भारत-तिब्बत बॉर्डर पर चीन की आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देने के बाद अब भारत ने चीन को एक और झटका दिया है। दरअसल, चीन लद्दाख में जिस पुल के निर्माण कार्य को लेकर बिदक रहा था, भारत ने उस पुल के काम में तेजी लाकर उसके निर्माण कार्य को पूरा कर लिया है। यह भारतीय सेना को बॉर्डर तक पहुँचने में बड़ी आसानी प्रदान करेगा। चीन की आक्रामकता के पीछे इस पुल का निर्माण एक बड़ा कारण माना जा रहा था, लेकिन अब भारत सरकार ने इस निर्माण कार्य को जल्दी पूरा कर चीन को कड़ा संदेश भेजा है। इस पुल की मदद से अब सैनिक नदी वाहनों के साथ आरपार जा सकते हैं और 255 किलोमीटर लंबे स्ट्रैटिजिक डीबीओ रोड की सुरक्षा कर सकते हैं, यह सड़क दरबुक से दौलत बेग ओल्डी में भारत के आखिरी पोस्ट तक जाती है, जो काराकोरम के पास है।
चीन चाहता था कि वह बॉर्डर पर तनाव बढ़ाकर भारत को इस पुल का निर्माण करने से रोक देगा, लेकिन चीन का यह दांव उल्टा पड़ गया। भारत ने काम में कोई ढील बरतने की बजाय काम को कई गुना तेज कर दिया। यह पुल भारत को बेहद रणनीतिक फायदा पहुंचाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पुल श्योक और गलवान नदी के संगम से महज तीन किलोमीटर दूर है। इसके अलावा पेट्रोलिंग पॉइंट 14 से इस पुल की दूरी केवल 2 किमी है। पेट्रोलिंग पॉइंट 14 वही जगह है जहां 15 जून की रात को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसी वजह से चीन इतना बौखलाया हुआ है।
हालांकि, भारत लद्दाख में यह इकलौता पुल नहीं बना रहा है, बल्कि भारत क्षेत्र में 255 किमी लंबी दार बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क का निर्माण कर रहा है। इस सड़क में कुल 8 पुल बनने हैं, जिनमें से एक का निर्माण हाल ही में पूरा किया हुआ है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइज़ेशन का कहना है कि इस साल के अंत तक इस पूरी सड़क का निर्माण हो जाएगा, जिसके बाद भारतीय सेना को लेह से दौलत बेग ओल्डी तक जाने में सिर्फ छः घंटे ही लगेंगे। सरकार ने अब इस सड़क निर्माण कार्य में तेजी ला दी है। इसके लिए सरकार द्वारा लेह में आठ जगहों पर झारखंड से 1500 अतिरिक्त मजदूर पहुंचाए गए हैं। हालांकि, चीन के लिए सिर्फ यही एक बुरी खबर नहीं है।
दरअसल, भारत ने चीन के बॉर्डर पर बाकी राज्यों में भी सड़क निर्माण में तेजी लाने की तैयारी कर ली है। उदाहरण के लिए उत्तराखंड में केंद्र सरकार ने चीन के साथ तनाव के बाद सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी है। यही नहीं केंद्र सरकार ने भारत-चीन सीमा के पास मिलम से मुनस्यारी तक बनने वाली सड़क का निर्माण तेज कर दिया है। सड़क निर्माण जल्दी पूरा करने के लिए उत्तराखंड के जौहर घाटी के कठिन हिमालयी इलाके में हेलिकॉप्टर से भारी मशीनें उतारी गई हैं। इन मशीनों की मदद से सड़क बनाने के काम में तेजी लाई जाएगी।
इसके अलावा चीन के साथ सटी सीमा पर सड़कों का निर्माण तेज करने के लिए बीते बुधवार को गृह मंत्रालय में बैठक भी हुई थी। बैठक में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO), ITBP, आर्मी, CPWD और गृह मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे। इंडो-चाइना बॉर्डर रोड (ICBR)- फेज 2 के तहत 32 सड़कों का निर्माण भारत-चीन की सीमा पर होना है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इन सड़कों के निर्माण को और ज्यादा गति दी जाएगी।
कुल मिलाकर भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए चीनी सरकार ने जो चाल चली थी, वो चीन पर ही उल्टी पड़ गयी। भारत सरकार से पंगा लेने के बाद अब चीन के पास अपना सर खुजलाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है। यह मोदी सरकार का साहसिक कदम है, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए।