कल राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि कैसे 6 वर्ष पहले लागू की गई योजना अभी कोरोना महामारी के समय काम आ रहा है। इसमें उन्होंने डायरेक्ट कैश ट्रान्सफर की उपयोगिता बताते हुए कहा कि किस तरह से आज इस विपत्ति के दौर में इस योजना ने करोड़ो किसानों के लिए वरदान साबित हुआ और सभी के खाते में रुपये भेजे गए।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज जो हालात कोरोना ने पैदा किए हैं, जिसमें देश को पूरी तरह से लॉकडाउन करना पड़ा और आर्थिक गतिविधियों को रोकना पड़ा है, उसमें अगर केंद्र सरकार द्वारा लागू की गयी DBT यानि डाइरेक्ट बेनिफ़िट ट्रान्सफर योजना नहीं होती तो आज लाखों लोगों की जान कोरोना से नहीं बल्कि भूखमरी से हो जाती।
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान सरकार की ओर से डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के तहत 36,659 करोड़ रुपये की रकम 16 करोड़ किसानों और लाभार्थियों के अकाउंट में ट्रांसफर की जा चुकी है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना, जन धन योजना, उज्ज्वला योजना समेत कई योजनाओं ने इस महामारी के समय में गरीब परिवारों के लिए एक राहत ले कर आई है।
लॉकडाउन की अवधि में सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को 16,621 करोड़ रुपये की भेजी जा चुकी है। जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार 24 मार्च को लॉकडाउन के ऐलान के बाद से अब तक 8.31 करोड़ किसानों के खाते में 2,000 रुपये की किस्त भेजी जा चुकी है। और यह सब अगर संभव हो पाया है तो सिर्फ डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रान्सफर के जरिये।
यही नहीं जिन किसानों का पहले से बकाया था उनका भी रुपया भेजा जा चुका है। सरकार के मुताबिक 1,674 करोड़ रुपये की रकम ऐसे 83.77 लाख किसानों को भी ट्रांसफर हुई है। इसके अलावा 14,945 करोड़ रुपये 7.47 करोड़ किसानों को नए फाइनेंशियल ईयर की पहली किस्त के तौर पर दिए गए हैं।
जन धन योजना के खातों की बात की जाए तो सरकार ने 20.5 करोड़ महिलाओं के खातों में 500 रुपये की राशि भेज दी है। बता दें कि इस वर्ष डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में इस साल अब तक 45 फीसदी का इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानि मनरेगा के तहत राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को 7,300 करोड़ रुपये जारी किया है।
Centre has released 7,300 crore rupees to the States and Union Territories under Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme (MGNREGS) to liquidate pending dues of last financial year but also the wage dues for the first fortnight of 2020-21.
— PB-SHABD (@PBSHABD) April 17, 2020
आने वाले समय में भी यह DBT भारत के गरीब परिवारों के लिए वरदान ही रहेगा क्योंकि बिना इन परिवारों को सरकार के तरफ से बिना किसी बिचौलिये के सभी धन राशि प्राप्त हो रही है।
कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तो एक बार खुद कहा था, कि केंद्र सरकार जितने पैसे देती है उसका केवल 15 प्रतिशत ही जमीनी स्तर पर पहुंच पाता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस व्यवस्था को DBT के जरीए पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। अब रुपया बिचौलिए की जगह सीधे गरीबों के खाते में पहुंच रहा है।
JAM यानि जनधन, आधार और मोबाइल के कारण डीबीटी के जरिए भुगतान में काफी मदद मिली, जो 2014-15 में बढ़कर 46,294 करोड़ रुपये और 2015-16 में 61, 942 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह आंकड़ा 2017-18 में 437 योजनाओं के जरीए 1 लाख 90 हजार करोड़ और वर्ष 2018-19 में 3.29 लाख करोड़ 440 योजनाओं के जरीए ट्रान्सफर किया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी की DBT योजना आने से पहले इन योजनाओं का पैसा पहले सरकारी बाबुओं और कर्मचारी के हाथों में जाता था, फिर बाद में गरीबों तक कट-छंटकर पहुंचता था।
अब जब कोरोना के वजह से पूरे देश को लॉकडाउन में जाना पड़ा है, वैसी स्थिति में यह समझा जा सकता है कि अगर DBT नहीं होता तो आज देश के किसान से लेकर गरीब परिवार भूखमरी के कगार पर होते। रोजगार पूरी तरह से ठप पड़ा होता और घर में खाने के दाने नहीं होते।
अगर सरकार कोई योजना लागू कर किसी प्रकार मदद भी करती तो उन्हें पूरी धनराशि कभी नहीं मिल पाती और और वो धनराशि भ्रष्टाचारियों के हत्थे चढ़ जाता। लेकिन शुक्र मानना चाहिए कि मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर पर ध्यान दिया और JAM यानि जनधन, आधार और मोबाइल की तिकड़ी को घर घर पहुंचा दिया।
पीएम मोदी ने कल इन सुधारों की प्रशंसा की कहा कि कौन सोच सकता था कि यह सरकार जो पैसा भेजती है वह सीधे लाभार्थियों तक पहुंचेगा? खासकर जब लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया था। यह JAM की तिकड़ी ही है जिसने बचाया और अब हम इन सुधारों का विस्तार कर रहे हैं।
आज कोरोना महामारी के समय में यही योजना काम आ रही है और गरीबों के लिए वरदान साबित हुई है। सरकार इसके माध्यम से गरीब परिवारों को लगातार मदद कर पा रही है। सरकार 465 योजनाओं के लिए डीबीटी का उपयोग करती है जो एलपीजी सब्सिडी से लेकर कॉलेज की छात्रवृत्ति तक है। आज डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का उपयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बजाय किसान के खाते में मुआवजे का सीधे हस्तांतरण के लिए किया जा सकता है। डीबीटी ने कोरोना के दौरान लाखों लोगों के जीवन को बचाया है और यह देश को आने वाले दिन, महीनों और आने वाले वर्षों में भी मदद करेगा।