14 अप्रैल को महाराष्ट्र से एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई, जिसमें हजारों की संख्या में मजदूर बांद्रा स्टेशन के सामने इकट्ठा हुए। पर जांच पड़ताल में जो बातें सामने आईं, उससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि असल बात तो कुछ और ही थी। एक चैनल की झूठी रिपोर्ट से पूरे महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई को खतरे में डालने का प्रयास नजर आया।
जांच पड़ताल में यह सामने आया कि CAA विरोधी अभियान का हिस्सा बनने वाले एक व्यक्ति विनय दूबे ने ये सारा खेल रचा था। फिलहाल पुलिस ने विनय दुबे के खिलाफ धारा-188 और महामारी अधिनियम (Epidemic Act) के तहत केस दर्ज किया है। वहीं इस मामले में पुलिस ने लगभग 1000 लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
परन्तु विनय अकेला नहीं था। एबीपी न्यूज़ के मराठी संस्करण एबीपी माझा ने एक झूठी रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें एबीपी माझा ने दावा किया कि 14 अप्रैल को ट्रेन सेवा सीमित समय के लिए बहाल की जाएंगी।
हालांकि, यह रिपोर्ट पूर्णतया निराधार थी। रेलवे ने ऐसे किसी भी निर्णय के बारे में नहीं बात की। वैसे भी, लॉकडाउन पहले 14 अप्रैल की मध्यरात्रि के लिए निर्धारित था, वह बीच में कैसे भंग हो जाता? इसी भ्रामक रिपोर्टिंग के कारण बांद्रा में 14 अप्रैल को भारी भीड़ जमा हुई, और इसी कारण मुंबई पुलिस ने चैनल पर यह रिपोर्ट चलाने वाले पत्रकार राहुल कुलकर्णी को हिरासत में ले लिया है।
ABP Majha had reported that railways are likely to resume service for stuck migrant workers to get back to their villages. It is believed to be one of the reasons why so many gathered at Bandra. pic.twitter.com/TlJxEQCsEZ
— Parth MN (@parthpunter) April 14, 2020
परन्तु एबीपी माझा ऐसा अकेला पोर्टल नहीं है, जिसने इस तरह की भ्रामक रिपोर्टिंग की थी। इन दोनों स्क्रीनशॉट्स को ध्यान से देखिए। इंडिया टुडे और बिज़नेस स्टैंडर्ड दोनों दावा कर रहे हैं कि 15 अप्रैल को लॉक डाउन खत्म होते ही रेलवे अपनी सेवाएं बहाल करेगा।
क्या रेलवे ने ऐसी किसी भी प्लान के बारे में चर्चा की? क्या यह एक सार्वजनिक निर्णय था? बिल्कुल नहीं। परन्तु इंडिया टुडे और बिज़नेस स्टैंडर्ड को मतलब टीआरपी से था, वास्तविकता जाए तेल लेने।
इसी प्रकार लाईव हिन्दुस्तान ने भी एक भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित की, इस रिपोर्ट में अरविंद सिंह ने दावा किया था कि “रेल मंत्रालय ने 15 अप्रैल से मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाने के लिए सभी डिवीजन से तैयारी रखने को निर्देश दिए हैं। इसलिए लखनऊ, इज्जतनगर और मुरादाबाद रेल मंडल ने भी अपनी समस्त गाड़ियों, रेल इंजन और स्टेशनों को सैनिटाइज कराने का काम शुरू करा दिया है”।
रिपोर्ट में, हिंदुस्तान ने यहां तक दावा किया था कि सभी 17 ज़ोनों में सभी प्रकार की ट्रेनों के संचालन को फिर से शुरू करने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया था, यानी लंबी दूरी की यात्री ट्रेनों के साथ-साथ लोकल ट्रेने भी 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद चलने लगेंगी।
क्या रेलवे ने 15 अप्रैल से रेल सेवाओं को फिर से शुरू करने की कोई योजना घोषित की थी, जैसा कि अरविंद सिंह ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है? नहीं, इसका मतलब तो यही हुआ कि ये खबर फेक थी और यह मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के अलावा कई अन्य स्टेशनों पर और भी अराजकता पैदा कर सकता था।
ऐसी रिपोर्टस ना केवल लोगों में गलत धारणा बिठाते हैं अपितु ऐसे विकट समय में स्थिति को बद से बदतर बनाते हैं। लाईव हिन्दुस्तान ने यह रिपोर्ट 10 अप्रैल को प्रकाशित की, जबकि 9 अप्रैल को ही भारतीय रेलवे ने ऐसे किसी हुई प्रकार की खबर का पुरजोर खंडन किया था। अब भारतीय रेलवे को ट्वीट करना पड़ा, “स्पष्ट कर दें कि सभी ट्रेन सेवा 3 मई तक पूर्णतया निलंबित हैं। किसी स्पेशल ट्रेन की घोषणा नहीं हुई है। कृपया भ्रामक खबरें न फैलाएं”।
It is clarified that all Passenger train services are fully cancelled, across the nation, till 3rd May 2020 and there is no plan to run any special train to clear the passenger rush
All concerned may pl.take note of the same and help us in resisting any wrong news in this regard
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) April 14, 2020
जब इतनी विकट परिस्थिति हो, तो ऐसे में न्यूज़ चैनल और अन्य मीडिया को सतर्कता बरतनी चाहिए, ना कि लोगों में गलत धारणा फैलाए, और स्थिति को और बदतर बनाए। हिंदुस्तान ई पेपर इस तरह की पत्रकारिता से दूर रहना चाहिए, जिसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध ही नहीं। एबीपी माझा के पत्रकार की तरह ही लाइव हिंदुस्तान के इस पत्रकार खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी पत्रकार इस तरह की खबरें न फैलाये। ।