कोरोना वायरस के मरिजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक देश में 700 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकारें भी लगातार लोगों से अपील कर रही हैं कि लोग घरों में रहें। हालांकि एक समुदाय ऐसा भी है जो इन सब चेतावनियों को नकारकर मजहब को आगे रखता है। हम बात कर रहे हैं देश के कुछ मुसलमानों की जो आम जनता के लिए किसी कोरोना बम से कम नहीं हैं।
दरअसल, देश के अलग-अलग हिस्सों से खबर आ रही है कि लॉकडाउन के बावजूद भी मुसलमान मस्जिदों में भीड़ लगाकर नमाज अदा कर रहे हैं। सपा की गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी में पुलिस को जानकारी मिली कि भारी संख्या में लोग नमाज पढ़ने जा रहे हैं। सूचना मिलते ही प्रभारी निरीक्षक और हल्का इंचार्ज भूपेंद्र सिंह सिरोही दल बल लेकर मस्जिज पहुंचे और उन्होंने मस्जिद का दरवाजा खुलवाने का आदेश दिया जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोग पुलिस पर भड़क गए। इस दौरान पुलिस ने काफी प्रयास किया लेकिन उन्हें मस्जिद के अंदर प्रवेश करने में कोई सफलता नहीं मिली। पुलिसकर्मियों और नमाजियों के बीच झड़प भी हुई।
स्थिति खराब होते देख पुलिस अधिकारी ने कंट्रोल रुम में फोन करके पुलिस की और टुकड़ियां बुलाई जिसके बाद मुस्लिम नमाजियों की भीड़ को कंट्रोल किया गया।
हालांकि बाद में समझाने बुझाने के बाद वह लोग मान गए। इसके बाद पुलिस वापस लौट आई।
इसी तरह कल कर्नाटक से भी कुछ ऐसी ही खबर आई। लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए पहुंच गए। स्थानीय पुलिस को जब इस बात की भनक लगी तो मस्जिद की तरफ छानबीन करने पहुंची। भीड़ देख पुलिस लाठियां भाजनी शुरू की। जिसके बाद नमाजी लोग अपने-अपने घर की तरफ भागे।
#WATCH Police thrash people for violating #Coronaviruslockdown in Belgaum. The incident happened outside a Mosque when people were leaving after offering prayers. #Karnataka pic.twitter.com/tF9Vx4iqV5
— ANI (@ANI) March 26, 2020
ऐसा पहली बार नहीं है जब जाहिल जमात के लोगों ने अपनी जाहिलियत दिखाई हो। इन्हें लगता है कि ये कोरोना से कुरान, अल्लाह बचा लेगा इसी गफलत में ये जी रहे हैं। वास्तव में इन्हें ये भी नहीं पता कि जिस काबा की तरफ ये लोग मुंह करके नमाज पढ़ते हैं वो भी बंद हो चुका है।
आज सुन्नत छोड़ दें कल बोलोगे इस्लाम छोड़ दो, टिकटोक वीडियो वायरल
हाल ही में एक वीडियो वायरल हुई थी जिसमें 4 लड़के दिखाई दे रहे थे। एक लड़का आता है और बाकी लड़कों को अस्सलाम वालेकुम कहता है लेकिन बाकी के तीन लड़कों में से एक हाथ मिलाने से मना कर देता है और कहता है कि कोरोना हो जाएगा। उसकी इस बात पर अस्सलाम वालेकुम कहने वाला लड़का कहता है, “तो क्या हुआ मौत के दर से हम सुन्नत छोड़ दे?” वह आगे कहता है कि, “आज सुन्नत छोड़ दे और कल पूरा इस्लाम छोड़ दे?” उसकी इस बात को सुन कर बाकी तीन लड़के उससे गले मिल जाते हैं”।
When religion overrides your normal thought process, then this happens.
I call them Madrasa Chhap. What about you? #IndiaFightsCorona pic.twitter.com/MjtHkBVa8d— Keya Ghosh (Modi Ka Parivar) (@keyakahe) March 21, 2020
यानि उन्हें इस्लाम के लिए कोरोना के फैलने से कोई डर नहीं है। चाहे कुछ भी हो वो अपना धर्म नहीं छोड़ सकते। ये तो कुछ भी नहीं है। जब विश्व की कई मेडिकल संस्थाओं ने एल्कोहल युक्त सेनीटाइजर का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया तो मुस्लिमों द्वारा हलाल सैनिटाइजर की मांग की गयी।
हलाल सेनेटाइजर चाहिए, एल्कोहॉल वाले से अल्लाह बुरा मान जाएगा
जब विश्व की कई मेडिकल संस्थाओं ने एल्कोहल युक्त सेनीटाइजर का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया तो मुस्लिमों द्वारा हलाल सैनिटाइजर की मांग की गयी। बता दें कि इस्लाम में अल्कोहल हराम होता है इसी वजह से मलेशिया की एक दो कंपनियाँ तो हलाल सैनिटाइजर बना कर दोगुने दाम पर बेचने भी लगे। इस खास सेनीटाइजर में एल्कोहल की जगह इथेनॉल का प्रयोग किया गया था। हालांकि, CDC यानि Centers for Disease Control and Prevention के निर्देशानुसार कोरोना से बचने के लिए 60 प्रतिशत से अधिक एल्कोहल वाले सैनिटाइजर ही सबसे उपयुक्त है। लेकिन बावजूद इसके कई लोग हलाल सैनिटाइजर की मांग करते दिखे। बिना एल्कोहल वाले सैनिटाइजर कोरोना जैसे करोनावायरस का रोकने करने में सक्षम नहीं है। CDC के अनुसार कई अध्ययनों में पाया गया है कि 60-95% के बीच अल्कोहल के concentration वाले सैनिटाइज़र, कम अल्कोहल concentration या गैर-अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र की तुलना में कीटाणुओं को मारने में अधिक प्रभावी होते हैं।
कोरोना कुरान से निकला है, हमारा कुछ नहीं बिगाड़ेगा- शाहीनबाग की महिला प्रदर्शनकारी
एक और वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक महिला यह कह रही है कि ये लोग फैला रहे हैं कि कोरोना है कोरोना है! कोई कोरोना नहीं है। हम लोगों को पता, उन्हें कोरोना से डर होगा हमे नहीं है। कोरोना कुरान से निकला है। वो उसी से निकला है, कोरोना क्या है अभी उससे भयानक भयानक बीमारियाँ निकलने वाली हैं। ऊपर वाले ने चाहा तो हमे कुछ नहीं होगा। वो डरे हम लोग डरने वाले हैं।
A Muslim activist in India claims #CoronavirusOutbreakIndia will not harm Muslims as the word #Corona comes from the #Quran. ”The virus will not affect Muslims; it's for other people.”
pic.twitter.com/vCvwaH9aNV— Tarek Fatah (@TarekFatah) March 20, 2020
अब इस तरह से अगर कोई कह कर किसी भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाएगा तो करोनावायरस के फैलने का चांस 100 प्रतिशत से बढ़ कर 200 प्रतिशत हो जाएगा। लेकिन फिर भी प्रदर्शन करने जाना ही है। नागरिकता नहीं जा रही है फिर भी ऊपर वाले का हाथ सिर पर है इसीलिए प्रदर्शन करने जाना ही है।
इस्लामिक देशों ने यही गलती की और आज भुगत रहे
इस तरह के लोग जब प्रदर्शन या किसी स्थान पर जाते हैं तो उसका परिणाम क्या होता मलेशिया में देखने को मिला था जब एक धार्मिक मीटिंग के कारण कई लोग कोरोना से संक्रमित हो गए थे।
ये तो बस कुछ उदाहरण थे। ईरान में तो कोरोना के फैलने के कई दिनों बाद तक वहां के धार्मिक स्थान खुले थे और उन्हें जीभ से चाटने की प्रथा जारी थी। यही नहीं वहां के सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि ने सभी को इस धार्मिक स्थान पर जाने का निर्देश दिया था। हालांकि, कुछ दिनों बाद ही उनकी कोरोना भी मौत हो गई थी।
Videos on social media show Iranians licking shrines amid controversy over calls to close access to the shrines. #Iran has recorded the highest number of #coronavirus cases in the Middle East.
More here: https://t.co/K8O0DBk1zC pic.twitter.com/ywyXJjDTvm
— Al Arabiya English (@AlArabiya_Eng) March 1, 2020
उसके बाद ईरान में इस करोनावायरस से संक्रमित लोगो में भारी इजाफा हुआ था और मरने वालों की भी संख्या बढ़ी थी।
भारत में भी यही हो रहा है और लोग आज भी मस्जिद जाना बंद नहीं कर रहे हैं। सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार को की जाने वाली जुम्मे में लोग जुट रहे है और सरकार द्वारा जारी निर्देश को ताक पर रख रहे हैं।
भारत के मुस्लिम भी वही गलती कर रहे हैं जो विश्व के अन्य मुस्लिमों ने किया और उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है। इसके सबसे बड़े गुनहगार मौलवी हैं जो सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, और कोरोना के फैलने में मदद कर रहे हैं। इस तरह से अगर मुस्लिम अल्लाह के नाम पर प्रदर्शन करते रहेंगे या जुम्मे पर जाते रहेंगे तो भारत में कोरोना भी फिर उसी स्तर से फैल सकता है। अब मामला 700 के पार जा चुका है, ऐसे में खुद को घरों में कैदकरके रखना ही सबसे उचित रास्ता है।