कुछ ही दिन पहले एक हृदय विदारक घटना हुई, जब महाराष्ट्र के पालघर क्षेत्र में दो जूना अखाड़ा के साधुओं – चिकाने महाराज कल्पवृक्षगिरि और सुशील गिरी महाराज की उनके ड्राइवर सहित पीट-पीट कर हत्या कर दी गईं थी।
अब सूत्रों की माने तो प्रारंभिक जांच पड़ताल में एक बहुत ही भयानक जानकारी सामने आई है। एफआईआर में नामजद पांच आरोपी मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का हिस्सा हैं।
FIR of #palgharlynching case All 5 names are local @cpimspeak members. pic.twitter.com/nxZavxBFcY
— Sameet Thakkar (Modi Ka Parivar) (@thakkar_sameet) April 20, 2020
ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि ये सब एक सुनियोजित तरीके से किया गया था, जिसमें वामपंथी लोग शामिल हो सकते हैं, और चोरी का आरोप एक सफेद झूठ था। बता दें कि साधु और उनके ड्राइवर एक फॉरेस्ट सेफ पोस्ट में रुके हुए थे, जहां पर कहा जा रहा है कि सीपीआईएम के इशारे पर 110 अभियुक्तों ने हमला किया था। जो अभी फरार हैं, वे भी सीपीआईएम के कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं।
इतना ही नहीं, जब वामपंथी ये अफवाह फैलाने का प्रयास करने लगे कि चोरी के अफवाह पर भीड़ ने साधुओं की हत्या कर दी थी, तो जूना अखाड़ा ने खबर का खंडन करते हुए कहा कि मृतकों से भीड़ ने 50000 रुपए और स्वर्ण आभूषण भी लूट थे। कौन सी हिंसक भीड़ एक व्यक्ति को मारने के बाद उससे लूटपाट करती है?
#महाराष्ट्र में:-
2 संतो की लिंचिंग ,पुलिस के सामने
पीट पीट कर मार डाला…!
बहुत ही दर्दनाक…कड़ा एक्शन
लीजिए
2 Saints mob #Lynched to death in front of @DGPMaharashtra in #Maharashtra Pls act @OfficeofUT @Dev_Fadnavis @AmitShah @narendramodi @swati_gshttps://t.co/wyW5DyHeBR— Debashish Sarkar 🇮🇳 (@DebashishHiTs) April 19, 2020
Locals say that there were many in the mob with cross on the neck who allegedly beat the Sadhu, however this can only be verified after a thorough unbiased investigation #palgharlynching
— Sameet Thakkar (Modi Ka Parivar) (@thakkar_sameet) April 19, 2020
परन्तु नक्सलियों और ईसाई मिशनरी का यह गठजोड़ कोई नई बात नहीं है। जिस क्षेत्र में यह हत्या हुई, वह महाराष्ट्र का एकमात्र क्षेत्र है जहां सीपीआईएम का विधायक है। इसके अलावा एक मिशनरी संगठन का नाम भी सामने आया है, जिसके प्रमुख शिराज़ बलसारा अभियुक्तों को ज़मानत पर छुड़ाने के लिए दिन रात एक किए पड़े है।
कष्टकारी संगठन का इतिहास काफी पुराना है। 1978 में स्थापित यह एनजीओ नक्सलियों के साथ अपने गठजोड़ के लिए काफी बदनाम है।
1980 से ही ये संगठन क्षेत्र में सीपीआईएम को बढ़ावा देते आया है, जो अभी तक जारी है। इस बार के विधानसभा चुनावों में भी संगठन ने सीपीआई एम प्रत्याशी का दहानू क्षेत्र में समर्थन किया था, और वह जीता भी।
इसी संगठन के संस्थापकों में से एक निक्की कॉर्डोसो ने इस नारे का इजाद किया था – भिक्षा से शस्त्र तक लेकिन, अगर इन्हें कोई नक्सली समर्थक बोल दे , तो निकी महोदय को दिन में तारे दिखने लगते हैं।
https://twitter.com/BBTheorist/status/1251881067956457474
इतना ही नहीं, ये संगठन अपने आप को कानून से भी ऊपर मानता है। गांव गांव में जनता अदालत के नाम पर ये संगठन अपने एजेंडा को मजबूत करता है।
शायद इसीलिए इन साधुओं की एक योजनाबद्ध तरीके से हत्या की गई और जिस तरह से उन्हें मारा गया, उससे नक्सलवाद की दुर्गंध स्पष्ट आती है। पालघर क्षेत्र तो स्वयं नक्सलवादियों का गढ़ रहा है।
पालघर की मोब लिंचिग की घटना से लगता है कि नक्सल-मिशनरी का गठजोड़ देश के लिए हानिकारक है। यदि इन्हें नियंत्रित नहीं किया गया, तो स्थिति बद से बदतर हो सकती है।