नेपाली प्रधानमंत्री के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वे पहले ही अपनी कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं, और अब Global Watch Analysis की एक रिपोर्ट सामने आई है जो ओली की रातों की नींद उड़ा सकती है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद ओली पर कई प्रश्न चिह्न खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले कुछ सालों में ओली ने विदेशों में अपनी संपत्ति को तेजी से बढ़ाया है, और लिखा है कि नेपाल में चीन ने एक “भ्रष्ट” नेता के इस्तेमाल से ही इतना प्रभाव जमाया है।
रिपोर्ट के लेखक Roland Jacquard के मुताबिक “उनका Mirabaud बैंक की Geneva ब्रांच में एक account हो सकता है। इस खाते में long-term investment के रूप में 5.5 मिलियन डॉलर की रकम जमा की गयी है”। आगे उन्होंने यह दावा भी किया है कि इस खाते की सहायता से ओली और उनकी प्रतिवर्ष आधा मिलियन डोलर्स कमाते हैं।
इस रिपोर्ट में उनपर भ्रष्ट होने के आरोप भी लगाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 68 वर्षीय ओली ने वर्ष 2015-16 में चीनी राजदूत के साथ मिलकर कंबोडिया के टेलीकॉम सेक्टर में निवेश करने की प्रक्रिया को शुरू किया था। इसके साथ ही ओली पर घूस लेने के भी आरोप लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ओली ने अपने देश में चीनी कंपनियों के पक्ष में भी माहौल तैयार किया है।
उदाहरण के तौर पर वर्ष 2018 में चीन की विवादित कंपनी हुवावे को बिना किसी bidding के एक ‘Digital Action Room’ तैयार करने का ठेका दे दिया गया था। यहाँ तक कि हुवावे के लिए ओली ने नेपाल की सरकारी टेलिकॉम कंपनी को भी किनारे कर दिया था।
रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि ओली ने उनके सलाहकार बिष्णु रिमल के बेटे के साथ मिलकर पैसे खाकर इस डील को पक्का करवाया था। जिस हुवावे को सुरक्षा कारणों की वजह से भारत, UK, USA और फ्रांस जैसे बड़े देशों में प्रतिबंधित किया गया है, उसे नेपाल में ओली की कृपा से खुली छूट मिली हुई है।
इसी तरह ओली ने देश के एक hydropower project को भी बिना bidding के एक चीनी कंपनी को सौंप दिया था। जब नेपाली राजनेता शेर बहादुर देऊबा ने उनके फैसले का विरोध किया तो ओली ने उनका मुंह चुप करा दिया।
Global Watch Analysis ने आगे यह दावा किया है कि हाल ही में नेपाल में कोरोनावायरस को लेकर जो विद्रोह देखने को मिले थे, उसमें भी चीन का एंगल था। दरअसल, ओली सरकार ने घटिया क्वालिटी की PPE किट्स और कोरोना टेस्टिंग किट्स को चीन से बेहद ऊंचे दाम पर खरीद लिया, जिसके बाद उनके खिलाफ प्रदर्शन देखने को मिले थे। नेपाली सरकार ने कहने को महामारी की रोकथाम पर 10 बिलियन नेपाली रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वो सारा पैसा चीन की जेब में गया है ।
यह रिपोर्ट ओली के लिए बेहद बुरे वक्त में सामने आई है। वे पहले ही पार्टी में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। लोगों का ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने अपने देश में भारत का मुद्दा उठाने की सोची लेकिन वो किसी काम नहीं आई। अब जब यह धमाकेदार रिपोर्ट सामने आई है तो इससे ओली की कुर्सी पर खतरा कई गुना बढ़ गया है। ओली अब प्रश्न से भाग नहीं पाएंगे और उनको सामने आकर जवाब देना ही पड़ेगा।