देश के कोरोना वायरस हॉटस्पॉट में से एक इंदौर का प्रशासन कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए हाथ-पांव मार रहा है. लेकिन अब अधिकारियों के सामने कोरोना वायरस से लड़ने के सिलसिले में एक और सिरदर्द उभकर आ गया है. अधिकारियों का कहना है कि शहर में मुस्लिमों में अन्य समय की तुलना में इस समय मृत्यु दर में असामान्य बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इतना ही नहीं कुछ आंकड़े ऐसे आ रहे हैं जिनमें साफ पता चलता है कि इंदौर में कोरोनावायरस के मरिजों की कुल संख्या में 69 फीसदी सिर्फ मुस्मिम हैं, अन्य समुदाय के लोग मात्र 31 फीसदी ही हैं. नीचे एक ट्विटर यूजर ने लिस्ट शेयर किया है. इसमें 902 कोरोना पॉजिटिव लोगों के नाम हैं. जिनमें आप साफ-साफ देख सकते हैं कि समुदाय विशेष के लोग ज्यादातर कोरोना से ग्रसित हैं.
https://twitter.com/VishveshVVv/status/1251778973287149569?s=20
इस बीच इंदौर में एक अजीबोरगिब घटना देखने को मिली है. शहर के चार प्रमुख मुस्लिम कब्रिस्तानों में लाए गए शवों की संख्या में अचानक वृद्धि देखने को मिली है। चौंकाने वाली बात यह है कि शहर में मार्च की अपेक्षा अप्रैल के मात्र छह दिनों में ही अचानक मुस्लिम समाज में मृत्यु दर बढ़ी है। शहर के चार बड़े कब्रिस्तानों से मिले आंकड़े तो यही कह रहे हैं। इन्हें सही मानें तो 1 से 6 अप्रैल के बीच इन कब्रिस्तानों में 127 जनाजे पहुंचे, यह आंकड़ा सातवें दिन 145 पर पहुंच गया। मतलब एक दिन में ही 18 जनाजे सिर्फ उन्हीं चार कब्रिस्तान में पहुंचे, जो क्वारैंटाइन एरिया के लिए ही हैं। जबकि मार्च में इन्हीं चार कब्रिस्तानों में 130 शवों को दफनाया गया था। हालांकि, श्मशान में भी शव लाये गए लेकिन, लाए गए शवों की संख्या में कोई अचानक वृद्धि नहीं हुई है।
भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, महू नाका कब्रिस्तान में 46 शवों को पिछले महीने लाया गया था लेकिन केवल अप्रैल महीने में ही 42 शवों लाया गया था। इसी तरह, रानीपुरा कब्रिस्तान में लाए गए शवों की संख्या पिछले महीने 20 थी, लेकिन इस महीने में 5 अप्रैल तक में ही 20 शवों को कब्रिस्तान में लाया गया था।
खजराना कब्रिस्तान में भी, शवों की संख्या में वृद्धि हुई है पिछले महीने, कुल 28 शव कब्रिस्तान में लाए गए थे, लेकिन इस महीने के पांचवें दिन तक 21 शव लाए गए थे।
हालांकि, सबसे ज्यादा चिंताजनक मामला टाटपट्टी बाखल कब्रिस्तान का है- यह उसी इलाके में स्थित है, जहां स्वास्थ्यकर्मियों की एक टीम पर एक भीड़ ने हमला किया गया था।
At 57 sec rioter is asking for hot water, perhaps to throw on medical workers. Pathetic!!! https://t.co/TGVlzO8OPK
— Vikas Pandey (Sankrityayan) Modi ji’s Family (@MODIfiedVikas) April 1, 2020
https://twitter.com/akshaynarang96/status/1245527806559150080
मुस्लिम कब्रिस्तानों पर आने वाले शवों की संख्या में वृद्धि 59 तब्लीगी जमात कार्यकर्ताओं की पहचान के साथ पूरी तरह मेल खाते हैं, जो दक्षिण दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र में मरकज़ में 8,000 उपदेशकों की सभा में शामिल हुए थे।
तबलिगियों ने कई राज्यों जैसे असम, तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, कश्मीर, तेलंगाना और महाराष्ट्र में कोरोना फैला दिया है जिससे भारत में कोरोना पॉज़िटिव मामलों में अचानक भरी उछाल आया था। अब ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश राज्य तब्लीगी जमात के आतंक से नहीं बच पाया है।
मुस्लिमों में संक्रमण बढ़ने का एकमात्र कारण तबलीगी जमात है. जिसने भारत में आकर जलसा किया और देशभर के मुसलमानों को संक्रमित किया. तबलीगियों ने जैसा किया ठीक उसी राह पर हमारे देश के मुसलमान चल रहे हैं. डॉक्टरों की टीम पर हमला, जांच में सहयोग न करना, इतना ही नहीं विदेशों या मरकज से आने के बाद प्रशासन को सूचित न करना.
इंदौर के ही एक मुस्लिम परिवार के सदस्य ने 17 लोगों को संक्रमित कर दिया. इसी तरह इंदौर में ही 8 मुस्लिम धर्म प्रचारक कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद भाग निकले थे. हालांकि बाद में उन्हें पकड़ लिया गया था. इंदौर के टाटपट्टी इलाके की कहानी तो सबने ही सुनी होगी. जहां मेडिकल टीम पर हमला कर दिया गया था. बता दें कि फिलहाल उस इलाके को रेड जोन घोषित कर दिया गया है. यहां कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
इन्हीं सब के वजह से मुस्लिमों की आबादी कोरोना के चपेट में आती गई और ये सिलसिला अब भी जारी है. अगर मुस्लिम समुदाय के लोग समय रहते न चेते तो कोरोना के चपेट में आते रहेंगे. जरुरी यह है कि इन्हें समझना होगा कि इलाज करवाना जरुरी है न कि कोरोना से भागना.