कुछ दिनों पहले कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने हिंदू मंदिरों के सोने को कोरोना काल में उपयोग करने को लेकर बेहद विवादित बयान दिया था. उसके बाद देश भर के हिंदुओं और संत समाज में रोष देखने को मिला। अब एक नई खबर में द्वादश ज्योतिर्लिंग में सर्वोपरि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार ने बेहद कड़ा फैसला लिया है। महंत परिवार ने पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार का काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दिया है। साथ ही उन्होंने देश के अन्य ज्योतिर्लिंग के पूजारियों से आग्रह किया है कि वह इसी तरह के कदम उठाएं।
महंत परिवार ने पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार का प्रवेश काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्जित कर दिया है#varanasi #prithvirajchauhan https://t.co/h158BsmovD
— AajTak (@aajtak) May 15, 2020
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा, ‘पृथ्वीराज का वक्तव्य सुनकर मैं हतप्रभ हूं। यह कांग्रेस की ही सरकार थी जब काशी विश्वनाथ मंदिर में चोरी कराकर इन लोगों ने अधिग्रहण करा लिया।‘
डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कांग्रेस पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, “1983 में काशी विश्वनाथ मंदिर में हुई चोरी में कांग्रेस मुख्य भूमिका में रही है। पृथ्वीराज चव्हाण अवसाद ग्रस्त हैं, वे मानसिक संतुलन खो चुके हैं या पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। मंदिर में भक्तों के चढ़ाए हुए दान, पुण्य और फल सरकार नहीं लेती है।”
उन्होंने कहा कि कि पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार को विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि ‘देश के अन्य ज्योतिर्लिंग के महंतों से भी आग्रह है कि वह भी इनके प्रवेश पर रोक लगा दें। इनका बहिष्कार होना बहुत ही आवश्यक है।’
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा- “मैं कदापि इनका मंदिर में प्रवेश होने नहीं दूंगा और न केवल अपने जीवन काल में ही बल्कि आगे की पीढ़ियों के लिए भी लिख जाऊंगा ताकि पृथ्वीराज चव्हाण और इनका परिवार विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश न करने पाए।”
बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने 13 मई को ट्वीट कर यह विवादित बयान दिया था कि केंद्र सरकार राष्ट्र को आर्थिक संकट से उबारने के लिए देशभर के मंदिर ट्रस्टों के पास पड़े सोने को अपने कब्जे में ले लेना चाहिए जिससे सरकार को लगभग 76 लाख करोड़ रुपये की मदद मिलेगी।
कांग्रेस और उसके इकोसिस्टम का पुराना सपना रहा है कि कैसे भी देश के मंदिरों में जमा सोने-चांदी को निकाला जाए। अभी कोरोना का बहाना लेकर तुरंत विवाद खड़ा किया जा रहा है लेकिन आश्चर्य की बात है कि किसी ने भी मस्जिद या चर्च से किसी भी प्रकार की मांग नहीं की है।
मंदिरों का पुराना इतिहास रहा है कि चाहे कैसी भी विपत्ति आए, सबसे धनी मंदिर से लेकर सामान्य मंदिर तक दान में मिलने वाले धन सरकार को देते हैं। इस बार भी कोरोना के समय में कई भारतीय मंदिरों ने राज्य सरकारों के राहत कोष तथा PMCARE में कई करोड़ धन जमा करा चुके हैं लेकिन किसी भी मस्जिद या चर्च से यह दान की खबर नहीं आई है।
बता दें कि सनातन हिन्दू धर्म के मंदिर हजारों सालों से हिन्दुओं की आस्था और संस्कृति के केन्द्र रहे हैं। इन मंदिरों में ही सनातन संस्कृति पुष्पित हुई है और संस्कृति को बचाने के लिए लोगों अपने मन से सोना, चांदी, जमीन और रुपयों का दान करते हैं। देश में मौजूद लाखों मंदिरों में धन सम्पदा पर इतिहास के हर कालखंड के शासकों की नजर रही है, आज भी इस पर सरकारों की नजर रहती है।
अब क्योंकि कांग्रेस की सत्ता सिर्फ कुछ ही राज्यों तक सिमट चुकी है ऐसे में पूरा इकोसिस्टम वापस भ्रष्टाचार करने के लालायित है। इसी लिए वे छह रहे हैं कि मंदिरों के सोने को भी सरकार बाहर निकाले और उन्हें कुछ मौका मिले। ये वही नेता हैं जो जनता को बेवकूफ बनाने के लिए चुनाव के समय तुरंत मंदिरों की ओर भागते हैं।
वे ही आज इन मंदिरों के दान में मिले सोने निकालने की बात कर रहे हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार ने जो किया वह एक उदाहरण के तौर पर देखा जाना चाहिए। देश में 4 धाम, 7 सप्तपुरी, 12 ज्योतिर्लिंग, 51 शक्ति पीठ के सभी अलावा लाखों मंदिरों में भी प्रवेश से रोक लगा देनी चाहिए।