तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने शुक्रवार को एक और प्राचीन ऑर्थोडॉक्स चर्च को मस्जिद में बदलने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद अब इस्तानबुल का लोकप्रिय चोरा चर्च जो Kariye Museum के नाम से भी जाना जाता है, उसे मस्जिद में बदल दिया गया है।
यूनेस्को विश्व धरोहर मान्यता प्राप्त हागिया सोफिया चर्च को मस्जिद में बदलने के एक महीने बाद ओर्दोगन यह का निर्णय आया है। यानि अब एर्दोगन अपने खलीफा बनने के सपने को पूरा करने के लिए, लगातार चर्चों को मस्जिद में बदल रहे हैं और मुस्लिम जगत में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने में लगे हुए हैं।
बता दें कि, तुर्की के चोरा में एक मध्यकालीन चर्च था जो ईसाइयों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था। जब ओट्टोमन तुर्कों ने कांस्टेंटिनोपल पर साल 1453 में विजय प्राप्त की थी, तब इसे इसके मूल रूप से बदल कर Kariye mosque बना दिया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब तुर्की में एक सेक्युलर सरकार बनी तब इस मस्जिद को Kariye Museum बना दिया था।
अब एर्दोगन के इस फैसले ने एक बार फिर से उस्मानी या ओटोमान साम्राज्य की उस क्रूरता को पुनर्जीवित कर दिया जिसमें वो शहरों को तबाह कर उसे इस्लामिक रंग से रंग देते थे। एर्दोगन ने अपने कदम से ईसाई समुदाय की भावनाओं का खुलेआम क़त्ल किया है। इसके बावजूद पश्चिमी देश जिन्हें अपनी इसाई जनता के हक की आवाज़ बनना चाहिए, वो सुस्त पड़े हैं।
बता दें कि, ओटोमन साम्राज्य में ईसाई नरसंहार के दौरान चर्चों का विनाश किया जाना शुरू हुआ जिसमें अर्मेनियाई, सीरियन और यूनानियों को निशाने पर लिया गया था। पश्चिम एशियाई इतिहास पर शोध करने वाले प्रोफेसर्स Benny Morris और Dror Ze’evi के अनुसार, साल 1894 से 1924 तक लगभग 4 मिलियन ईसाई या तो मारे गए या तुर्की, यूरेशिया और दक्षिणी काकेशस के निकटवर्ती प्रदेशों से जबरन भगा दिए गए।
तब चर्चों को न केवल मस्जिद में तब्दील किया गया था बल्कि खजाने की लालच में उन्हें तहस-नहस भी किया गया था। इतिहासकार और लेखक Raffi Bedrosyan बताते हैं, “साल 1915 के बाद बचने वाले अधिकांश चर्चों पर, खजाने की लालच में ही हमले हुए थे। जहां भी ओटोमन साम्राज्य फैला वहाँ इसी तरह से चर्चों का विनाश किया गया।“
तो, कॉन्स्टेंटिनोपल में सिर्फ हागिया सोफिया र्चच के साथ ही दुर्व्यवहार नहीं हुआ था। तुर्की के Kastamonu University में असिस्टेंट प्रोफेसर और Churches and Monasteries किताब के लेखक Ersoy Soydan के अनुसार, “हागिया सोफिया चर्च से पहले 9 चर्च या तो पहले से ही मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं या इसी उद्देश्य से पुनर्निर्मित किए जाने की प्रक्रिया में हैं।“
तुर्की में जो भी कुछ ईसाई या गैर मुस्लिम है उसे नष्ट करने की एक लंबी ऐतिहासिक परंपरा रही है। तुर्की ने एशिया माइनर के तट पर Pontic Hellenism और ग्रीक ईसाइयों के नरसंहार को अंजाम दिया था। यही नहीं, साल 1955 में इस्तानबुल में रहने वाले ग्रीक ईसाइयों के खिलाफ नरसंहार, 1974 में साइप्रस पर आक्रमण और कब्ज़ा कर ग्रीक ईसाइयों को निष्कासित करने के अत्याचार भी तुर्की करता आया है। तुर्की द्वारा कब्जे वाले साइप्रस में ईसाई संस्कृति, खास कर चर्चों को जिस प्रकार से नष्ट किया गया था उसे नहीं भुलाया जाना चाहिए।
आज के दौर में तुर्की फिर से बर्बर ओटोमन साम्राज्य को जीवित करना चाहता है और राष्ट्रपति एर्दोगन मुस्लिम जगत के खलीफा बनने का ख्वाब देख रहे हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने हागिया सोफिया चर्च को मस्जिद में परिवर्तित करते हुए कर दिया है। हागिया सोफिया में तलवार के साथ नमाज पढ़ी गई थी जिसका अर्थ यह था कि, उस मस्जिद पर तलवार से विजय पायी गयी है। पश्चिमी देशों को तुरंत एक्शन लेते हुए तुर्की पर लगाम लगाना ही होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब वह अन्य देशों पर भी अपनी कट्टरपंथी सोच थोपना शुरू कर देगा।