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अक्सर इन्हें लोग भ्रष्ट, आलसी और कामचोर कहते हैं, लेकिन Corona टाइम में पहचानिए अपने सरकारी योद्धाओं को

'पैसे लूटने वाले निजी क्षेत्र के लोग गायब हैं'

Ashish Sood द्वारा Ashish Sood
14 April 2020
in मत
अक्सर इन्हें लोग भ्रष्ट, आलसी और कामचोर कहते हैं, लेकिन Corona टाइम में पहचानिए अपने सरकारी योद्धाओं को
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पूरा विश्व अगर कोविड -19 महामारी की चपेट में है तो भारत भी इससे अछूता नहीं है लेकिन इस विषम परिस्थिति में हम सब लोग एक विचित्र सत्य से दो चार हुए है। इसे जानना और समझना जरुरी है। सामान्यतः अपनी कार्य पद्यति के लिए कड़ी आलोचना का शिकार होने वाली सरकारी संस्थाए, अधिकारी और कर्मचारी इस विश्व व्यापी खतरों से ख़बरदार हर जगह मुस्तैद हैं। देश की 130 करोड़ जनता को घरों में सुरक्षित कर ये लोग काम पर है जबकि इससे लड़ने में अमेरिका, स्पेन, इटली और जापान जैसे कई देश अपने आप को असहाय महसूस कर रहे है।

सरकारी कर्मचारी जिन पर सामान्यतः कामचोरी या अकर्मण्य होने का आरोप लगता रहा है वो इस संकट के समय में रक्षक की भूमिका में मुस्तैद है। इन सब के बीच हमें एक और बात ध्यान रखनी चाहिए कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में सरकारी कर्मचारी जिन संसाधनों के साथ काम करते है वह अपने आप में किसी तिलिस्म से कम नहीं है। एक ओर सरकारी अस्पताल और वहां तैनात डॉक्टर और स्वस्थ्य कर्मचारी अपनी जान की परवाह किये बिना दिन रात लोगों की सेवा में जुटे है दूसरी ओर, निजी अस्पताल कोरोना जाँच के लिए 500 रूपये वसूल रहे थे हालाँकि, उसे न्यायलय के आदेश पर रोक लगा दिया गया है। लेकिन सीधे तौर पर इस लड़ाई में केवल सरकारी कर्मचारी और सरकारी संस्थाए जुटी हुई है जो सामान्य दिनों में जनता के कोपभाजन का शिकार होती हैं । याद रखने वाली बात यह है कि जब कोई यस बैंक डूबता है तो स्टेट बैंक को ही तारणहार बनना पड़ता है। अतः हमें इन फ्रंट लाइन वारियर को सम्मान देना सीखना पड़ेगा।

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जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन स्वस्थ्य कर्मियों के लिए ताली, घंटी, शंख और थाली बजाने का आह्वान कर उन्हें धन्यवाद देने को कहा तो यह उनके उत्साहवर्धन के लिए जरुरी था। प्रधानमंत्री ने एयर इंडिया के कर्मचारियों की भी तारीफ की। लेकिन कुछ ऐसी भी संस्थाए है जो सामने नजर नहीं आ रही है और बहुत से लोग पर्दे के पीछे से काम कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन, सामान्य प्रशासन, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर की तैयारी में जुटे हुए सरकारी कर्मचारी, दिशा निर्देशों को जारी करने और लागू करने में लगे लोग, सफाई कर्मचारी, आवश्यक खाद्य आपूर्ति में लगे लोग, ईंधन, बिजली, पानी और बैंकिंग जैसी सेवाओं में लगे अनगिनत लोग और संस्थाए जो हमेशा आलोचना का शिकार होते है इस पूरी व्यवस्था को चलाने में लगी हुई है जिससे लोग घर में रहकर इस विषम परिस्थिति का मुकाबला कर सके। आइसोलेशन केंद्रों की सुरक्षा में सेना के जवान तैनात हैं। रेलवे ने जिस तरह से आइसोलेशन केंद्र डिब्बों में बनाए हैं वो उनकी प्रतिबद्धता दिखाता है।

कोविड -19

स्वास्थ्य मंत्रालय, सैनिटेशन और नगरपालिका जैसी कई संस्थाए दिन रात सेवारत हैं क्योंकि इनकी जिम्मेदारियां सामान्य दिनों की अपेक्षा बढ़ गई हैं। इस मुश्किल समय में एयर इंडिया और भारतीय वायु सेना की भूमिका तो सराहनीय रही ही है लोगों को दूसरे देशों से वापस लाने के लिए भारत में कई निजी उड्डयन सेवाएं है। सबसे ज्यादा और पहला खतरा हवाई अड्डों पर था वहां पर मुस्तैद सुरक्षा कर्मी न केवल सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे बल्कि, ऐसे सभी लोगों को जांच के बिना न आने देने के लिए प्रतिबद्ध थे। संसद से लेकर सभी सरकारी भवनों और प्रदेश में सुरक्षा से लेकर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी में ये लोग तैनात हैं, उन विषम परिस्थितियों में जब तब्लीग़ी जमात जैसी संस्था ने गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया है।

तबलीगी जमात

एक तरफ दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मीडिया में आकड़ा साझा करते है किस तरह से तब्लीग़ी जमात ने संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा किया है तो आप के विधायक अमानतुल्लाह खान इसे जमात से अलग करके देखने की बात कर रहे हैं। ऐसा ही एक पत्र दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफ़र उल इस्लाम खान ने दिल्ली सरकार को लिखा  है। दिल्ली सरकार अभी भी राजनीति में लगी है और अमानतुल्लाह और जफ़र उल इस्लाम जैसे लोगों पर लगाम नहीं लगा रही है।  इतना ही नहीं अमानतुल्लाह इस पूरे प्रकरण के दोषी मौलाना साद के समर्थन में खड़े हो गए है। अब समझने वाली बात ये है कि देश के कुल कोविड -19 संक्रमित लोगों में से 16 फीसद किसी न किसी तरह से जमात से सम्बद्ध रहे है। भारत जो इसे रोकने में लगभग कामयाब हो गया था उसे अब नई चुनैतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह की गतिविधियां भारत के विश्व गुरु बनने के रस्ते में रोड़ा लगाने के लिए भी की जा रही है जिसे हम सबको मिलकर नाकाम करने की जरुरत है।

 

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