जब से देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन की घोषणा हुई है, तब से देश के लोकल किराना स्टोर्स ने भी देश को चलाये रखा है। अगर देश में इन किराना स्टोर्स का इतना बड़ा नेटवर्क ना होता, तो देशभर में खाने-पीने की चीजों से लेकर ज़रूरी चीजों की बड़ी भारी किल्लत हो जाती।
अब देश की सरकार ने भी इन किराना स्टोर्स की ज़रूरत को समझा है और इन्हें सहायता देने के लिए ही नीति बनाई है। जब सरकार ने देश में लॉकडाउन के दूसरे चरण की घोषणा की थी, तो सरकार ने यह साफ कर दिया था कि ई-कॉमर्स कंपनियों को आवश्यक चीजों के अलावा किसी अन्य चीज़ की सप्लाई करने की छूट नहीं दी जाएगी।
अब तीसरे चरण में भी सरकार ने यह साफ कर दिया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को red zone area में सिर्फ आवश्यक चीजों को बेचने की ही छूट दी जाएगी। कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों ने इस आदेश को इस तरह समझा कि अब उन्हें ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन में काम करने की छूट दे दी गयी है। हालांकि, लाखों स्थानीय किराना स्टोर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली व्यापारियों के संगठन The Confederation of All India Traders यानि CAIT ने तुरंत यह साफ कर दिया कि अभी इन ई-कॉमर्स कंपनियों को किसी भी ज़ोन में काम करने की छूट नहीं है। लेकिन कुछ भी हो, अब सरकार इन किराना दुकानदारों को बड़ी राहत दे रही है।
संजीव सान्याल किराना स्टोर्स के आधुनिकीकरण के पक्ष में
कुछ सप्ताह पहले Principal Economic Advisor संजीव सान्याल ने इन किराना स्टोर्स के पक्ष में ट्वीट भी किया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था “देशभर में लॉकडाउन को सफल बनाने में किराना स्टोर्स की अहम भूमिका है। कई मुश्किलों के बावजूद देशभर के 130 करोड़ लोगों को उन्होंने घर के दरवाजे तक उनका सारा सामान पहुंचाया है। इनका प्रयास सराहनीय है”।
इसके अलावा वे इन किराना स्टोर्स के आधुनिकीकरण के पक्ष में भी लिख चुके हैं। संजीव के मुताबिक “किराना स्टोर नेटवर्क सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था में ही बड़ी भूमिका नहीं निभाते हैं, बल्कि वे हमारी सामाजिक पूंजी का भी बड़ा हिस्सा होते हैं। इन्हें बचाकर रखना ही होगा। हमें आज के बाज़ारों में 21वीं सदी के हिसाब से आधुनिकीकरण करने की ज़रूरत है”।
One of the backbones of the #Covid19 lockdown is India's Kirana-shop network. They have not merely kept 1.3bn people supplied despite many difficulties, they extend localized credit, provide doorstep delivery, and source products for specific needs. An incredible effort.
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) April 18, 2020
संजीव के अलावा भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी इससे पहले इन स्टोर्स के पक्ष में बात कर चुके हैं। पिछले साल एक इवैंट में बोलते हुए पीयूष गोयल ने कहा था “Amazon ने बेशक करोड़ों डोलर्स का निवेश किया हो, लेकिन हर साल वे करोड़ों डोलर्स का घाटा उठा रहे हैं। भारत में निवेश कर वे भारत पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं”।
कोरोना के खिलाफ जंग में अग्रणी भूमिका निभा रहे किराना स्टोर्स
स्पष्ट है कि सरकार कोरोना के खिलाफ जंग में अग्रणी भूमिका निभाने वाले किराना स्टोर्स का पक्ष लेती दिखाई दे रही है। भारत में अभी ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी कंपनियाँ ही काम कर रही हैं, जिनमें Amazon और Flipkart सबसे बड़ी कंपनियाँ हैं। सरकार इन सब को छोड़कर Jiomart को सहायता देना चाहेगी, जो कि अपने ई-कॉमर्स मॉडल में इन किराना स्टोर्स को प्राथमिकता देता है। Jiomart ने मुंबई में पहले ही इसके ट्रायल शुरू कर दिये हैं और फेसबुक से हुई हाल ही डील के बाद jiomart whatsapp के जरिये भी ग्रामीण बाज़ारों तक पहुँच बनाने की कोशिश करेगा।
किराना स्टोर्स को प्राथमिकता देकर सरकार ने उन्हें वो दिया है, जिसके वो हकदार हैं। कई सालों तक देश में ये ई-कॉमर्स कंपनियाँ नियमों की धज्जियां उड़ाकर कारोबार करती रहीं और देश के इन किराना स्टोर्स को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता रहा, लेकिन अब सरकार सही दिशा में कदम उठा रही है।