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वो ‘आउटसाइडर’ सुशांत सिंह राजपूत जिसे बॉलीवुड के ‘इनसाइडर्स’ ने मार डाला

बॉलीवुड ने एक उभरते हुए कलाकार का गला घोंट दिया

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
15 June 2020
in समीक्षा
सुशांत सिंह राजपूत

PC: The Live Mirro

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गुलजार का लिखा एक गीत है:

 छोटे छोटे शहरों से, खली बोर दोपहरो से,

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हम तो झोला उठके चले, बारिश कम कम लगती हैं,

नदिया मद्धम लगती हैं, हम समुन्दर के अंदर चले।

यह गीत मुंबई जाने वाले उन सभी सपनों की ओर इशारा करता है जो अपने छोटे शहरों से निकल कर, आँखों में कुछ कर गुजरने की दृढ़ता के साथ मुंबई जैसे बड़े शहर में जाते हैं। सुशांत सिंह राजपूत भी उन्हीं लोगों में से थे जो पटना जैसे शहर से मुंबई की मायानगरी यानि बॉलीवुड में एक सपने को सच का आकार देने के लिए गए थे। सुशांत मुंबई और बॉलीवुड दोनों के लिए एक ‘बाहरी’ थे। एक ऐसा बाहरी जिसके साथ बॉलीवुड ने इतनी क्रूरता की कि उनकी आवाज सदा के लिए शांत हो चुकी है।

पटना में जन्मे सुशांत सिंह राजपूत की प्रारंभिक शिक्षा पटना के संत कैरेंस हॉई स्कूल में हुई थी। वर्ष 2001 में दसवीं की परीक्षा पास की थी और आगे की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली चले गए। विज्ञान में उनकी रुचि विशेष की और वे हमेशा टॉप-5 विद्यार्थियों में से एक रहे। उनके साथ स्कूल में पढ़ाई करने वाले और हमारे founder अतुल मिश्रा ने बताया कि वह अपने शिक्षकों में लोकप्रिए थे और काफी intelligent थे। सुशांत अपनी मान के भी काफी करीब थे जो उनके स्कूल के दिनों में ही गुजर गईं थी।

दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले सुशांत का धीरे धीरे झुकाव बॉलीवुड की तरफ हुआ और वे मुंबई चले गए। धारावाहिक ‘पवित्र रिश्ता’ सुशांत सिंह राजपूत के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ और फिर उसके बाद 2013 में उन्हें Kai Po Che के रूप में पहला ब्रेक मिला। यह फिल्म हिट रही और उसमें काम करने वाले राजकुमार राव आज के दौर के बेहतरीन कलाकार माने जाते हैं।

अक्सर यह देखा जाता है कि पहली फिल्म हिट होने के बाद कलाकार सफलता के चकाचौंध में रास्ते से भटक जाता है और मसाला फिल्में करना शुरू कर देता है। सुशांत के साथ ऐसा नहीं हुआ, उन्होंने Kai Po Che, के बाद डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी जैसी कंटेन्ट फिल्म को चुना। हालांकि, यह फिल्म उतनी सफल तो नहीं रही लेकिन सुशांत सिंह राजपूत ने अपने बेहतरीन अभिनय से अपना एक बार फिर लोहा मनवाया। पर अभी भी वो बॉलीवुड के लिए के ‘Outsider’ यानि बाहरी थी थे।

इसके बाद 2016 में आई उनकी सबसे बेहतरीन फिल्म एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी जिसे नीरज पांडे ने निर्देशित किया था। उनके इस प्रदर्शन को देख कर स्वयं MS Dhoni भी आश्चर्यचकित हो गए थे। चाहे धोनी के लंबे छक्के मारने का स्टाइल हो, या चलने का अंदाज। सुशांत ने हर चीज़ बारीकी से सीखी था और उसे पर्दे पर उतारा था।

इस फिल्म ने उन्हें कमर्शियल सक्सेस दे दिया जिसकी जरूरत थी। हालांकि, इसके बाद भी उन्होंने कई फिल्मों में काम किया कुछ हिट रहीं, कुछ सामान्य लेकिन उन्होंने अपनी एक्टिंग का स्तर कभी कम नहीं होने दिया।

सुशांत सिंह राजपूत बॉलीवुड में उभरते कलाकारों में 90 प्रतिशत से बेहतर थे। मैं यहाँ स्टारकिड की तो बात ही नहीं कर रहा जिन्हें बस परिवार की वजह से फिल्में मिलती है चाहे वो अर्जुन कपूर हो या वरुण धवन या सारा अली खान।

सुशांत सिंह राजपूत की एक और बात उन्हें बाकी बॉलीवुड से अलग बनाती थी, और वह है विज्ञान और दर्शनशास्त्र में रुचि। अगर हम उनके ट्विटर या इन्स्टाग्राम पर जाएं तो हमें एक अलग प्रकार का व्यक्तित्व दिखाई देगा जो बॉलीवुड में काम करने वाले ‘बाहरी’ सुशांत सिंह राजपूत से बिल्कुल अलग था। उन्हें भगवान शिव से अत्यधिक लगाव था। एक बॉलीवुड के अभिनेता का अंतरिक्ष विज्ञान और मेटा फिजिक्स, ज्योतिष, शिव का अर्थ और नासा की खोजो के बारे में बात करना आश्चर्य में डाल देता है।

अपने एक पोस्ट में तो उन्होंने कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्। सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥ मंत्र लिखा था। यही नहीं जब वे जेनेवा गए थे तब वे CERN पहुंच गए थे और वहाँ लगे भगवान शिव की प्रतिमा के बारे में जानकारी हासिल की। कार्ल सेगन और न्यूक्लियर फ़िज़िक्स की बात करने वाले इस अभिनेता के इस व्यक्तित्व से उनके अंदर का इंजीनियर स्पष्ट दिखाई देता था।

https://www.instagram.com/p/CA1di9-DCd8/

उनके ट्विटर या इन्स्टाग्राम टाइमलाइन को देखने से उनके बॉलीवुड में बाहरी होने का अर्थ स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है। आखिर वो बॉलीवुड के Low IQ वालों के बीच एक धार्मिक जुड़ाव और विज्ञान की बात करने वाले जो थे।

बॉलीवुड में काम करने वाले सुशांत सिंह राजपूत का वास्तविक जीवन बिलकुल भिन्न था। उन्हें अपने नाम, अपने धर्म और काम पर न केवल भरोसा था बल्कि गहराई से वो इसका सम्मान भी करते थे परन्तु पद्मावत के विवाद के बाद अपने नाम से कुछ समय के लिए ‘राजपूत’ शब्द सोशल मीडिया से हटाना फिर ‘केदारनाथ’ जैसी कथित लवजिहाद वाली फिल्म में उनके काम करने से कई प्रकार के प्रश्न भी खड़े होते हैं। जैसे कहीं किसी दबाव में तो सुशांत सिंह राजपूत ने ऐसे कदम नहीं उठाये? ये तो बस अटकलें है लेकिन बॉलीवुड के इतिहास को देखते हुए इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है। जब कोई व्यक्ति माफिया बन जाता है तो उसे जीवित रहने के लिए अपने गैंग का कहना मानना ही पड़ता है।

सोशल मीडिया पर पर तो यह भी कहा जा रहा है कि यशराज फ़िल्म्स, धर्मा प्रॉडक्शन सलमान खान और बालाजी जैसे बड़े निर्माताओं ने सुशांत सिंह राजपूत को बैन कर रखा था जिसके बाद वे सिर्फ वेब सीरीज या TV में ही काम कर सकते थे।

Hv a look on this #KaranJohar
and imagine how Kangna is surviving pic.twitter.com/pvQL1yjCQZ

— la nina 🐾 (@belladollstan) June 15, 2020

सुशांत सिंह राजपूत के बेहद करीबी माने जाने वाले शेखर कपूर ने भी कुछ इसी प्रकार का ट्वीट किया था और कहा था कि ‘मैं उन लोगों को जनता हूँ जिन्होंने तुम्हें धोखा दिया’।  

I knew the pain you were going through. I knew the story of the people that let you down so bad that you would weep on my shoulder. I wish Iwas around the last 6 months. I wish you had reached out to me. What happened to you was their Karma. Not yours. #SushantSinghRajput

— Shekhar Kapur (@shekharkapur) June 15, 2020

सुशांत बाहरी हैं ये उन्हें शुरू से पता था क्योंकि एक बार उन्होंने अपने फैंस से कहा था कि अगर आप मेरी फिल्में नहीं देखेंगे तो वो मुझे बॉलीवुड से निकाल देंगे। अगर आप लोग मुझे बॉलीवुड में देखना चाहते हैं तो फिल्म को जरूर देखें।

कांग्रेस के संजय निरूपम ने भी इस मामले पर ट्वीट करते हुए लिखा कि “छिछोरे हिट होने के बाद सुशांत सिंह राजपूत ने सात फिल्में साइन की थी। छह महीने में उसके हाथ से सारी फिल्में निकल गई थीं। क्यों ? फ़िल्म इंडस्ट्री की निष्ठुरता एक अलग लेवल पर काम करती है। इसी निष्ठुरता ने एक प्रतिभावान कलाकार को मार डाला।“

छिछोरे हिट होने के बाद #सुशांत_सिंह_राजपूत ने सात फिल्में साइन की थी।
छह महीने में उसके हाथ से सारी फिल्में निकल गई थीं।क्यों ?
फ़िल्म इंडस्ट्री की निष्ठुरता एक अलग लेवल पर काम करती है।
इसी निष्ठुरता ने एक प्रतिभावान कलाकार को मार डाला।
सुशांत को विनम्र श्रद्धांजलि!#RIPSushant

— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) June 14, 2020

यह निष्ठुरता है भाई-भतीजावाद यानि नेपोटिज्म की जो बॉलीवुड में दशकों से व्याप्त है और आज के जमाने में करण जौहर इसके केंद्र हैं। करण जौहर भाई-भतीजावाद के लिए एक गैंग चलाते हैं जहां सुशांत जैसे ‘बाहरियों’ की कोई इज्ज़त नहीं होती। वे सिर्फ स्टार किड को ही फिल्में देते हैं। आज कल सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो भी शेयर हो रहे हैं, जिसमें करण जौहर और आलिया भट्ट ‘सुशांत कौन हैं’ बोल कर हंसते दिख रहे हैं। लेकिन आज यही लोग घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं।

आज तक बॉलीवुड में एक ही बाहरी ने करण जौहर से टक्कर लिया है और उसे माफी मांगने पर मजबूर कर दिया था और वह हैं अजय देवगन। लेकिन सुशांत अजय देवगन जैसे स्थापित कलाकार नहीं थे। वी तो अभी उभरते सितारे थे।

इस बॉलीवुड में एक छोटे से शहर से आए प्रतिभावन लड़के को कभी वह इज्ज़त नहीं मिली जिसका वह हकदार था। सुशांत सिंह राजपूत ने बॉलीवुड में बिना गॉडफादर के अपनी मेहनत से ऐसा मुकाम हासिल किया, जो पटना जैसे शहर के लड़के के लिए तो बिल्कुल आसान नहीं था।

बॉलीवुड के इस नेपोटिज्म को उन्होंने स्वीकार भी किया था लेकिन इस वीडियो में उनके हाव-भाव देख कर कोई भी आसानी से यह कह सकता है कि सुशांत सिंह राजपूत बहुत कुछ कहना चाहते हैं लेकिन मजबूरी में कह नहीं पा रहे हैं। शायद उन्हें डर था कि अगर वे कुछ अधिक कह देंगे तो उन्हें कोई काम नहीं देगा।

RIP Bollywood pic.twitter.com/mTDghDFYeY

— IAS Smoking Skills (@Smokingskills07) June 15, 2020

इस नेपोटिज्म की आग में सुशांत सिंह राजपूत जैसे न जाने कितने कलाकारों का करियर ऐसे झुलसा कि वे दोबारा खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और दुनिया उन्हें भूलती चली गई। पर सुशांत ने तो अब स्वयं को इस दुनिया से अलग कर दिया। आखिर कौन है उनकी इस तरह की मौत का जिम्मेदार? क्या बॉलीवुड की नेपोटिजम ने उनकी जान ली? बॉलीवुड उन सपनों, उन उम्मीदों का गला घोंट दिया जो एक छोटे शहर से अपने सपने को पूरा करने के लिए इस चकाचौंध की मायानगरी में आया था।

जिस तरह से बॉलीवुड के खान, कपूर जैसे गैंग और भाई भतीजावाद के बावजूद सुशांत सिंह राजपूत ने अपने लिए जगह बनाई वो सराहनीय है परन्तु लड़ते-लड़ते सुशांत सिंह राजपूत ने ज़िंदगी से हार मान ली। ऐसे में ‘आउटसाइडर’ सुशांत सिंह राजपूत के मौत के वास्तविक जिम्मेदार तो ये बॉलीवुड के ‘इनसाइडर्स’ हैं जिन्होंने गैंग बनाकर एक प्रतिभावान एक्टर को ज़िंदगी से हार मानने के लिए मजबूर किया।

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29 July 2025

मानवीय वकालत के क्षेत्र में, निरंतरता न केवल नैतिक विश्वसनीयता के लिए, बल्कि लोकतांत्रिक संदर्भ में नेतृत्व की वैधता के लिए भी मायने रखती है।...

जिस MY यानी मुस्लिम यादव समीकरण के दम पर ये कथित समाजवादी यूपी और बिहार में सालों तक राज करते रहे, उस MY समीकरण में भी उन्हें सिर्फ M ही नजर आया।
राजनीति

मुहर्रम के जुलूस में मारे गए अजय यादव M-Y समीकरण के Y हों या न हों, उनकी पहचान हिंदू थी

8 July 2025

अजय यादव का नाम इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। 32 वर्ष के अजय यादव, न कोई फिल्म स्टार थे, न राजनेता,...

बिहार में ताजिया जुलूस में अजय यादव की लाठी-तलवार से हत्या, शहाबुद्दीन को सलाम करने वाले तेजस्वी अजय की हत्या पर खामोश क्यों?
समीक्षा

बिहार में ताजिया जुलूस में अजय यादव की लाठी-तलवार से हत्या, शहाबुद्दीन को सलाम करने वाले तेजस्वी अजय की हत्या पर खामोश क्यों?

7 July 2025

तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इन दिनों एक बार फिर अपने पुराने मुस्लिम-यादव यानी MY सामाजिक समीकरण को हवा देकर बिहार...

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