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Corona के सामने देश के मुख्यमंत्रियों का हाल: कुछ के पसीने छूटे, तो कुछ ने कर दिखाया कमाल

ये रही भारत के सबसे बढ़िया और घटिया CM की लिस्ट

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
24 April 2020
in समीक्षा
Corona के सामने देश के मुख्यमंत्रियों का हाल: कुछ के पसीने छूटे, तो कुछ ने कर दिखाया कमाल
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भारत वुहान वायरस से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से लेकर हर प्रकार की सुविधा सही समय पर पहुंचाने तक, सब कुछ केंद्र सरकार ने स्वयं अपने हाथों में लिया है।

केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों को लागू करना राज्य का काम है, जिसमें वे बखूबी सफल रहे हैं। ऐसे में कई लोग ये जानने को उत्सुक है कि कौन सा राज्य कैसा परफॉर्म कर रहा है। यूं तो सूची काफी लंबी है, परन्तु कई ऐसे राज्य हैं, जहां के निर्णय बड़े काम आ रहे हैं, और वे संभवत वुहान वायरस से मुक्ति पाने वाले प्रथम राज्यों में शामिल होंगे:

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1. योगी आदित्यनाथ 

सर्वप्रथम हम बात करते हैं उत्तर प्रदेश की, जिसने अनेकों मुसीबतों का सामना करते हुए वुहान वायरस से अपनी लड़ाई में डटकर खड़ा हुआ है। जितनी उत्तर प्रदेश की आबादी है, उसमें तो कई बड़े देश की कुल आबादी समा सकती है।

इसके बावजूद अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश ने काफी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कुल मामलों को अब तक 2000 से कम रखा है, जो उसकी जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश ने सब को चौंकाते हुए अपना मृत्यु दर निम्नतम रखने में सफलता पाई है। 

1500 से अधिक संक्रमित मामले होने के बावजूद यदि राज्य में 30 से कम लोगों की मृत्यु हुई है, तो उसका स्पष्ट अर्थ है कि वह राज्य अनेकों चुनौतियों का सामना डटकर कर रहा है। 

पूल्ड टेस्टिंग को बढ़ावा देना हो, राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले अहम जिलों में लॉकडाउन लागू करना हो, या फिर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध सख्त से सख्त प्रावधान लागू करने हो, योगी सरकार किसी क्षेत्र में पीछे नहीं रही है। इतना ही नहीं, योगी आदित्यनाथ ने अपनी कर्मठता का बेजोड़ उदाहरण देते हुए लॉक डाउन के दौरान अपने पिता की अंत्येष्टि में हिस्सा लेने से मना कर दिया। 

2. सर्वानंद सोनोवाल 

हालांकि, इस कर्मठता में योगी सरकार अकेली नहीं है। जब तब्लीगी जमात के सदस्यों ने उत्पात मचाया, तो उसकी आंच असम तक भी पहुंची। परन्तु, सर्वानंद सोनोवाल के नेतृत्व में असम सरकार ने जिस तरह से मोर्चा संभाला है, वह अपने आप में प्रशंसनीय है। 

With your good wishes and support we have managed to have #COVID cases under control, so far. However we have to be ready.

Glad that donations to Assam Arogya Nidhi continues. We have Rs 106 + crores now, with contributions from 48242 people.

Every drop counts. pic.twitter.com/7S9UoiyU5O

— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) April 24, 2020

उदाहरण के लिए जब असम में एक भी मामला नहीं सामने आया था, तब भी असम पूरी तरह से इस बीमारी से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर तैयार था। वुहान वायरस के मामले जब भारत में बढ़ने लगे, तब असम में सरकार ने कुछ ही दिनों के अंदर गुवाहाटी के एक विशाल स्टेडियम को एक अस्थायी अस्पताल में परिवर्तित किया, जिससे आवश्यकता पड़ने पर ज़्यादा से ज़्यादा मरीजों की भर्ती की जा सके। परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। असम में ग्रामीण स्तर पर भी लोग पूरी तरह तैयार दिखे, जिन्होंने महज कुछ ही दिनों में प्रकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण एक ईको फ्रेंडली quarantine सेंटर का निर्माण किया।

#IndiaFightsCorona

A 300-bed pre-fabricated hospital will be constructed in Silchar as a facility for treatment of #COVID patients. Inspected site for the same along with Min Sri @ParimalSuklaba1, MP Sri @drrajdeeproy, MLAs & Pr Secy Sri @samirsinha69.#AssamCares#CoronaUpdate pic.twitter.com/LeM4bxGBNy

— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) March 29, 2020

इसके अलावा असम के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते भी हिमन्ता बिस्वा सरमा यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि क्षेत्र में किसी प्रकार की सुविधा की कोई कमी न हो। एक ओर उन्होंने 300 बेड वाले अस्पताल के त्वरित निर्माण को मंजूरी दी, तो वहीं उन्होंने कुछ जिलों में ये भी सुनिश्चित किया कि उनके मेडिकल कॉलेज केवल और केवल COVID-19 के मरीजों की देखभाल करें।

In fight against COVID-19,Doctors and Nurses are our main backbone.After their duties for 7days,they are to b mandatorily put in quarantine for 14days.We have made arrangements in Taj Vivanta,Guwahati for their comfortable stay.Similar arrangements have been made for other places

— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) April 4, 2020

#IndiaFightsCorona

In order to strengthen our preparations to tackle with #COVID19, we have decided to bring 108 ambulance and 104 health helpline employees under Rs 50 lakh medical insurance.GoA shall provide Rs 1000 to 108 employees for next 3 month additionally.#AssamCares

— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) April 4, 2020

इस सतर्कता के कारण असम में पिछले कई दिनों से कोई नया केस उभर के नहीं सामने आया है। यदि सब कुछ सही रहा, तो मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों की भांति असम भी जल्द ही वुहान वायरस की महामारी से मुक्त हो जाएगा।

3. मनोहर लाल खट्टर 

एक और राज्य जिसकी सतर्कता के लिए उसकी काफी तारीफ हो रही है, वह है हरियाणा। जब वुहान वायरस के पांव यहां पड़े थे, तो तुरंत सतर्कता बरतते हुए हरियाणा सरकार ने हर अहम जिले में थर्मल स्क्रीनिंग सहित वुहान वायरस के मरीजों को पहचानने के लिए हरसंभव प्रयास प्रारंभ किया। फलस्वरूप उद्योगों के निकट होने और महाराष्ट्र की भांति काफी आर्थिक गतिविधियों का हिस्सा बनने के बावजूद हरियाणा खासकर इसके गुरुग्राम इलाके में इस राज्य सरकार ने कुल मामले नियंत्रण में रखे हैं। अब तक कुल मिलाकर 272 मामले ही सामने आए हैं, जिसमें से 156 से अधिक लोग ठीक भी ही चुके हैं। 

4. नवीन पटनायक 

जब वुहान वायरस ने भारत में तांडव मचाना शुरू भी नहीं किया था, तब से ही नवीन पटनायक के नेतृत्व में ओडिशा सरकार इसे एक आपदा की भांति समझ रही है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले राज्यों में सर्वप्रथम ओडिशा ही था, जिसने राज्य भर में लॉकडाउन लागू किया।

In a first of its kind initiative in the country, we are setting up two stand alone #COVID19 hospitals with a combined strength of 1000 beds in Bhubaneswar. The two hospitals to be functional within a fortnight and strengthen our fight against #CoronaVirus. pic.twitter.com/WTuxBoHwoz

— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) March 26, 2020

In #Cuttack, a 150 bed Odisha Covid Hospital is made ready at Ashwini Hospital, in a record time of only 7 days. In every Odisha Covid Hospital's treatment, food and stay for #COVID19 patients will be free of cost. The hospital is sponsored by @odisha_mining.#OdishaFightsCorona pic.twitter.com/FtcmAWt7tD

— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) April 2, 2020

सीमित संसाधनों के बावजूद ओडिशा इतनी बढ़िया तरह से तैयार है कि बंगाल के मरीज़ भी ओडिशा में इलाज कराना श्रेयस्कर समझते हैं। इसी कारण से ओडिशा में अभी कुल मामले 150 पार भी नहीं गए।

5. बिपलब कुमार देब

पूर्वोत्तर के 4 राज्यों में कोरोना के एक भी मामले नहीं है। अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के बाद अब त्रिपुरा भी कोरोना से पूरी तरह से मुक्त हो गया है।

📌UPDATE!

The Second corona patient of Tripura has been found NEGATIVE after
consecutive tests.

Hence our State has become Corona free.

I request everyone to maintain Social distancing and follow Government guidelines.

Stay Home Stay Safe.

Update at 08:20 PM, 23th April

— Biplab Kumar Deb (MODI Ka Parivar) (@BjpBiplab) April 23, 2020

यहां कोरोना के दो मामले सामने आए और दोनों ही मरीज अपने घर लौट चुके हैं। बिपलब देब के प्रयासों के कारण ही के संभव हो पाया है।

I thank all the Doctors, Healthcare staffs, all front line Warriors & public for making Tripura a Corona free state.

By maintaining social distancing and proper guidelines we shall try our best to maintain this.

May Mata Tripurasundari bless us.#IndiaFightsCorona

— Biplab Kumar Deb (MODI Ka Parivar) (@BjpBiplab) April 23, 2020

 

त्रिपुरा के सीएम बार बार सोशल मीडिया तो कभी जमीनी स्तर पर लोगों से सामाजिक दूरी बनाने को न केवल कहते हैं बल्कि इसे लागू भी सही तरीके से किया है।

ऐसे ही कुछ राज्य और है जिन्होंने विकट  परिस्थितियों का सामना पूर्ण रूप से किया। चाहे वो तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ही क्यों न हो, जिन्होंने दिल्ली जैसे हालात को विकराल रूप धारण करने से पहले ही काफी हद तक नियंत्रण में लिया है। सभी राज्य के मुख्यमंत्री भारत को वुहान वायरस से मुक्त करने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

परन्तु कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां सभी संसाधनों की उपलब्धि होने के बावजूद वहां के प्रशासकों की लापरवाही ने भारत की लड़ाई को और पेचीदा बना दिया, और अब इनपर भी नजर डाल लेते हैं: 

1. उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे के शासन में महाराष्ट्र सही मायनों में नर्क बन चुका है। इसके पीछे प्रमुख कारण है – संसाधनों का दुरुपयोग, छद्म धर्मनिरपेक्षता पर आवश्यकता से अधिक ध्यान केंद्रित करना इत्यादि। इतना ही नहीं, जो भी उद्धव सरकार की हेकड़ी के विरुद्ध आवाज उठाता है, उसे या तो पीटा जाता है, या फिर राज्य की पुलिस उस पर झूठी कार्रवाई करती है। 

हद तो तब होती है, जब यह ज्ञात हो, कि महाराष्ट्र की कुल आबादी उत्तर प्रदेश की आधी भी नहीं है, और फिर भी यहां देश के 25 प्रतिशत से अधिक मामले सामने आए हैं, जिसमें सर्वाधिक योगदान मुंबई का है। 

2. अरविंद केजरीवाल 

परन्तु यह न समझिएगा कि महाराष्ट्र इस मामले में अकेला है। दिल्ली का भी वुहान वायरस के मामलों को बढ़ाने में अच्छा खासा योगदान रहा है, जिसके पीछे प्रमुख कारण है तब्लीगी जमात के सदस्यों द्वारा संक्रमण का प्रारंभ।

इसके अलावा अरविंद केजरीवाल लगभग हर मोर्चे पर विफल सिद्ध हुए हैं। चाहे वह मजदूरों के पलायन को रोकना हो, या फिर तब्लीगी जमात के सदस्यों को नियंत्रण में रखना हो, दोनों जगह केजरीवाल का गवर्नेंस मॉडल फुस्स सिद्ध हुआ है। 

इसके पीछे जहां एक ओर अरविंद केजरीवाल को हर जगह से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं केंद्र सरकार ने भी अरविंद केजरीवाल को ज़बरदस्त फटकार लगाई है। न्यूज़ स्टेट की रिपोर्ट के अनुसार, “उच्च सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक रविवार को गृह मंत्री अमित शाह की उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करने के बाद रविवार शाम दिल्ली के सीएम केजरीवाल को पत्र भेजा गया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा गया कि किसी भी प्रवासी मजदूर को पलायन को अनुमति नहीं दी जाए”। शायद इसीलिए वुहान वायरस से संक्रमित लोगों के मामलों में दिल्ली 3सरे नम्बर पर है।

3. नीतीश कुमार 

बिहार

यूं तो बिहार और बंगाल में ज़्यादा केस नहीं सामने आए हैं, परन्तु यह वास्तविकता से काफी अलग है। नीतीश कुमार ने फंसे हुए प्रवासी मजदूरों और छात्रों को केवल सहायता देने से इनकार ही नहीं किया, बल्कि योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं से भी ऐसा करने पर सवाल किया है। 

उन्होंने यह भी कहा कि कोटा में पढ़ने वाले छात्र अमीर परिवारों से हैं इसलिए उन्हें किसी सहायता की आवश्यकता नहीं है। सीएम नीतीश कुमार ने तंज़ कसते हुए कहा,

‘कोटा में पढ़ने वाले छात्र संपन्न परिवार से आते हैं। अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के साथ रहते हैं, फिर उन्हें क्या दिक्कत है। जो गरीब अपने परिवार से दूर बिहार के बाहर हैं फिर तो उन्हें भी बुलाना चाहिए। लॉकडाउन के बीच किसी को बुलाना नाइंसाफी है। इसी तरह मार्च के अंत में भी मजदूरों को दिल्ली से रवाना कर लॉकडाउन को तोड़ा गया था।‘

अब ऐसे बयान को आप क्या कहेंगे? और तो और लॉकडाउन में गरीब परिवार तक राशन भी नहीं पहुँच रहाजो ये नीतीश कुमार की राज्य की जनता के प्रति गैर-जिम्मेदारी को दिखाता है। 

4. ममता बनर्जी 

राष्ट्रीय

पश्चिम बंगाल के बारे में तो ना ही पूछो। वहां की मुख्यमंत्री ने तो मानो बंगाल को वुहान वायरस का केंद्र बनाने की ठान ली है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को अनदेखा करना हो, या फिर स्वास्थ्य कर्मियों के सुरक्षा उपकरणों के साथ खिलवाड़ करना हो, आप बोलते जाइए और ममता बनर्जी ने वह सब किया है।

पश्चिम बंगाल में स्थिति कितनी चिंताजनक है, इसका अंदाजा आप इस उदाहरण से लगा सकते हैं। इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान ICMR के कोलकाता स्थित टेस्टिंग सेंटर के निदेशक डॉ शांता दत्ता ने बताया कि कैसे राज्य सरकार यह तय कर रही है कि कितने सैंपल भेजे जाएं। डॉ शांता दत्ता के अनुसार,

“स्थिति तो यह है कि हम प्रतिदिन 20 सैंपल भी टेस्ट नहीं कर पाते। हम जो सुझाव देते हैं, उस हिसाब से सैंपल इकट्ठा किए ही नहीं जाते। पहले तो केवल हम ही बंगाल में टेस्टिंग कर रहे थे, परन्तु अब चूंकि अन्य सेंटर भी खुल चुके हैं, इसलिए हमारे सेंटर को प्राप्त होने वाले सैंपल बहुत कम हैं।”

इतना ही नहीं, ममता बनर्जी के टेस्टिंग किट की किल्लत होने के दावे को झुठलाते हुए डॉ. शांता दत्ता बताते हैं,

“ऐसा कुछ भी नहीं है। हमें अब तक ICMR से 42500 टेस्ट किट प्राप्त हुए हैं, और ओडिशा और अंडमान को अतिरिक्त किट भेजने के बाद भी हमारे पास स्टॉक में 27000 से ज़्यादा टेस्ट किट मौजूद हैं”। 

यूं तो आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पश्चिम बंगाल में अब तक लगभग 200 लोगों के संक्रमण के मामले सामने आए हैं, लेकिन अगर डॉ. शांता दत्ता के खुलासों पर दृष्टि डालें, तो स्थिति और भी भयावह दिखती हैं। अब तक भारत में कुल 10,400 से कुछ अधिक मात्रा में लोग संक्रमित है, जिसमें 3,500 से अधिक केस तो केवल महाराष्ट्र और दिल्ली से ही आ रहे हैं।

परन्तु ममता बनर्जी को लगता है कि उनका इस समस्या से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। यही नहीं, यह आंकड़ा इतना कम तब है, जब यह बात सिद्ध हो चुकी है कि तब्लीगी जमात के सदस्य बंगाल में छुपे हुए हैं। इसके पीछे स्वप्न दासगुप्ता ने भी सवाल उठाए हैं, और वे पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार के वेब पोर्टल में मामले अपडेट क्यों नहीं हो रहे।

सच कहें तो विपत्ति ही किसी व्यक्ति के अंदर की अच्छाई या बुराई को सबसे अच्छे तौर पर सामने लाती है। कुछ लोग अपने राज्य के भले के लिए अपने निजी जीवन का त्याग कर देते हैं, तो कुछ के लिए केवल अपने सत्ता की चिंता है, और यदि वुहान वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, तो ये उनके  राज्य के लिए काफी हानिकारक होगा। कुछ ममता बनर्जी जैसे भी हैं, जो शी जिनपिंग के राह पर चल पड़ी है, और लगता है कि वे कई निर्दोषों की बलि चढ़ाकर ही तृप्त होगीं।

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