वुहान वायरस को दुनिया में आए कई महीने हो चुके हैं और दुनिया के कई मायने अब बदलने वाले हैं। कई ऐसे शहर, जो अपने बहुसांस्कृतिक परिवेश के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं, वो इस महामारी से सबसे अधिक पीड़ित है। मुम्बई क्या न्यूयॉर्क, सभी इस महामारी से बहुत बुरी तरह पीड़ित हैं।
किसी भी महामारी के साथ एक बड़ी रोचक बात है, कि जब वो हमला करती है, तो उसकी चपेट में सर्वप्रथम कॉस्मोपॉलिटन शहर ही आते हैं। ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि इन शहरों में कोई विशेष रोकटोक तो कभी थी है नहीं।
न्यू यॉर्क
अब न्यू यॉर्क सिटी का ही उदाहरण ले लीजिए। यह एक विश्व प्रसिद्ध कॉस्मोपॉलिटन हब माना जाता है, और यहां हर दिन 6 करोड़ पर्यटक भ्रमण करने आते थे। 2018 तक आधिकारिक रूप से इस शहर में 31 लाख अप्रवासी निवास कर रहे थे, जिनमें कई तो वैधानिक रूप से अमेरिकी नागरिक बन भी चुके थे।
न्यू यॉर्क सिटी पूर्ण रूप से बहुसांस्कृतिक व्यवस्था में विश्वास रखता है, और शायद यही कारण है कि जब वुहान वायरस ने अमेरिका में दस्तक दी, तो यही कॉस्मोपॉलिटन स्वभाव उसके लिए अभिशाप बन गया. कॉस्मोपॉलिटन शहरों में हवाई ट्रैफिक बहुत अधिक होता है, और न्यू यॉर्क में तो सबसे बिज़ी एयरपोर्ट चलते थे, जहां पर दुनिया के कोने-कोने से हजारों की संख्या में यात्री पधारते थे। ऐसे में कोई हैरानी की बात नहीं हुई जब न्यू यॉर्क में सबसे पहला केस ईरान से आए एक स्वास्थ्य कर्मचारी का था, जो अपने मूल स्थान से वापस आया था, और दो ही दिन में वह इस बीमारी से संक्रमित पाया गया
आज यह सिद्ध हो चुका है कि वुहान वायरस के अधिकतर यूरोप से आए अप्रवासियों की कृपा से फैले थे। यूएस के 12 लाख 90 हज़ार से अधिक मामलों में से लगभग 178000 मामले तो केवल न्यू यॉर्क सिटी में पाए गए हैं। अब भी आपको लगता है कि इसमें कॉस्मोपॉलिटन का रोल नहीं?
लंदन
लंदन की कहानी भी न्यू यॉर्क से ज़्यादा भिन्न नहीं है। यूके के कुल मामलों में से लगभग 10 प्रतिशत तो केवल लंदन से ही आते हैं, और यहां भी प्रमुख कारण शहर का बहुसांस्कृतिक परिवेश है, जिसके कारण अधिकतर लोग बेरोकटोक आते जाते रहे हैं। कई तो बेहद संकुचित इलाकों में रहते है, जो महामारी के खतरे को और अधिक बढ़ाते हैं।
मुंबई
अब बात मल्टी कल्चरल शहरों की हो, और हम मुंबई की बात ना करें, ऐसा भला हो सकता है क्या? भारत में यदि इस महामारी से कोई सर्वाधिक रूप से पीड़ित है, तो वो यही शहर है, जहां के कुल मामले भारत के कुल मामलों का ही लगभग 20 प्रतिशत है.
मुंबई के कॉस्मोपॉलिटन स्वभाव से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। विश्व में सबसे अधिक भ्रमण किए जाने शहरों में से एक माना जाता है मुंबई, और यहां का एयरपोर्ट विश्व के सबसे सक्रिय एयरपोर्ट्स में से एक माना जाता है। यही कारण है कि अधिकांश मामले मुंबई में केवल इसी परिवेश के कारण आए हैं। रही सही कसर तो महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार के कुशासन और लॉक डाउन के निष्क्रियता से लागू करने के कारण हुई है.
सिंगापुर
इसी भांति सिंगापुर, जिसे कल तक वुहान वायरस से निपटने में एक विशिष्ट उदाहरण माना जा रहा है, आज खुद इस महामारी की चपेट में है। हालांकि यहां मात्र 20 लोग इस महामारी से मरे हैं, परन्तु 18000 से अधिक लोग संक्रमित भी हुए हैं। सिंगापुर में चीन, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों से काफी भारी संख्या में अप्रवासी हर वर्ष आते रहते हैं, जिससे कई जगह रहने की व्यवस्था में काफी समस्याएं देखी गई हैं। इसी कारण यहीं के 90 प्रतिशत इन्हीं भीड़-भाड़ वाले अप्रवासी इलाकों की देन मानी जाती है.
न्यू यॉर्क हो या फिर मुंबई, ऐसे कॉस्मोपोलिटन शहर अपने आप में वुहान वायरस के बहुत बड़े कैरियर सिद्ध हुए हैं। जो शहर जितना ज़्यादा उदार और बहुसांस्कृतिक हुआ है, वह महामारी के समय सबसे पहले घुटने टेक चुका है। आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं हुआ है, और ना ही ये अंतिम बार होगा।