हाल ही में पीएम मोदी ने भारत को आत्म-निर्भर बनाने और देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए देश के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया। यह आर्थिक पैकेज देश की कुल GDP के 10 प्रतिशत के हिस्से के बराबर है, जो कोरोना से जूझ रहे भारत के उद्योगपतियों, किसानों और व्यवसायों को राहत देगा। हालांकि, सरकार ने इस बड़ी योजना को अंजाम देने के लिए इस प्रकार योजना बनाई है कि सरकार पर सिर्फ 1 लाख करोड़ का ही बोझ पड़े ताकि कोरोना महामारी के समय में सरकार के सभी खर्चों की पूर्ति हो सके।
Essentially this is to spurt growth and to build a very self reliant India and that is why this whole initiative is called #AtmanirbharBharatAbhiyan: Finance Minister Nirmala Sitharaman. #EconomicPackage pic.twitter.com/Z2VLTpH8i4
— ANI (@ANI) May 13, 2020
20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में से सरकार द्वारा फरवरी, मार्च और अप्रैल के महीने में लगभग 8 लाख करोड़ रुपए तो पहले ही सिस्टम में इंजेक्ट किए जा चुके हैं। इसके अलावा निर्मला सीतारमण ने 27 मार्च को 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज का भी ऐलान किया था। यह ऐलान देशभर में लॉकडाउन लागू के कुछ दिन बाद किया गया था। कुल मिलाकर देखा जाए तो इस आर्थिक पैकेज का लगभग आधा हिस्सा तो पहले ही अर्थव्यवस्था में इंजेक्ट कर दिया गया है।
बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने MSME सेक्टर को राहत प्रदान करते हुए आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था। इस राहत पैकेज की कुल वैल्यू भी लगभग 6 लाख करोड़ थी। 13 मई को प्रेस कोंफेरेंस में सीतारमण ने MSMEs के लिए बिना गारंटी के 3 लाख करोड़ रुपये के लोन देने की घोषणा की, जिसका लगभग 45 लाख MSME फायदा उठा सकेंगे। इसकी समय-सीमा 4 वर्ष की होगी और 12 महीने तक मूलधन भी नहीं चुकाना होगा। इस प्रकार अगर कोई लोन लेने वाला बिजनेस डिफ़ाल्ट भी कर देता है तो पहले एक साल में तो सरकार पर कोई दबाव नहीं आएगा। ऐसे में सरकार पर आर्थिक बोझ सिर्फ 25 हज़ार 500 करोड़ बैठता है।
वित्त मंत्री ने कल यानि 14 मई को देश के नाम सम्बोधन दिया। इसमें उन्होंने 3 लाख 16 हज़ार करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया, और इस बार उन्होंने किसानों और मजदूरों पर फोकस किया। हालांकि, सरकार पर इस ऐलान का त्वरित प्रभाव भी सिर्फ 10 हज़ार करोड़ रुपयों का ही आएगा।
सरकार ने अपने राहत पैकेज में सभी प्रकार के उद्योगों का खास रखा है, ताकि इस महामारी के दौरान उनको वित्तीय तौर पर बर्बाद होने से बचाया जा सके। सरकार ने ये बड़े कदम उठाए हैं:
- MSME सेक्टर के लिए बिना गारंटी के 3 लाख करोड़ रुपये के लोन की सुविधा
- ईपीएफ में 2500 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
- EPF को लेकर पहले दी गई राहत जून, जुलाई और अगस्त में भी सरकार द्वारा दी जाएगी।
- ईपीएफ में निजी कंपनियों के अंशदान को 12 फीसद से घटाकर 10 फीसद किया गया। ईपीएफ में कटौती से इम्प्लॉयर्स को 6800 करोड़ का फायदा: वित्त मंत्री
- एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और MFIs के लिए 30,000 रुपये की नकदी सुविधा
Statutory PF contribution by employer reduced to 10 pc from 12 pc earlier; to provide Rs 6,750 cr liquidity relief: FM
— Press Trust of India (@PTI_News) May 13, 2020
सरकार का यह राहत पैकेज देश की कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा और देश में “मांग” को बढ़ावा देगा, जिससे manufacturing सेक्टर को भी सहारा मिलेगा। इसी प्रकार देश की अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर आएगी। सरकार देश में 17 मई के बाद से लॉकडाउन का चौथा चरण देशभर में लागू करेगी जहां देश में कुछ शर्तों के साथ दोबारा आर्थिक गतिविधियों के शुरू करने को मंजूरी दी जा सकती है। आज जब कोरोना के समय दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं डूबने की कगार पर है, तो ऐसे वक्त में देश में आर्थिक विकास दर positive रखना सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।