अक्सर कई अवसरों पर हमने कुछ लोगों को एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए देखा है। कोई तंदुरुस्ती के मामले में प्रतिस्पर्धा करता है, तो कोई रचनात्मकता के मामले में प्रतिस्पर्धा करता है। पर हमारे देश में कुछ लोग इस बात की प्रतिस्पर्धा करते हैं कि कौन कितना ज़्यादा निकृष्ट हो सकता है। अभी दिल्ली और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों में ये प्रतिस्पर्धा चल रही थी कि कोई देश को अपनी हरकतों से कितना खतरे में डाल सकता है, और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सरकार ने इसे अपनी तौहीन समझते हुए सोचा, “ऐसे कैसे भाई?”
हाल ही में खबर आई है की डॉक्टर इंद्रनील ख़ान को रातोंरात पुलिस उठा कर ले गई और उन्हें हिरासत में रख लिया।। परंतु डॉक्टर का दोष क्या था? उस डॉक्टर ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टर को दिये जा रहे आवश्यक Personal protective equipment की गुणवत्ता के बारे में सवाल उठाए थे। उन्हेंने आरोप लगाया कि कैसे पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को पीपीई के नाम पर घटिया सामान दिया जा रहा है। डॉक्टरों को रेनकोट तो नर्सों को biomedical वेस्ट वाले थैले पहनने के लिए दिये गए। विश्वास नहीं होता तो इन ट्वीट्स को देख लीजिये जिसमें ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार की लापरवाही सामने आई।
परंतु कुछ ही दिनों बाद डॉक्टर साब ने ट्वीट किया कि बंगाल सरकार काफी तन्मयता से इस विषय पर काम कर रही है और वे बंगाल सरकार के आभारी हैं, जो उनकी मांगों को स्वीकार किया। इसके अलावा किसी भी प्रकार की गलतफहमी के लिए भी उन्होंने सभी से क्षमा मांगी। अब ऐसा क्या हुआ है, जो कुछ दिनों में ही इस डॉक्टर ने सुर बदल लिए? स्थानीय सूत्रों से खबर आ रही है कि डॉ इंद्रनील को बंगाल पुलिस ने हिरासत में लिया था, क्योंकि वे कथित रूप से राज्य में दहशत फैला रहे थे। इस बारे में प्रकाश डालते हुए भाजपा के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने भी एक थ्रेड पोस्ट करते हुए ममता बनर्जी की सरकार पर सच्चाई छुपने का आरोप लगाया –
Dr Indranil Khan, a reputed Oncologist, raised the issue of sub-standard PPE gears for doctors and nurses in WB. While the state health dept acknowledged it, he was picked up by Maheshtala police station and detained illegally overnight at the Zinzira Bazar Investigation Center.. pic.twitter.com/5isBQM2gJy
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) March 31, 2020
अमित मालवीय की बात की पुष्टि करते हुए डॉक्टर इंद्रनील खान ने ट्वीट किया कि वे किसी से ज़्यादा संपर्क में रह नहीं पाएंगे, क्योंकि उनके पास उनका फोन नहीं है। ऐसा लगता है कि डॉक्टर को उसके पोस्ट के लिए सजा मिली है ताकि वो आम जनता से संपर्क न कर सके जिससे पश्चिम बंगाल सरकार की लापरवाही सामने न आ सके। आपको ये मामला कुछ जाना पहचाना नहीं लग रहा? ऐसा ही कुछ चीन में भी हुआ था, जब डॉ ली वेंलियांग नामक डॉक्टर ने सर्वप्रथम COVID 19 की भयावहता को समझा था और वुहान में सभी को सचेत करने का प्रयास किया था। परंतु उसकी बात मानने की बजाए प्रशासन ने उल्टे उसे ही अफवाह फैलाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया। फलस्वरूप वो डॉक्टर उसी बीमारी से संक्रमित होकर मर गए और चीन की तानाशाही सामने न आ सकी थी।
लगता है ममता बनर्जी भी चीन की परिपाटी पर ही चल पड़ी हैं। यूं तो बंगाल में दिल्ली और महाराष्ट्र की भांति मामलों में अप्रत्याशित उछाल तो नहीं आया है, परंतु यहाँ पर स्थिति बढ़िया भी नहीं है। कहा जाता है कि बंगाल में जो पहला केस डिटेक्ट हुआ था, उसके अभिभावकों ने न केवल नियमों का उल्लंघन किया था, बल्कि उसकी ट्रैवल हिस्ट्री छुपाने का प्रयास भी किया था पर बंगाल सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इससे साफ पता चलता है कि बंगाल सरकार इस महामारी से निपटने के लिए वास्तव में कितना संवेदनशील है।