भारत और चीन के बीच अब अप्रत्यक्ष युद्ध शुरू हो चुका है। जब से चीन ने लद्दाख क्षेत्र के गलवान घाटी में भारतीय सेना पर हमला किया है तब से ही दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। भारतीय सेना पर हुए हमले के बाद पीएम मोदी ने भी कहा है कि सेना का यह त्याग खाली नहीं जाएगा। भारत में में एक ओर जहां चीन के सामानों का बॉयकॉट आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुका है तो वहीं, अब तिब्बत (Tibet) के लिए भी भारत में आवाजें उठनी शुरू हो चुकी हैं।
दरअसल, प्रसार भारती ने एक ट्वीट कर हुए लोगों को फिर से याद दिलाया कि आकाशवाणी तिब्बत (Tibet) का समाचार भी प्रसारित करती है। प्रसार भारती ने ट्वीट किया कि अगर आपको तिब्बत की वास्तविक खबरें सुनना है तो आप All India Radio के Tibetan World Service को सुने जहां तिब्बत (Tibet) की और तिब्बत के लिए खबरे प्रसारित की जाती है।
Listen to All India Radio's Tibetan World Service for authentic news and programmes for and from Tibet. @AkashvaniAIR pic.twitter.com/JMFp8wypKo
— Prasar Bharati प्रसार भारती (@prasarbharati) June 17, 2020
हालांकि, यह कोई नई प्रथा नहीं शुरू हुई है लेकिन प्रसार भारती द्वारा इस मुद्दे को ऐसे समय में उठाना सरकार के रुख को दर्शाता है जब भारत और चीन के बीच कुछ भी सामान्य नहीं है। ऐसा लगता है कि अब केंद्र सरकार देश में तिब्बत के लिए उठने वाली आवाज को चीन तक पहुंचाना चाहती है और उसे याद दिलाना चाहती है कि उसने तिब्बत (Tibet) क्षेत्र को हड़प कर रखा हुआ है।
प्रसार भारती द्वारा ऐसे समय में AIR की तिब्बत सर्विस को प्रमोट करना दिखाता है कि सरकार का ध्यान अब चीन को घेरने के बाद तिब्बत की स्वतंत्रता पर है। प्रसार भारती ने ट्वीट में यह भी बताया कि तिब्बत (Tibet) की खबरों को रेडियो ही नहीं बल्कि YouTube के माध्यम से और टेक्स्ट फॉर्मेट में भी एक्सेस किया जा सकता है। यानि सरकार अब तिब्बत की खबर को घर-घर तक पहुंचाना चाहती है।
जिस तरह से इसका प्रमोशन किया जा रहा है उससे तो अब यह लग रहा है कि सरकार इस चैनल के माध्यम से तिब्बत में किए गए चीन के अत्याचारों की कहानी भी प्रसारित कर सकता है। हिमालय के पठार में बसे इस सुंदर प्रदेश को चीन ने 1949 में ही नजर लगा दी और चीन के तानाशाह माओ ने हमला कर तिब्बत (Tibet) को चीन की सीमा में मिला लिया था। आज जो हाँग काँग में हो रहा है उसे पूरी दुनिया देख रही है और सुन रही है लेकिन जो तिब्बत में हो चुका है और हो रहा है उसे कभी किसी ने नहीं सुना। अब हो सकता है AIR के माध्यम से चीन की काली करतूतों का सच भी बाहर आयेगा और लोगों को बताया जाएगा कि किस तरह से चीन ने तिब्बत पर हमला किया था और आज भी तिब्बती भिक्षुकों के साथ क्रूरता करता है।
बता दें कि चीन के हमले के 10 वर्ष बाद 1959 के मार्च में, तिब्बत (Tibet) के आध्यात्मिक और राजनीतिक प्रमुख दलाई लामा ने चीन के डर से भारत के हिमाचल प्रदेश के शहर धर्मशाला में शरण की मांग की और निर्वासित तिब्बती सरकार की स्थापना की।
चीन ने इसके बाद तिब्बत में जो अत्याचार किया वह किसी दर्दनाक कहानी से कम नहीं है। वर्ष 1958 से 1962 तक चीन ने सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर 10 लाख से अधिक तिब्बत (Tibet) के लोगों का कत्लेआम किया और 6 हजार से अधिक बौद्ध मठों को तहस नहस किया। तिब्बत (Tibet) का चीन में एकीकरण के नाम पर किया गया यह अमानवीय कृत्य का विश्व को पता भी नहीं है। अगर इन सभी कहानियों का प्रसारण होना प्रारम्भ हुआ तो फिर चीन के प्रति रोष कई गुना बढ़ जाएगा।
चीन ने तिब्बत में जबरन गर्भपात, नसबंदी और शिशु हत्या जैसे कुकृत्यों को अंजाम दिया है जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है।
चीन के खिलाफ एक्शन के क्रम में AIR पर प्रसारित होने वाले Tibet World Service का प्रमोशन लोगों को जागृत करने और तिब्बत (Tibet) के प्रति perception बदलने के लिए एक बेहतरीन कदम है। इससे न सिर्फ विश्व और भारत में तिब्बत (Tibet) के बारे में बातचीत होगी, बल्कि तिब्बत की कहानियाँ भी सभी के सामने आएंगी। आज जैसे हाँग-काँग के साथ विश्व खड़ा है वैसे ही कल तिब्बत के साथ भी खड़ा दिखाई देगा जिसके बाद चीन के पास आखिरकार इस क्षेत्र को स्वतंत्र करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।