पूरी दुनिया में कोरोना का कहर है, जिला प्रशासन से लेकर केंद्र सरकार तक कोरोना से लड़ने में अपनी जी जान लगा रहे हैं। परंतु कुछ पार्टियां इस विपदा में भी राजनीति कर लोगों की जान खतरे में डाल रही हैं, अपना फायदा देख रही हैं। यही मुंबई के बांद्रा में देखने को मिला जब अफवाह उड़ाकर हजारों श्रमिकों को बांद्रा स्टेशन पर जमा कर दिया गया। इस अफवाह में NCP के एक नेता विनय दुबे का नाम सामने आ रहा है जो NCP के टिकट पर वाराणसी से चुनाव लड़ चुका है। किसी NCP के नेता का नाम आना किस ओर इशारा करता है? जब सरकार में NCP भी शामिल है तो किसी NCP के नेता द्वारा ये सब क्यों कराया जा रहा है? इसके कई उत्तर नजर आ रहे हैं लेकिन सबसे प्रमुख है NCP यानि शरद पवार का महाराष्ट्र सरकार पर नियंत्रण या फिर उसे गिराकर खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए जगह बनाना। देखा जाए तो जिस तरह से यह मजदूरों को जुटाने का खेल रचा गया था वह उद्धव को एक बेकार CM के रूप में स्थापित कर देगा। महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे अधिक मामले आ चुके हैं और इसके बाद बांद्रा में हुआ कांड उद्धव पर ही भारी पड़ने वाला है।
जब से महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी की सरकार बनी है तब से ही कांग्रेस, NCP और शिवसेना के बीच खटपट की खबरें आती रहती हैं, कभी भीमा कोरेगांव को लेकर तो कभी सावरकर को लेकर। वास्तव में शरद पवार शुरू से ही सत्ता के केंद्र में ही रहना चाहते हैं। जो भी महाराष्ट्र की राजनीति को जानता होगा उसे यह तो पता ही होगा कि शरद पवार सिर्फ और सिर्फ स्वयं के लिए वफादार हैं और किसी के लिए नहीं।
महाराष्ट्र में चल रही सरकार UPA कि मनमोहन सरकार से मेल खाती है क्योंकि तब भी PM मनमोहन सिंह थे लेकिन सरकार कोई और चलाता था। महाराष्ट्र में भी उद्धव बस CM हैं सत्ता की असली ताकत कहीं और है। जब से महाराष्ट्र में कोरोना का कहर आया है तभी से NCP की ओर से उप मुख्यमंत्री और शरद पवार के भतीजे अजित पवार गायब से हो चुके हैं। इस विपत्ति के समय उद्धव बिना किसी दूरदर्शिता के सरकार चला रहे हैं जिसका परिणाम हमें महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते केस से पता चल रहा है।
अब जहां तक बांद्रा में हुए कांड की बात है तो उद्धव अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहेंगे। एक ओर कोरोना के बढ़ते मामले से उद्धव सबसे बेकार मुख्यमंत्रियों में पहले ही शामिल हो चुके हैं। इसके बाद बांद्रा में हजारों लोगों को जुटा कर मोदी सरकार पर आरोप नहीं लगाएंगे। इससे उद्धव और शिवसेना को कोई फायेदा नहीं होने वाला था तो फिर इससे फायेदा किसे होता? इससे सबसे अधिक फायेदा NCP को ही होता। इस पूरे प्रकरण का ठीकरा उद्धव के सर ही फूटेगा और पवार को उद्धव से CM की कुर्सी छीनने का एक और बहाना मिल जाएगा।
इस पूरे प्रकरण में NCP के एक नेता विनय दुबे का नाम सामने भी आ चुका है कि किस तरह से उसने सोशल मीडिया पर ‘चलो घर की ओर’ कैंपेन चलाया जिससे यह भीड़ एकत्रित हुई। उसने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट में भी इस बात का जिक्र किया था। हालांकि, बाद में पोस्ट को हटा दिया गया। यही नहीं NCP की एक्टिविस्टों और अर्बन नक्सल के साथ भी अच्छी दोस्ती है जिससे वे इतनी भीड़ को जुटाने में सक्षम हुए होगें।
बांद्रा में हुए इस घटना के बाद शरद पवार का बयान भी काफी जल्दी सामने आ गया जिसमें उन्होंने कहा था कि बांद्रा रेलवे स्टेशन की घटना चिंताजनक है। उनके मुताबिक, यह घटना सोशल मीडिया पर गुमराह करने वाली पोस्ट डालने से हुई है। हम सभी को इस तरह की भ्रमित करने वाली पोस्ट डालने से बचना चाहिए। उनके मुताबिक, इस समय देश के कई नेता सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी में लगे हैं। यह समय राजनीति करने का नहीं है। इस समय सबका लक्ष्य कोरोना को पराजित करना होना चाहिए। सभी को लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करना चाहिए। सभी लोग कोरोना का सामना करने के लिए सरकार का सहयोग करें।
राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख भी NCP के हैं उधर जिस स्थान पर भीड़ इकट्ठा हुई उससे 100-200 मीटर पर पुलिस स्टेशन है। ये कैसे हो सकता है कि इतनी बढ़ी संख्या में भीड़ जमा होने वाली है और स्थानीय पुलिस इससे बिलकुल अनभिज्ञ रही? ऐसा लगता है कि पुलिस अनिल देशमुख के नियंत्रण में थी।
पवार को यह भी पता है उद्धव के के सामने मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए संवैधानिक दांव पेंच भी है क्योंकि उनके इस पद पर 6 महीने पूरे होने जा रहे हैं और वे किसी भी सदन यानि विधान सभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं है।
इसी कारण से ऐसा हो सकता है कि शरद पवार ने उद्धव की सरकार को ही बदनाम कर गिराने के लिए यह चल चली हो जिससे वे या उनके भतीजे मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो सके। सभी तथ्य भी इसी ओर इशारा करते हैं। ऐसे में अगर ऐसा होता हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए।



























