Sun Tzu की Art of War का एक मशहूर कथन है: “शत्रु को समझो और खुद को जानो, 100 युद्धों में भी आप कभी नहीं हार सकते”। शत्रु को समझो, फिर चाहे वो विपक्षी खेमे में हो, या फिर अपने खेमे में। यह नियम सिर्फ रण के मैदान में लागू नहीं होता, बल्कि आम लोगों पर भी उतना ही लागू होता है। खासकर उन लोगों पर जो अपनों में रहकर विरोधी खेमे के लिए काम कर रहे होते हैं।
यह मुद्दा इसलिए उठाना अहम है, क्योंकि हाल ही में भारत में एक “पत्रकार” का ऐसा लेख viral हुआ, जिसने एक खास मानसिकता के लोगों को कुछ ज़्यादा ही उत्साहित कर दिया। उस लेख में बताया गया था कि कैसे चीन ने भारत के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। उस लेख में बस ढिंढोरा पीटा गया था, कोई तथ्य या सबूत नहीं थे। ऐसा नहीं है कि यह बेतुका लेख लिखने वाले लेखक कोई विश्वसनीय व्यक्ति हो, और उसका इतिहास बेदाग हो, लेकिन वो कहते हैं ना “लोग भूल जाते हैं”। आज हम उसी महान पत्रकार के कुछ पुराने दागों पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे।
जहां तक मौजूदा भारत-चीन विवाद की बात है, इस पूरे प्रकरण की शुरुआत चीन ने ही की थी, क्योंकि उसका प्रमुख उद्देश्य भारत की भूमि पर कब्जा जमा LAC के हमारी तरफ़ हो रहे सड़क निर्माण को रोकने के लिए दबाव बनाना था। हालांकि, यहाँ पासा उल्टा पड़ गया, और भारत अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ है। सैन्य कमांडर्स के बीच होने वाली बातचीत से पहले ही भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि चाहे कुछ हो जाये, एलएसी के भारतीय क्षेत्र में निर्माण पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ेगा, और भारत दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में हो रहे निर्माण पर कोई रोक नहीं लगाएगा।
यही वो समय था, जब कुछ पत्रकार सुपर एक्टिव हो गए, और गंद फैलाने लगे, इन्हीं में से एक थे अजय शुक्ला! 23 मई को बिना किसी तथ्य या सबूत के जनाब ने यह दावा कर दिया कि 5 हज़ार चीनी सैनिक भारत की भूमि पर हैं। इसके बाद हैरान-पूर्ण तरीके से 26 मई को ये संख्या 10 हज़ार पर पहुँच गयी। हालांकि, open source intelligence community (OSINT) ने जल्द ही अजय शुक्ला के झूठ का पर्दाफाश कर दिया, और यहाँ तक कि चीन के वे जादूई सैनिक सैटेलाइट images में भी नहीं दिखे!
जब OSINT ने अजय शुक्ला के झूठ का भंडाफोड़ किया, तो अजय ने OSINT के खिलाफ ही जहर उगलना शुरू कर दिया। अजय यही नहीं रुके, आगे बढ़कर उन्होंने रक्षा मंत्री के नाम पर ही यह फेक न्यूज़ फैला दी, कि चीनी सेना LAC के इस तरफ़ आ गयी है। बाद में PIB को इस फेक न्यूज़ का भंडाफोड़ करना पड़ा।
अजय का जहर उगलना फिर भी बंद नहीं हुआ। यहाँ तक कि कुछ पूर्व जवान और OSINT के सूत्र यह कहते रहे कि चीन के सैनिकों को लद्दाख में मुंह की खानी पड़ी है। साफ था कि अजय शुक्ला झूठ बोल रहे थे। पता नहीं किसके इशारे पर वे चीन की भाषा बोल रहे थे!
खैर, भारतीय फौज पर उंगली उठाना तो उनकी शुरू से ही आदत रही है। पिछले साल अप्रैल में अजय शुक्ला ने यह खबर फैलाई कि वायुसेना के न्यायालय ने फरवरी में हुए Mi-17 V5 crash की जांच को रोक दिया है। वायुसेना ने अजय के इस दावे की धज्जियां उड़ा दी, और बाद में 3 महीने के अंदर ही वह जांच पूरी भी कर दी गयी।
वर्ष 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक को भी उन्होंने झूठ कहा था, और तथाकथित “अंतर्राष्ट्रीय नियम तोड़ने” के लिए उन्होंने भारत सरकार पर हमला बोल दिया था। पाकिस्तानी मीडिया ने उनके बयानों को आधार बनाकर खूब सुर्खियां बटोरी थीं। यहाँ तक कि चीनी मीडिया ने अजय शुक्ला के बयान को आधार बनाकर भारतीय सेना का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की थी।
ऐसा नहीं है कि अजय शुक्ला का यह देशविरोधी रुख सिर्फ पीएम मोदी के समय में ही रहा हो। वर्ष 1965 के युद्ध में भी अजय शुक्ला ने भारतीय वायुसेना और पूर्व PM शास्त्री को बदनाम करने के लिए यह दावा किया था कि भारत वह युद्ध हार गए थे। स्पष्ट है कि भारत को बदनाम करने के लिए यह व्यक्ति किसी भी हद तक जाकर चीन और पाकिस्तान की चाटुकारिता कर सकता है।
यह तो कुछ भी नहीं! UPA शासन के समय सियाचिन के मामले में किस प्रकार अजय शुक्ला ने सरकार की चाटुकारिता करते हुए देशहित के खिलाफ जाकर कुछ राष्ट्रवादी अफसरों और नौकरशाहों के खिलाफ मोर्चा खोला था, वह भी किसी से छुपा नहीं है। आज से करीब 8 साल पहले UPA सरकार ने सियाचिन मामले को “सुलझाने” के लिए एक track-II कमिटी का गठन किया था। उस कमिटी की अध्यक्षता उसी Air Chief त्यागी ने की थी, जिसने सोनिया मैडम के लिए ऑगस्टा वेस्टलेंड हेलिकॉप्टर की डील पक्की की थी। वही डील जो इटली में हुए कुछ खुलासों के बाद भ्रष्टाचार के लिए विवादों में आ गयी थी। उस वक्त UPA सरकार ने कई बैठकों के बाद भारत पाकिस्तान के रिश्तों को मजबूत करने के लिए सियाचिन क्षेत्र के विसैन्यीकरण करने का फैसला लिया था, जिसका रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और सेना ने पुरजोर विरोध किया था। इसके बाद अजय शुक्ला ने तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह को “दुष्ट जनरल” कह डाला था। जो सियाचिन से भारतीय सेना की वापसी का विरोध कर रहे थे, उनको अजय शुक्ला ने “सांप्रदायिक मैल” की संज्ञा दे दी थी। हालांकि, काफी कड़ी मशक्कत के बाद भारत के राष्ट्रवादी तब सरकार के इस फैसले को निरस्त करने में सफल रहे थे।
अजय शुक्ला की इस बेशर्म चाटुकारिता के लिए UPA सरकार ने उन्हें प्रसार भारती में एक सम्मानित पद देने की भी कोशिश की थी, लेकिन वहाँ भी UPA सरकार बुरे तरीके से विफल साबित हुई।
अजय शुक्ला से संबन्धित ये उपर्युक्त उदाहरण तो कुछ भी नहीं हैं। उनके कारनामों की लिस्ट काफी लंबी है, जहां कई बार उनको हमारे सैनिकों और सेना के खिलाफ जहर उगलते हुए पाया गया है। अजय शुक्ल एक ऐसा व्यक्ति है जो पाकिस्तान और चीन के प्रति वफादारी दिखाने के लिए भारत को बदनाम करने को लेकर प्रतिबद्ध है।