अर्श से फर्श तक आने में समय नहीं लगता और इसका बेहतरीन उदाहरण हैं मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री 94 वर्षीय महातिर मोहम्मद। 10 जुलाई, 1925 को मलेशिया के केदाह में जन्मे महातिर मोहम्मद मलेशिया की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे हैं। मलेशिया के प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने इस देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। वो वर्ष 981-2003 और फिर वर्ष 2018–20 तक मलेशिया के प्रधानमंत्री के पद पर रहे और जनता से भी उन्हें भरपूर प्यार मिला। उनके लंबे कार्यकाल ने मलेशिया को आर्थिक विकास के लिए आवश्यक राजनीतिक स्थिरता प्रदान की। परंतु पार्टी में एक ओहदा रखने वाले महातिर के एक गलत कदम ने उन्हें आज इस स्थिति में पहुंचा दिया है कि उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें और उनके समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया गया है।
हाल ही में वायरल हो रहे एक पत्र को प्रकाशित करते हुए मलेशिया की सत्ताधारी पार्टी Pribumi Bersatu ने सूचित किया कि महातिर मोहम्मद और उनके बेटे मुखरिज़ को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है।
It’s official , former pm Dr Mahathir and his son Mukhriz have been axed from Bersatu for going against party constitution by insisting to sit with the opposition in the May 18 parliament session instead of supporting PN led by PM Muhyiddin, Bersatu President cum acting chairman pic.twitter.com/swRSNlmUPE
— Melissa Goh (@MelGohCNA) May 28, 2020
लेकिन महातिर के वर्तमान व्यवहार को देखकर ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता कि उन्हें अपने निर्णयों को लेकर ज़रा भी अफसोस है। जनाब ने उल्टे मुहियुद्दिन को चुनौती देते हुए कहा कि वे मुहियुद्दिन को विश्वास मत की चुनौती देंगे।
Dr Mahathir: I am still Bersatu chairman and I will bring a motion to sack Muhyiddin at next party meeting – https://t.co/g9bngQm3kM pic.twitter.com/QFO6hPOhJV
— Raja Petra Bin Raja Kamarudin (@RajaPetra) May 29, 2020
आखिर क्यों महातिर मोहम्मद को पार्टी से निकाला गया?
दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले मलेशिया के संसद की बैठक हुई, जिसमें अधिकांश सांसद शामिल हुए थे। परन्तु सत्ताधारी पार्टी के लाख मना करने पर भी महातिर विपक्ष में बैठना चाहते थे, जिसके कारण मलेशियाई प्रधानमंत्री मुहियुद्दीन यासीन को यह कदम उठाना पड़ा।
सच कहें तो महातिर मोहम्मद इस निर्णय के लिए स्वयं दोषी हैं। 92 वर्ष की उम्र में उन्हें एक बार फिर से 2018 में मलेशिया का राष्ट्रध्यक्ष बनने का मौका मिला था, और संभवत: इस सत्र के बाद वे शान से रिटायर भी हो जाते। जिस तरह महातिर मोहम्मद ने देश को भ्रष्टाचार से उबारने के नाम पर पिछले एक साल में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार किया, खुद मलेशिया के लोग भी उनसे खुश नहीं। मलेशिया में महातिर मोहम्मद की सरकार की लोकप्रियता में बड़ी गिरावट देखने को भी मिली थी।
यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाना
पिछले वर्ष अगस्त महीने में उन्होंने यूएन में कश्मीर मुद्दे को उठाया था जिसने नई दिल्ली को बहुत आहत कर दिया था, रही सही कसर महातिर मोहम्मद के CAA की आलोचना करने वाली बयान से पूरी कर दी।
Malaysian PM Mahathir Mohamad has, from the podium of UNGA, called for settling the Kashmir dispute between India & Pakistan through “peaceful means”. He regretted that despite the UN resolutions on Jammu & Kashmir, it has been invaded and occupied. pic.twitter.com/0h0RX0Fmn0
— Ministry of Information & Broadcasting (@MoIB_Official) September 28, 2019
दरअसल, जब भारत सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों को निरस्त किया, तो महातिर मोहम्मद ने UN की आम सभा में इस मुद्दे को उठाया। महातिर मोहम्मद ने कहा था, “जम्मू-कश्मीर में भारत की कार्रवाई के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद यह गलत है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के बावजूद जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण और कब्जा किया गया। संयुक्त राष्ट्र की अनदेखी से अन्य द्वारा संयुक्त राष्ट्र और कानून के शासन की अवहेलना के मामले सामने आएंगे”। भारत से बातचीत के बावजुद मलेशिया ने यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाना ही सही समझा, जिसे भारत अपना आंतरिक मामला बताता रहा है।
नागरिकता संशोधन कानून का विरोध
इसके बाद दिसंबर 2019 में जब भारत में केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया, तो महातिर मोहम्मद ने इसकी आलोचना करते हुए कहा, “मैं ये देखकर दुखी हूं कि जो भारत अपने को सेक्युलर देश होने का दावा करता है, वो कुछ मुसलमानों की नागरिकता छीनने के लिए क़दम उठा रहा है। अगर हम यहां ऐसे करें, तो मुझे पता नहीं है कि क्या होगा। हर तरफ़ अफ़रा-तफ़री और अस्थिरता होगी और हर कोई प्रभावित होगा।”
#Malaysian PM @chedetofficial comments on India's #CitizenshipAmendmentAct
'People dying because of #CAA', says Mahathir Mohamad
Watch with @Shivangi_Wion pic.twitter.com/uUPz4cPQpb
— WION (@WIONews) December 21, 2019
इस बयान के बाद से महातिर की अंतरराष्ट्रीय छवि को ही धक्का नहीं लगा, अपितु देश भर में उनकी आलोचना शुरू हुई। सांस्कृतिक रूप से मलेशिया और भारत में काफी समानताएं रही हैं, साथ ही मलेशिया और भारत के बीच में काफी मधुर संबंध भी रहे हैं।
मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान
जिस तरह से महातिर भारत को नीचा दिखाने पर तुले हुए थे।अंत में भारत को भी कुछ कड़े कदम उठाने पड़े, जिनमें प्रमुख था मलेशिया की आर्थिक लाइफलाइन में से एक माने जाने वाली पाम ऑयल के भारत में इंपोर्ट पर रोक लगाना। इसके बाद मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। नीचे दिये हुए ग्राफ से आप समझ सकते हैं कि वर्ष 2019 के आखिर में भारत ने मलेशिया से पहले के मुक़ाबले बेहद ही कम मात्रा में पाम ऑयल का इम्पोर्ट किया था।
अमेरिका पर साधा निशाना
यही नहीं पिछले वर्ष ईस्ट एशिया समिट के दौरान भी महातिर मोहम्मद ने चीन का बचाव करते हुए अमेरिका पर निशाना साधा था। दरअसल, एक कार्यक्रम के दौरान RCEP के मुद्दे पर बोलते हुए महातिर मोहम्मद ने कहा था कि अमेरिका जानबूझकर ASEAN देशों को टार्गेट कर रहा है ताकि अपनी शत्रुतापूर्ण व्यापार नीति के माध्यम से वह एक-एक करके सभी देशों को निशाना बना सके। महातिर मोहम्मद ऐसे समय में अमेरिका पर हमले कर रहे थे जब खुद मलेशिया का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस है।
सहयोगी दलों से भी दुश्मनी
इसके अलावा महातिर ने मलेशिया में अपने सहयोगी दलों से भी दुश्मनी मोल ली, जिनमें से अधिकांश दल अभी भी भारत के प्रति झुकाव रखते हैं। सरकार बनाते समय महातिर मोहम्मद ने यह वादा किया था कि एक या दो साल के बाद वे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर अनवर के लिए कुर्सी खाली कर देंगे। लेकिन पिछले वर्ष नवंबर में उन्होंने अपनी कुर्सी छोड़ने से साफ इंकार कर दिया था।
फाइनेंशियल टाइम्स को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा था कि अभी कुर्सी छोड़ने का उनका कोई प्लान नहीं है और मौजूदा हालातों को देखते हुए देश चलाने के लिए वे ही सही व्यक्ति हैं। आखिरकार गिरती अर्थव्यवस्था और भारी आक्रोश के चलते फरवरी 2020 में महातिर को इस्तीफा देना ही पड़ा।
सच कहें तो महातिर मोहम्मद ने अपने हाथों से अपने राजनीतिक करियर की कब्र खोदी थी। उन्होंने ना केवल भारतीयों को भला बुरा कहा और ज़ाकिर नाईक जैसे भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा दिया, अपितु मलेशियाई अर्थव्यवस्था को भी रामभरोसे छोड़ दिया था। अब जब महातिर को पार्टी से निकाल दिया गया है, तो अब उनके पास काफी समय है ये सोचने के लिए कि आखिर क्यों उनके साथ ऐसा हुआ।