कर जैसे लोगों पर कार्रवाई के संबंध में जवाब मांगा था।
फरवरी माह में दिल्ली हाई कोर्ट में हिन्दू सेना और संजीव कुमार द्वारा दो याचिका दायर की गयी। इन याचिकाओं में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि सीएए के खिलाफ चल रहे प्रोटेस्ट की फंडिंग कहां से हो रही है इसकी जांच के आदेश दें। इसके अलावा संजीव कुमार द्वारा दायर याचिका में हर्ष मंदर, आरजे साएमा, स्वरा भास्कर, आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान के विरुद्ध आईपीसी और आईटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दायर करने की मांग की गयी थी।
सीएए के पारित होते ही वामपंथी ब्रिगेड के कई सदस्य देश में दंगे भड़काने पर उतारू हो गए। सीएए के बारे में कई तरह के अफवाह फैलाने में कुछ लोगों ने विशेष दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी। इसी वजह से न केवल पूर्वोत्तर दिल्ली में डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे से ठीक एक दिन पहले दंगे भड़के, अपितु कई निर्दोषों की बलि भी चढ़ी। इनमें सबसे आगे थीं अभिनेत्री स्वरा भास्कर और रेडियो मिर्ची की कर्मचारी, आरजे साएमा।
आरजे साएमा ने तो मानो दिल्ली पुलिस के विरुद्ध हिंसक प्रदर्शन भड़काने के लिए रेडियो मिर्ची को अपना मंच बना लिया था।
उन्होंने ट्वीट में ये तक कहा कि “पूरा हिंदुस्तान कश्मीर बनता जा रहा है क्योंकि जब कश्मीर पर गुज़र रही थी, तब हम चुप थे”। ऐसे ट्वीट के पीछे असल मंशा क्या है, इसे पता लगाने के लिए हमें कोई विशेष शोध करने की आवश्यकता नहीं है।
जब जनता ने आरजे साएमा को उनके भड़काऊ बयानों के लिए घेरा, तो ट्वीट डिलीट कर वो जवाबदेही से बचने का असफल प्रयास करने लगी, परंतु दिल्ली हाईकोर्ट के नोटिस ने तो मानो आरजे साएमा का सारा प्रोपगैंडा ही फुस्स कर दिया। फिलहाल के लिए आरजे साएमा के अकाउंट से आरजे हट चुका है, और ये कहने में कोई समस्या नहीं होगी कि वे जवाबदेही से बचने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है।
अब बात दिल्ली में दंगे भड़काने की हो, और स्वरा भास्कर का नाम न लें, ऐसा हो सकता है क्या? अगर किसी को सीएए के पारित होने से सबसे ज़्यादा तकलीफ़ हुई है, तो वो स्वरा भास्कर ही हैं। मोदी सरकार के धुर विरोधियों में से एक और देशद्रोहियों का खुलेआम समर्थन करने वाली स्वरा भास्कर ने सीएए विरोध के नाम पर जितनी अफवाहें फैलाई हैं, उसपर अलग से किताब लिखी जा सकती है। स्वरा भास्कर किस तरह से पूरे देश को दंगों की आग में झोंकना चाहती हैं, उसका उदाहरण आप इस एक वीडियो से देखकर समझ सकते हैं, जहां वो कहती हैं, “हम उस मुहाने पर हैं जब वर्दीधारी लोग, जो संविधान की शपथ लेते हैं, वे निहत्थे मुसलमानों पर वार करते हैं, उनकी संपत्ति नष्ट करते हैं, कारण मुझे भी नहीं पता पर शायद वो मांस मच्छी खाते हैं इसलिए? मुझे पता भी नहीं असली वजह क्या है?”-
This is actress, Swara Bhasker, inciting mobs by lying that the police is attacking Muslim households cuz they eat meat.
She has also said it on record that Delhi Police is with Hindus. Shouldn’t she be arrested for instigating Muslims against the state?pic.twitter.com/xtPw6q2o6X
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) February 27, 2020
सच कहें तो यदि दिल्ली के दंगे भड़काने में काँग्रेस हाइकमान, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान, ताहिर हुसैन का हाथ है, तो उतनी ही स्वरा भास्कर की भी भूमिका है। विश्वास नहीं होता तो इन ट्वीट्स को देख लीजिये, जहां स्पष्ट दिखता है कि आखिर स्वरा किस पक्ष के प्रति ज़्यादा निष्ठावान है –
लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के नोटिस आने के बाद से वे भी काफी शांत पड़ चुकी है। फिलहाल स्वरा अरविंद केजरीवाल के भाषण और कई अन्य लोगों के वैमनस्य से परिपूर्ण ट्वीट शेयर कर अपना काम चला रही हैं।
परंतु यह चुप्पी केवल स्वरा भास्कर और आरजे साएमा तक ही सीमित नहीं है। ‘तख्त’ के स्क्रीन राइटर और प्रोपगैंडावादी हुसैन हैदरी ने सीएए विरोध के नाम पर जिस तरह से हिंदुओं के विरुद्ध प्रोपगैंडा फैलाया, उसके पीछे आक्रोशित सोशल मीडिया ने करण जौहर के फिल्म तख्त के बायकॉट करने की मांग कर दी। फलस्वरूप जनाब अपना अकाउंट डिलीट करके पतली गली से ही खिसक लिए
सीएए विरोधी दंगों के पश्चात दिल्ली पुलिस, केंद्र सरकार और दिल्ली हाई कोर्ट ने जिस तरह से सतर्कता दिखाई है, वो निस्संदेह सराहनीय है, और उनके कार्रवाई का प्रभाव ही है कि दंगे भड़काने में दंगाइयों का हाथ बंटाने वाले आज चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। अगर प्रोपगैंडा फैलाने में सबसे आगे रहने वाले रवीश कुमार के शब्दों में कहे, तो वास्तव में लिबरलों में ‘डर का माहौल है।’