चीन विस्तारवादी नीति का पालन करता है, यह तथ्य सर्वविदित है, साथ ही उसके हर कदम के पीछे एक भू-राजनीतिक कारण छिपा होता है। उदाहरण के लिए तजाकिस्तान पर चीन द्वारा ठोके गए दावे को ही ले लीजिये। एक चीनी इतिहासकार ने हाल ही में यह लिखा है कि तजाकिस्तान का पामिर क्षेत्र चीन का हिस्सा है। चीन के अधिकारी भी लगातार ऐसे प्रकाशनों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिनमें यही दावा किया गया है कि पामिर पर चीन का ही अधिकार है। इसका मतलब यह है कि चीन ने तजाकिस्तान के लगभग 45 प्रतिशत हिस्से पर ही अपना दावा ठोक दिया है। चीन द्वारा यह दावा भारत द्वारा लद्दाख में चीन को दी गयी शिकस्त के बाद किया गया है। ऐसे में कयासें लगाई जा रही है कि चीन भारत के दबाव में अक्साइ चिन छोड़ने के बाद तजाकिस्तान के हिस्सों पर अपना कब्जा ज़माना चाहता है। हालांकि, चीन के लिए यह इतना भी आसान नहीं रहने वाला, क्योंकि पुतिन ऐसा होने नहीं देंगे।
इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि चीन द्वारा तजाकिस्तान के क्षेत्र पर दावा ठोकना सीधे तौर पर लद्दाख से जुड़ा हुआ है। लद्दाख में भारत ने चीनी आक्रामकता का ऐसा जवाब दिया है कि अब चीन एक तोते की तरह Disengagement की रट लगाए हुए है। हालांकि, भारत चीन को कोई राहत देने के मूड में नहीं है। भारत अभी लद्दाख मुद्दे को जीवित रखना चाहता है, ताकि चीन को बैकफुट पर होने का अहसास लंबे समय तक कराया जा सके। अभी भारत-चीन के बीच बॉर्डर वार्ता जारी हैं और इस बातचीत में भी भारत का पलड़ा ही भारी है। ऐसे में चीन अब अक्साइ चिन पर अपने अवैध कब्जे को लेकर असहज महसूस कर रहा है।
पिछले वर्ष जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था तो संसद में चर्चा के दौरान देश के गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछा गया था कि क्या वो PoK और आक्साइ चिन को भारत का हिस्सा मानते हैं। इस सवाल के जवाब में शाह ने कहा था कि “जान दे देंगे इसके लिए, जब मैं जम्मू-कश्मीर कहता हूँ, तो इसमें Pok भी शामिल है। संविधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में Pok के साथ-साथ अक्साइ चिन भी भारत का ही अंग है”। इसके बाद भारत ने जम्मू-कश्मीर एक नया Map भी जारी किया था, जिसमें लद्दाख क्षेत्र में स्पष्ट तौर पर चीन के कब्जे वाले अक्साइ चिन को भारत का हिस्सा दिखाया गया था। इससे चीन को यह संदेश गया कि भारत अक्साइ चिन को वापस चीन से लेने की योजना पर काम कर रहा है।
पिछले कुछ महीनों में जिस प्रकार भारत को पूरे विश्व ने अपना समर्थन दिया है और जिस प्रकार पूरी दुनिया में चीन को एक विलेन के तौर पर देखा जा रहा है, उसने चीन के मन में डर पैदा कर दिया है। भारत जिस प्रकार चीन पर एक के बाद एक आर्थिक प्रहार करता जा रहा है, उसने चीन को संदेश दिया है कि वह किसी भी हद तक जाकर चीन के खिलाफ एक्शन ले सकता है, सैन्य एक्शन भी! इसीलिए अब चीन को अक्साइ चिन खोने का डर सताने लगा है। हालांकि, अगर चिन अक्साइ चिन खोदेगा, तो वह अपनी जनता को क्या मुंह दिखाएगा। इसलिए अब चीन का ध्यान गया है तजाकिस्तान की तरफ!
चीन पहले से ही इस देश को अपने कर्ज़ जाल में फँसाने की कोशिश कर रहा है। वर्ष 2017 में इस देश ने BRI को जॉइन किया और उसके बाद करीब 350 चीनी कंपनियाँ इस देश में काम कर रही हैं। इस देश का आधा से ज़्यादा कर्ज़ चीन से ही लिया गया है।
China is trying to buy Pamir by debt-trapping Dushanbe. Tajikistan joined the belt & road initiative in 2017. At least 350 Chinese companies operate there.
As of this year, Beijing owns over half of Tajikistan's external debt. It is around 35.9% of the country's GDP.
— Indo-Pacific News – Geo-Politics & Defense (@IndoPac_Info) August 5, 2020
वर्ष 2011 में चीन के कर्ज़ को चुकाने की बजाय इस देश ने अपनी 1158 square Km का क्षेत्र चीन को सौंप दिया था। अब चीन की नज़र उसके पामिर क्षेत्र पर है, क्योंकि यह क्षेत्र चीन को अफ़ग़ानिस्तान तक आसान पहुँच दे सकता है। इससे मध्य एशिया पर चीन का प्रभुत्व भी बढ़ जाएगा। परंतु ठहरिए! क्या चीन के लिए ऐसा कर पाना इतना आसान होगा, क्योंकि ऐसा करके चीन सीधे तौर पर रूस से पंगा ले रहा होगा।
मध्य एशिया आज के समय में रूस और चीन का अखाड़ा बन गया है। यहाँ शुरू से ही रूस का प्रभाव रहा है, लेकिन चीन ने इन देशों को अपने कर्ज़ जाल में ऐसा फंसाया कि अब ये देश चीन की मुट्ठी में फँसते जा रहे हैं, जो पुतिन को पसंद नहीं है। मध्य एशिया के ये 5 देश तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कज़ाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शुरू से ही मॉस्को के बेहद करीब रहे हैं और रूस के साथ इनके अच्छे संबंध रहे हैं। ऐसे में चीन का इस हिस्से में अपना प्रभुत्व बढ़ाना रूस को पसंद नहीं आता है।
अब अगर तजाकिस्तान के आधे हिस्से पर चीन अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है, तो रूस हाथ पर हाथ धरे बैठने वालों में से नहीं है। रूस पहले ही Arctic क्षेत्र में चीन की महत्वकांक्षाओं को लेकर चिंतित है और हाल ही में उसने चीन को S400 की सप्लाई भी रोक दी थी। ऐसे में अगर चीन रूस के खिलाफ मध्य एशिया में कोई मोर्चा खोलता है, तो रूस चीन के खिलाफ बड़े एक्शन ले सकता है।
कुल मिलाकर भारत और चीन के बीच जारी विवाद में अब तजाकिस्तान और रूस जैसे देश भी शामिल होते दिखाई दे रहे हैं, जो चीन के लिए कोई अच्छी बात नहीं है। चीन के दक्षिण में भारत और उत्तर में रूस मिलकर चीन की हेकड़ी निकालने के लिए किसी भी वक्त साथ आ सकते हैं। अगले महीने रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत के दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान दोनों देशों की साझेदारी को नया आयाम मिलने की उम्मीद है।