अमित शाह भले ही वुहान वायरस से संक्रमित हों, लेकिन राजनीति में उनका दबदबा अभी भी बरकरार है। उनका व्यक्तित्व ऐसा है कि वे भले ही गुरुग्राम के एक अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हों, परंतु अभी भी उनके विरोधी उनके नाममात्र से ही थर-थर काँपने लगते हैं। विश्वास नहीं होता तो शिवसेना का ही उदाहरण देख लीजिये, जिन्हें राजस्थान काँग्रेस से ज़्यादा राजस्थान की सरकार गिरने का डर लग रहा है।
अभी पिछले हफ्ते अमित शाह ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से सूचित किया था कि वे वुहान वायरस से संक्रमित पाये गए हैं। इसी पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखवाया, “हम उनके (अमित शाह के) शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। शाह भले ही आइसोलेशन में हैं, फिर भी राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot government in Rajasthan) पर संकट मंडरा रहा है। गहलोत के खुश होने का कोई कारण नहीं है कि अमित शाह अलग-थलग हैं क्योंकि भाजपा नेता ‘राजनीतिक सर्जरी’ करते हैं”।
शिवसेना के ऐसे बयान जारी करने के पीछे दो प्रमुख कारण है। एक तो महाराष्ट्र में उनकी खुद की सरकार पर निरंतर गिराए जाने का खतरा मंडरा रहा है, और दूसरा, मध्य प्रदेश के उदाहरण के बाद से वे भाजपा को हल्के में लेने की भूल नहीं करना चाहती। 2020 के मार्च माह में जब काँग्रेस के विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में मध्य प्रदेश की काँग्रेस सरकार के विरुद्ध विद्रोह किया, तो भाजपा ने सभी की आशाओं के विपरीत न केवल उनका स्वागत किया, अपितु विपरीत परिस्थितियों में भी काँग्रेस सरकार गिराकर मध्य प्रदेश को वर्षों के कुशासन में वापस धकेले जाने से बचाया।
उधर अशोक गहलोत का भाग्य भी कुछ अच्छा नहीं है। उन्होने सचिन पायलट को विधायकों के विद्रोह के लिए दोषी ठहराने का प्रयास कर उन्हे नीचा दिखाने का प्रयास किया, और विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी के जरिये सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों पर अयोग्यता का नोटिस भी भिजवाया। परंतु उनका दांव उन्ही पे भारी पड़ गया, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के पश्चात सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों को थमाये गए अयोग्यता के नोटिस पर रोक भी लगाई। ऐसे में अब अशोक गहलोत की सरकार के गिरने का खतरा अभी भी मंडरा रहा है।
लेकिन शायद एक और कारण भी है, जिसके कारण काँग्रेस से ज़्यादा शिवसेना को राजस्थान सरकार के गिरने की चिंता बनी हुई है। यदि राजस्थान की वर्तमान सरकार गिर गई, तो फिर ये किसी से नहीं छुपा है कि अगला निशाना कौन होगा। वैसे भी शिवसेना के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार के सितारे इस समय गर्दिश में है।
वुहान वायरस के कारण पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट हो गई, कानून व्यवस्था रसातल में है, विदेशी कंपनियाँ निवेश करने से कतरा रही हैं, और रही सही कसर तो सुशांत सिंह राजपूत के मामले पर महाराष्ट्र सरकार के लचर प्रशासन ने पूरी कर दी है। शिवसेना भली-भांति जानती है कि अमित शाह किस प्रकार से काम करते हैं, और ऐसे में वह किसी प्रकार का खतरा मोल नहीं लेना चाहती। अमित शाह का खौफ आज भी विरोधियों में कायम है, और शिवसेना द्वारा राजस्थान काँग्रेस को दी गई नसीहत इसी का परिचायक है।