पाकिस्तान एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष में इस बात को लेकर घमासान युद्ध छिड़ा हुआ है कि पाकिस्तानी सरकार भारत से आखिर मदद क्यों ले रहा है?
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान कई जीवन रक्षक दवा और सरसों के तेल का इंपोर्ट भारत से कर रहा है। जहां एक ओर पाकिस्तान का विपक्ष सत्ताधारी पार्टी को निशाने पर लिया हुआ है, तो वहीं भारत के केंद्र सरकार पर कुछ गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़े होते हैं? यदि ये सच है, तो आखिर इतने आतंकी हमलों के बाद भी भारत इतना प्रेम क्यों दिखा रहा है?
इसको लेकर पाकिस्तान यंग फार्मेसिस्ट एसोसिएशन ने इमरान खान के विशेष सचिव शहजाद अकबर को पत्र लिखते हुए पूछा है कि जब व्यापार भारत के साथ निलंबित है, तो फिर 450 से ज़्यादा प्रकार के दवाइयों का इंपोर्ट किस बात का?
एसोसिएशन ने बताया, ‘सरकार को कैंसर की दवा की कमी की जानकारी दी गई थी लेकिन संघीय सरकार की तरफ से जारी समरी में सभी तरह की दवाइयों के साथ ही सरसों तेल के आयात को भी मंजूरी दे दी गई है।’ संस्था ने कहा कि हमने कॉमर्स मिनिस्ट्री को आवश्यक दवाइयों के आयात की मंजूरी की समरी भेजी तो उसमें सभी प्रकार के दवाइयों को शामिल कर दिया गया।
इस संदर्भ में विपक्षी पार्टी पीएमएल-एन ने केंद्र सरकार ने दवाइयों के घोटालों के आरोप लगाए हैं। इसके साथ पीएमएल-एन ने ताना मारते हुए कहा कि अगर हमारे कार्यकाल में ऐसा कुछ होता तो हमें तुरंत ही देशद्रोही कह दिया जाता और मकुदमा भी दायर कर दिया जाता। वहीं, पीपीपी ने भी भारत से अरबों रुपये की दवाइयों के आयात की जांच की मांग की है। पार्टी नेता नैय्यर हुसैन बुखारी ने कहा कि व्यापार प्रतिबंध के बावजूद दवाइयों का आयात हो रहा है और इसके लिए जिम्मेदार शख्स का पता लगाया जाना चाहिए।
बता दें कि भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के कारण पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को निरस्त करने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार संबंध तो सस्पेंड किया ही था साथ ही ट्रेन और बस सेवा तक रोक दी थी।
हालांकि भारत के साथ ट्रेड संबंध सस्पेंड करने वाले पाकिस्तान को अपनी हालात समझने में ज्यादा देर नहीं लगी। कोरोना संकट ने उसे समझा दिया कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को सस्पेंड करने का उस पर कैसा प्रतिकूल असर हो रहा है। अब हालात यह आ गए हैं कि जरूरी दवाओं के आयात की आड़ में वह भारत से खाने-पीने की चीजें मंगवा रहा है।
परन्तु पाकिस्तान की सरकार ही इकलौती नहीं है जिसे कठघरे में होना चाहिए। कुछ सवाल भारत सरकार से भी हमें पूछना चाहिए। एक समय था जब लाख विपत्तियां पड़ने के बावजूद सुषमा स्वराज मानवता के आधार पर पाकिस्तानी नागरिकों को चिकित्सक ट्रीटमेंट के लिए छूट देती थी। लगता है इस तरह का फालतू प्रेम अभी भी समाप्त नहीं हुआ है, और हंदवारा के कायराना हमले के बाद भी ये काम बदस्तूर जारी है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
ये जानते हुए भी कि ये वही पाकिस्तान है, जो किसी निर्दोष नागरिक या सैनिक का सिर कलम करने से पहले एक बार भी नहीं सोचेगा, हैं आखिर क्यों उन्हें मदद भेज रहा है? यह ठीक है कि भारत पाकिस्तान के आतंकवादी मनसूबों को कामयाब ना होने देने के लिए दिन रात एक किए पड़ा है, परन्तु जिस तरह से ये एक्सपोर्ट हो रहे हैं, उस पर भी भारत को ध्यान देना चाहिए और केंद्र सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि ये गलती दोबारा ना दोहराई जाए।