जब से कोरोना ने विश्व में हाहाकार मचाया है तब से ही WHO की निष्क्रियता और चीन के प्रति वफादारी सभी के सामने आ गयी है। जिन देशों से भी WHO के कहे को माना है वे सभी आज कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित हैं और उन देशों में मृत्यु दर भी अन्य देशों की तुलना में अधिक है। एक बात जो भारत में भी देखने को मिली वह है भारत का WHO पर नहीं बल्कि अपने देश की ICMR यानि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद पर अधिक भरोसा करना।
भारत में अभी कोरोना के 5000 से अधिक पॉज़िटिव केस मिले हैं जो कि वैश्विक स्तर से काफी कम है। यही नहीं भारत में मृत्यु दर भी अन्य देशों जैसे अमेरिका, इटली स्पेन और चीन से काफी कम है। यह सरकार के त्वरित निर्णयों और WHO पर भरोसा न करने के कारण ही संभव हुआ।
भारत ने समय रहते अभी तक जितना भी कोरोना पर कंट्रोल किया है, उसका पूरा श्रेय सिर्फ भारतीय वैज्ञानिकों और ICMR के विशेषज्ञों को जाता है. अभी भी उन्हीं के निर्देशों पर भारत कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है।
भारत सरकार ने 17 जनवरी को ही दिल्ली, मुंबई और कोलकाता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर चीन और हॉन्ग कॉन्ग से आने वाले सभी यात्रियों के लिए थर्मल स्क्रीनिंग की घोषणा कर दी थी। उस समय तक पूरा विश्व कोरोना को एक मज़ाक के रूप में ले रहा था। यही नहीं भारत ने 21 जनवरी तक स्क्रीनिंग प्रक्रिया का विस्तार कर चेन्नई, बेंगलुरु, हैदरबाद और कोचीन तक कर दिया था।
Thermal Screening of passengers arriving from #China including #HongKong expanded to Seven airports now
Passengers to fill up ‘Self Reporting Form’ before disembarkationhttps://t.co/ojKHwtPvig#coronavirus pic.twitter.com/3TzlH4SmNG
— PIB India (@PIB_India) January 21, 2020
.@drharshvardhan on #COVID2019: total of 2,51,447 passengers have been screened from 2325 flights. #nCoV19 https://t.co/T4ZIw1a7f5
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) February 13, 2020
DGCA: In order to prevent spread of #Coronavirus in India, it has been decided to expand the universal screening of all passengers arriving in flights from Italy and Iran besides the flights from China, Hong Kong, Singapore, Japan, South Korea, Nepal, Thailand, Vietnam & Malaysia pic.twitter.com/g6bn9eDiWA
— ANI (@ANI) March 2, 2020
एक तरफ जहां WHO ने 3 फरवरी को यह कहा था कि कोरोना को हारने के लिए चीन से ट्रैवल बैन करने की आवश्यकता नहीं है, वहीं भारत सरकार ने ICMR और अन्य भारतीय एक्स्पर्ट्स के सुझाव पर 4 फरवरी को ही चीन से आने वाली सभी फ्लाइटों को बैन कर दिया था। अगर भारत ने यह नहीं किया होता तो आज भारत की भी हालत अमेरिका और यूरोप जैसी ही होती।
यही नहीं WHO ने कई बार यह रट लगाया है कि मास्क पहनने की अवश्यकता नहीं है। यह किसी भी शोध में नहीं पाया गया है कि मास्क पहनने से कोरोना नहीं होता है। WHO के दिशानिर्देशों के अनुसार, वायरस से संक्रमित लोगों को मास्क पहनने की जरूरत होती है, लेकिन सामान्य लोगों को मास्क पहनने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन यह दिशानिर्देश, WHO के कई अन्य दिशानिर्देशों की तरह, अतार्किक और सिर्फ ज्ञान योग्य था। जबकि तथ्य यह है कि asymptotic patients इस बीमारी को फैला रहे हैं। इस वजह से मास्क न पहनने की तुलना में इसे पहनना कहीं अधिक सावधानी भरा है।
अब कई शोध प्रकाशनों ने यह स्पष्ट किया है कि संक्रामक रोग को नियंत्रित करने के लिए मास्क वास्तव में एक प्रभावी उपकरण है। साथ ही, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग जैसे देशों के डेटा इस दावे का समर्थन करते हैं। जिन देशों ने मास्क को अनिवार्य किया जैसे चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और जिन देशों ने सार्वजनिक रूप से मास्क वितरित किए, ताकि कोई बिना मास्क के बाहर न आए, उनमें संक्रमण की दर बहुत कम है।
भारत में भी मास्क पहनने को लेकर लगातार कहा गया, खासकर उन जगहों पर जहां ज्यादा भीड़ होती है। इसके साथ ही भारत ने सोशल डिस्टेसिंग पर खास जोर दिया। एक तरफ यूरोप में लोग एक दूसरे से हाथ मिलाते रहे, तो दूसरी तरफ पीएम मोदी ने देशवासियों को सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने का मंत्र दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी लव अग्रवाल ने ICMR द्वारा किए गए एक अध्ययन के हवाले से सोशल डिस्टेन्सिंग के महत्व को दोहराया था। उन्होंने कहा कि अध्ययन से संकेत मिलता है कि एक COVID-19 रोगी 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है, यदि वह लॉकडाउन का पालन नहीं करता है।
ICMR की ही मदद से भारत ने कुछ हद तक Covid-19 को अन्य देशों की तुलना में रोककर रखा है। ICMR के वजह से ही भारत ने COVID-19 वायरस स्ट्रेन माइक्रोब को एक मरीज से पूरी तरह अलग करने वाला दुनिया का 5वां देश बना था।
स्वस्थ्य मंत्रालय ने ICMR को ही इस महामारी से निपटने के लिए बागडोर दे रखी है। यही नहीं जो टीम पीएम मोदी को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सुझाव दे रही है उसमें अन्य संगठनों के साथ ICMR की भूमिका प्रमुख है।
पहले भारत में अगर किसी भी प्रकार की महामारी होती थी तो ऐसा लगता था मानो पूरा देश WHO के दिशा निर्देश पर ही चल रहा है लेकिन जब से पीएम मोदी ने सत्ता संभाली है तब से भारत के तेवर में भी भारी बदलाव आया है।
कुल मिलाकर दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाला देश अगर कोरोना की भयंकर चपेट में आने से बचा है तो इसका पूरा श्रेय पीएम मोदी के फैसलों को जाता है, जिन्होंने WHO की बातों को नकारकर भारतीय स्वास्थ्य संगठन ICMR की बातों को माना।