भारत के बढ़ते वैश्विक कद से यदि किसी को सबसे ज़्यादा चिढ़ मच रही है, तो वह निस्संदेह चीन है। वुहान वायरस के कारण दुनिया भर से गालियां खाने की बौखलाहट अब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर गुंडागर्दी के रूप में निकल रही है, मानो चीन को भारत से जंग लड़ने की ज़बरदस्त खुजली हो रही है।
पिछले एक महीने से भारत चीन बॉर्डर पर आपसी झड़प के अनेकों किस्से सामने आ रहे हैं। अब चीन ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए पंगोंग ट्सो लेक क्षेत्र के पास गलवान क्षेत्र में तम्बू गाड़ने शुरू कर दिए हैं। इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली में स्थित राजनयिकों ने इस पर काफी चिंता जताई है। इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस ने यह भी बताया है कि चीनियों के बार-बार हेकड़ी दिखाने के कारण पूर्वी लद्दाख में भारतीय फौज की आवाजाही कुछ ज़्यादा ही बढ़ी है.
पर समस्या किस बात की है? चीन ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह अक्साई चिन वाले इलाके के गलवान वैली में सैन्य फैसिलिटीज का अवैध निर्माण कर रहा है. China के सरकारी मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है और आरोप लगाया है कि भारत गलवान वैली इलाके की बार्डर को पार करते हुए चीनी क्षेत्र में दाखिल हुआ।
इस रिपोर्ट में किसी सूत्र के हवाले से लिखा गया है-
‘भारत की इस कार्रवाई से बार्डर पर हुए दोनों देशों के बीच समझौतों का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ है। यही नहीं इससे चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन होने के साथ–साथ दोनों देशों के सैन्य संबंधों को नुकसान पहुंचा है।‘
ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि इस क्षेत्र में भारतीय सैनिक गश्ती के लिए आते हैं और यह मई के शुरुआत से ही हो रहा है। जिन्हें रोकने के लिए यह तैनाती की गई है। चीन ने भारत पर लगाए आरोप पत्र में दावा किया है कि गैलवोन घाटी पर उसका अधिकार है। इस क्षेत्र में भारत सामरिक ठिकाने बनाकर नियंत्रण रेखा पर एकतरफा बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है।
इसी कारण से चीनी सैनिक कुछ ज़्यादा ही आक्रामकता दिखा रहे हैं, और उन्होंने LAC के भारतीय क्षेत्र के आस पास काफी मोर्चाबंदी प्रारंभ कर दी है, जिसमें 70 से 80 टेंट, भारी वाहन और मॉनिटरिंग इक्विपमेंट भी हैं। पर यह समस्या गालवान क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। पांगोंग त्सो लेक क्षेत्र में भी घुसपैठ बढ़ा रहा है, और भारतीय सैनिकों को फिंगर 4 क्षेत्र में घुसने से रोक रहा है.
अब इन सब गतिविधियों से एक बात तो पूर्णतया स्पष्ट है – चीन भारत को ना सिर्फ दबाने का प्रयास कर रहा है, बल्कि शायद भारत से युद्ध करने को कुछ ज़्यादा ही उतावला हो रहा है, कर इतना उतावला तो चीन के अलावा ख़ाली पाकिस्तान दिखाता है।
अभी मई के प्रारंभ में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों में लद्दाख में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें लोहे की रॉड, डंडे और पत्थर, सबका प्रयोग हुआ था। इसके कारण दोनों जगह काफी लोग घायल भी हुए थे.
शायद चीन ये भूल रहा है कि यह 1962 नहीं है, जहां वे जब चाहे तब भारतीय क्षेत्र पर धावा बोल सकते हैं और भारतीय सैनिकों की निर्मम हत्या कर देंगे। ये 2020 का भारत है, जो ना सिर्फ पलटवार करना जानता है, अपितु चीन की हेकड़ी को पटक-पटक के धोना भी जानता है।
चीन किस तरह से भारत को युद्ध के लिए उकसा रहा है, ये इसी से पता चलता है कि चीन का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स खुलेआम भारतीयों को धमकी देने पर उतर आया। हाल ही में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था, “भारत अपने सशंक व्यवहार के कारण यूएस चीन की लड़ाई में गंभीर परिणाम भुगत सकता है।“
परन्तु चीन ये भूल रहा है कि यह वही भारत है, जिसने 1967 में चीनी सेना को सिक्किम में पटक पटक के धोया था। इसके अलावा 2017 में डोकलाम में भूटान पर दादागिरी दिखाने वाले चीन को भी भारत ने बिना हाथ उठाए करारा जवाब दिया था।
ऐसे में चीन का एक गलत कदम उसके पूरे शासन की छवि को ना सिर्फ हमेशा के लिए ध्वस्त करेगा, अपितु भारत चीन को ऐसा सबक सिखाएगा, कि वो जीवन भर उसे भूल नहीं पाएगा।