इजरायल ने हाल ही में एक अहम कदम उठाते हुए अमेरिका की देखरेख में यूएई की साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह शांति समझौता मिडिल ईस्ट के इतिहास में एक नया अध्याय है, जिससे आशा की जा रही है कि, अब इस क्षेत्र में कुछ समय के लिए शांति व्याप्त हो सकती है। लेकिन इजरायल की नीतियों पर अगर ध्यान दें तो वह इतने से संतुष्ट होने वाला नहीं है। अब इजरायल चाहता है कि UAE के अलावा बहरीन, ओमान, सऊदी अरब समेत आधे से अधिक इस्लामिक जगत इजरायल का साथ दे, ताकि फिलिस्तीन और उसके समर्थकों का अस्तित्व ही निरर्थक हो जाये।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूएई के साथ शांति समझौता करने के बाद, अब इजरायल का अगला लक्ष्य है बहरीन, जॉर्डन, ओमान, जैसे अन्य खाड़ी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध स्थापित करना। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल चाहता है कि, बहरीन और ओमान इस नेक अभियान में आगे आकर इजरायल का साथ दें। आर्मी रेडियो से बातचीत करते हुए इजरायिली इंटेलिजेंस मंत्री एली कोहेन ने बताया, “हम केवल यूएई पर नहीं रुकेंगे। इस प्रकार के समझौते हम अन्य खाड़ी देशों और अफ्रीका के इस्लाम बहुल देशों के साथ भी करेंगे। हमारे एजेंडे पर निस्संदेह बहरीन और ओमान के साथ मधुर संबंध स्थापित करना है और ये अभियान आगे चलकर अफ्रीका में भी लागू होगा।”
पर इस अभियान का मूल उद्देश्य क्या है? रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार इस अभियान का मूल उद्देश्य है फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक मुद्दे को निरर्थक बना कर ईरान और तुर्की की हेकड़ी से निपटने के लिए इस्लामिक जगत को एकजुट करना। अब फिलिस्तीन के लिए वेस्ट बैंक बिलकुल वैसा ही है, जैसे पाकिस्तान के लिए कश्मीर। लेकिन इजरायल यदि बहरीन, ओमान जैसे देशों को अपने साथ लाने में सफल रहा, तो पाकिस्तान की भांति जल्द ही फिलिस्तीन को भी गुमनामी की ओर धकेल दिया जाएगा।
एली कोहेन ने ये बात यूं ही नहीं कही हैं। इजरायल मिडिल ईस्ट के अधिकतर देशों के साथ मधुर संबंध स्थापित करना चाहता है, विशेषकर ओमान के साथ। ओमान वैसे भी एक उदार देश है, जिसके यूएई की भांति पूरे विश्व के अधिकतर देशों के साथ मधुर संबंध है। इसके अलावा इजरायल पिछले दो वर्षों से ओमान के साथ एक मजबूत कूटनीतिक नेटवर्क स्थापित करने में जुटा हुआ है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने अक्टूबर 2018 में ओमान की यात्रा भी की थी। बेंजामिन नेतान्याहू ने इसी परिप्रेक्ष्य में हाल ही में एक बयान दिया, “मैं आशा करता हूँ कि अन्य देश भी हमारे इस नेक अभियान में शामिल होंगे।”
यदि इजरायल का यह अभियान शत प्रतिशत सफल रहा, तो इससे एक तीर से दो शिकार होंगे। एक तो फिलिस्तीन को हाशिये पर धकेलने में कोई समस्या नहीं आएगी और दूसरा तुर्की और ईरान जैसे देशों से निपटने में इजरायल को अधिक सहायता मिलेगी। फिलिस्तीन द्वारा वेस्ट बैंक पर दावा पिछले कई दशकों से इजरायल के गले का फांस बना हुआ था और उसे अधिक देशों का समर्थन भी प्राप्त नहीं था। इसके अलावा फिलिस्तीन वेस्ट बैंक के दम पर ठीक वैसे ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करता था, जैसे पाकिस्तान पिछले कई दशकों से कश्मीर का मुद्दा उठाकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करता रहा है।
लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और अब इजरायल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी स्थिति में वेस्ट बैंक को लिए बिना पीछे नहीं हटने वाला। लेकिन इसके लिए वह चाहता है कि फिलिस्तीन के पास किसी भी अहम इस्लामिक देश का समर्थन ही ना बचे और इसी दिशा में अब वह यूएई के अलावा बहरीन, ओमान, और अन्य खाड़ी देशों का समर्थन जुटा रहा है। जिस प्रकार से ओमान ने इजरायल का खुले दिल से स्वागत किया है, उससे ये योजना अधिक कठिन भी नहीं लगती।