कल शाम को भारत की मोदी सरकार ने चीन पर डिजिटल स्ट्राइक करते हुए टिक-टॉक सहित चीन के 59 ऐप को बैन करने का निर्णय लिया। यह कोई मामूली खबर नहीं थी, बल्कि गलवान घाटी में चीन की गुंडागर्दी का डिजिटल प्रतियुत्तर था। जिस तरह से 16 बिहार के जवानों ने चीन सैनिकों की बखिया उधेड़ी थी उसी प्रकार केंद्र सरकार का चीनी एप्लिकेशन को बैन करने का निर्णय चीन के डाटा जमा करने और लोगों की प्राइवेसी में सेंध लगाने के धंधे पर एक भयंकर प्रहार है क्योंकि इससे न सिर्फ चीन को आर्थिक झटका लगेगा बल्कि भारत का बाजार भी चीनियों के हाथ से निकल जाएगा।
दरअसल, पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने टिक-टॉक UC Browser सहित 59 एप्लिकेशन को बैन किया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि इन ऐप के जरिए भारत के लोगों की जानकारी दूसरे देशों को पहुंचाई जा रही थी, जो देश के लिए सही नहीं था। इस आदेश के बाद सरकार ने गूगल और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को भी संबंधित ऐप हटाने के निर्देश दे दिए हैं। सरकार ने अपने बयान में स्पष्ट कहा कि “हमारे पास विश्वसनीय सूचना है कि ये एप ऐसे गतिविधि में लगे हुए थे, जिससे हमारी संप्रभुता और अखंडता और रक्षा को खतरा था, इसलिए हमने ये कदम उठाए।” यही नहीं सरकार ने संकेत दिया है कि आगे भी इसी तरह के और भी कदम उठाए जा सकते हैं।
अब यहाँ यह सवाल उठता है कि आखिर यह निर्णय कितना बड़ा और कितना घातक है। सबसे पहले बात करते हैं चीन द्वारा इन एप्लिकेशन के जरिये data चोरी करने और इस डेटा का उपयोग कर दूसरे देशों में प्रोपोगेंडा फैलाने की।
यह सभी को पता है कि UC browser, TikTok, हुवावे जैसी चीनी कंपनियाँ चीन को डेटा भेजती हैं और चीन उस डेटा को अपने देश में इकट्ठा करता है। अब इन सभी पर रोक लगेगी। चीनी कंपनियों पर समय-समय पर यूजर्स की निजता का उल्लंघन करने का आरोप लगता रहता है। डेटा को आज के समय का सबसे बड़ा हथियार माना जाता है। भारत सरकार ने अपने एक कदम से data प्राप्त करने के सबसे बड़े जरिये को खत्म कर दिया है, जिसका चीन की प्रोपेगैंडावादी सरकार पर सबसे गहरा असर पड़ेगा।
अगर कोई कंपनी यह कह रही है कि वो चीन के साथ डेटा शेयर नहीं करती है तो वह झूठ बोल रही है। चीन National Intelligence Law के अनुसार, चीनी कंपनियों को खुफिया गतिविधियों में भागीदारी सहित देश के राष्ट्रीय हितों का समर्थन करने में CCP के साथ सहयोग करना आवश्यक है। इस कानून में तो यह भी है कि अगर कोई कंपनी चीन की सरकार को मदद करती है तो उसे पुरस्कार भी दिया जाएगा।
यानि चीन कई छोटे बड़े एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर कई देशों का डेटा जमा करता है और लोगों की प्राइवेसी में सेंध लगाता है। अब इस बैन के बाद चीन की भारत से डेटा चोरी पर पाबंदी लगेगी।
आपने अगर इन एप्लिकेशन को डाउनलोड किया होगा तो आपको यह पता होगा कि कोई भी इस तरह का app आपसे फोन के कॉल, कोंटेक्ट और गैलरी की परमिशन मांगता था। यानि यह सभी appआपके gallery की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखते थे और उस डेटा को चीन भेजते थे। ये सभी apps चीन के खुफिया विभाग की तरह ही थे और इन चीन अपने इन्हीं apps का इस्तेमाल कर भारत के लोगों को अपना गुलाम बनाने की कोशिश में जुटा था। उदाहरण के लिए clean मास्टर को देखते हैं। कहा जाता है कि app फोन की स्पीड बढ़ता है लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि यह app आपके फोन के cache को आपके फोन से हटा कर चीनी सर्वर को भेजता हो। वहीं टिक-टॉक एक वीडियो शेयरिंग एप नहीं बल्कि एक mind-controlling app की तरह काम करता है।इसके चीन की प्रोपोगेंडा फैलाने वाली United Front के साथ कई बार लिंक सामने आ चुके हैं।
अब इन सभी app के बैन होने से चीन इन apps के जरीय देश के लोगों का डेटा चोरी नहीं कर पाएगा। चीन ने भारत के बढ़ते डिजिटल बाजार का फायदा उठाने के लिए इन apps का इस्तेमाल किया और खूब धन कमाया। अकेले टिक-टॉक भारत में 600 मिलियन से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है तो वहीं UC Browser भी 13 प्रतिशत का मार्केट शेयर ले कर बैठा था।
चीन की किसी भी कंपनी की अगर तह तक पड़ताल की जाए तो यह बात सामने आएगी की उसका कहीं ना कहीं CCPके साथ लिंक अवश्य होगा। यानि CCP के मेम्बर्स ने इन्हीं apps में खूब रुपया निवेश कर रखा है। अब इन apps के बैन होने की वजह से इन सभी का रुपया अवश्य ही डूबेगा जिससे CCP के अंदर भी गतिरोध पैदा हो जाएगा। भारत के इस कदम के बाद शी जिनपिंग के खिलाफ कई CCP मेंबर्स के खड़े होने की उम्मीद है।
यानि देखा जाए तो पीएम मोदी ने अपने एक निर्णय से चीन और शी जिनपिंग को ऐसी डिजिटल चोट दी है कि वह कई वर्षों तक इसे याद रखेंगे। भारत ने जिस प्रकार चीन पर आर्थिक स्ट्राइक करने का निर्णायक कदम उठाया है, उससे सीख लेकर अन्य देशों को भी इन चीनी apps को बैन कर देना चाहिए।