दुनिया में कोरोनावायरस से पहले कई महामारी आई और गईं, लेकिन जिस तरह कोरोना ने विज्ञान के सभी सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाते हुए दुनिया के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के सामने एक अविश्वसनीय चुनौती पेश की है, वह आज से पहले कभी देखने को नहीं मिला। बिना लक्षण वाली बीमारी से लेकर, ठीक हुए रोगी में दोबारा संक्रमण होने तक, इस वायरस ने जीवविज्ञान की सभी theories का मज़ाक बना दिया है।
नॉवल कोरोनावायरस के कारण अब तक दुनिया में 1 लाख से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और दुनियाभर के लगभग 18 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। यह दिखाता है कि कोरोनावायरस बहुत तेजी से फैलता है। दुनिया पहले भी ऐसे वायरसों को झेल चुका है जो बहुत तेजी से फैलते हों, लेकिन उन बीमारियों में रोगियों का मृत्यु दर बहुत कम था। उदाहरण के तौर पर वर्ष 1968 में आई फ्लू महामारी में सिर्फ 0.5 प्रतिशत रोगी ही मारे गए थे, जबकि कोरोना के रोगियों में मृत्यु दर कुछ देशों में तो 10 प्रतिशत तक है। इसी कारण यह वायरस इतना खतरनाक साबित हो रहा है।
कोरोनावायरस की एक और खास और सबसे बुरी बात यह है कि हाल ही की एक स्टडी के मुताबिक इसकी चपेट में आने वाले व्यक्तियों में से सिर्फ 22 प्रतिशत व्यक्तियों में ही बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, और 78 प्रतिशत मामलों में रोगी को यह पता ही नहीं चल पाता कि वह बीमार है और वह कोरोना से और ज़्यादा लोगों को संक्रमित करता रहता है।
चीन, जहां कोरोनावायरस की सबसे पहले शुरुआत हुई, वहाँ पर अब ऐसे मामलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है जहां बिना लक्षण वाले मरीजों में कोरोना पॉज़िटिव पाया जा रहा है। चीन में 1 अप्रैल को कोरोना के कुल 166 नए मामले सामने आए थे, जिनमें से 78 प्रतिशत यानि 130 मामलों में मरीजों में कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहा था। यह भी अपने आप में बड़ी हैरान करने वाली बात थी। यह दिखाता है कि सिर्फ बड़े पैमाने पर टेस्ट करके ही इस बीमारी का रोकथाम किया जा सकता है।
अभी आपको कोरोनावायरस का और भी भयावह रूप दिखाते हैं। दुनियाभर में यह देखने को मिल रहा है कि इस बीमारी से ठीक हुए लोगों में दोबारा कोरोना पॉज़िटिव पाया जा रहा है। दक्षिण कोरिया और चीन में यह देखने को मिल चुका था, वहीं अब ऐसा ही नोएडा में भी देखने को मिला है। नोएडा के सेक्टर-137 स्थित 21 वर्षीय युवती और सेक्टर-128 का एक युवक दो जांच नेगेटिव आने के बाद भी पॉजिटिव हो गए हैं। दोनों को तीन दिन पहले इलाज के बाद घर भेज दिया गया था। दोनों मरीजों के पॉजिटिव आने के बाद उन्हें दोबारा ग्रेटर नोएडा के ‘जिम्स’ में भर्ती कर लिया गया है। दोनों मरीजों का नमूना लेकर चौथी बार जांच के लिए भेजा गया है, अब यह देखना बाकी है कि चौथी रिपोर्ट में क्या निकलकर आता है।
इससे पहले दक्षिण कोरिया में भी हम ऐसे ही देख चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक कम से कम 51 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद लोगों में दोबारा कोरोना पॉज़िटिव पाया गया है। इसका मतलब यह है कि अभी भारत में जिन 900 लोगों को कोरोना के उपचार के बाद घर भेज दिया गया है, वे भी इस बीमारी के साइलेंट कैरियर्स साबित हो सकते हैं।
कोरोनावायरस अपने आप में अनोखा है और अद्वितीय है। इसका एक नमूना आप इस वायरस के इनक्यूबेशन पीरियड के जरिये भी देख सकते हैं। किसी भी आम वायरस की तरह इस वायरस के बारे में शुरू में कहा गया कि इस वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन का है। यानि अगर कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है तो 14 दिनों के अंदर-अंदर उस व्यक्ति में बीमारी के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं, लेकिन अब कुछ शोधों में यह पीरियड 14 दिन ना होकर बल्कि 19 या 27 दिन निकलकर आ रहा है। उदाहरण के तौर पर हुबई प्रांत की सरकार ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया था कि इस वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड 27 दिनों का है, जबकि JAMA ने फरवरी में अपने एक शोध में दावा किया था की यह पीरियड 19 दिनों का है।
दुनियाभर की सरकारों ने इस unique वायरस से पैदा होने वाली बीमारी Covid-19 की रोकथाम के लिए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेन्सिंग जैसे तरीकों को अपनाया है, जो काफी हद तक सफल भी रहे हैं, लेकिन कोरोनावायरस की इन खूबियों के बारे में जानकर अब सरकारों के लिए भी लॉकडाउन को खोलना खतरे से खाली नहीं होगा। इस बात के अभी पूरे-पूरे अनुमान हैं कि जैसे ही लॉकडाउन को खोला जाएगा, वैसे ही कोरोना के मामले फिर से रफ्तार पकड़ने लगेंगे, इसलिए आज के समय में वैक्सीन का पता लगाना सबसे ज़्यादा ज़रूरी हो गया है।