चीन के 59 ऐप्स बैन करने और देश के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों से चीनी कम्पनियों को बाहर खदेड़ने के बाद भारत सरकार ने एक और फैसला लिया है जो चीन के मंसूबों पर पानी फेर देगा। भारत सरकार ने हाल ही में अपने कोयला खनन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को स्वीकृति दी थी और अब भारत सरकार के नए नियमों के अनुसार चीन को इसमें निवेश करने रोका जा सकता है । जारी की गई नई गाइडलाइन्स के अनुसार भारत सरकार ने यह प्रावधान किया है कि हर वह देश जिसकी भू-सीमा भारत के साथ जुड़ती है, उसे कोयला खनन में निवेश करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी।
भारत सरकार ने किसी भी पड़ोसी मुल्क का नाम नहीं लिया लेकिन यह साफ जाहिर है कि भारत ने यह बदलाव चीन को ध्यान में रखकर ही किया है। बता दें कि, चीन का दुनिया के कोयला उत्पादन में बड़ा दबदबा है। चीन की ‘China Shenhua Energy’ और ‘China Coal Energy’, दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनियों में शुमार हैं। ऐसे में भारत सरकार यदि बिना इस महत्वपूर्ण बदलाव के कोयला खदानों की बिक्री शुरू कर देती तो चीन को इससे काफी लाभ हो सकता था। चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है और इस कार्य के लिए उच्च क्वालिटी कोयले का एक बहुत बड़ा भाग चीन आयात करता है। भारत की खदानों में उच्च क्वालिटी का कोकिंग कोल काफी मात्र में उपलब्ध है, ऐसे में भारतीय खदानें उसके आयात के लिए एक अच्छा मौका हो सकती थीं। लेकिन चीन को यहाँ अब निराशा के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।
भारत सरकार ने जून 2020 से अपने कोयला भंडार की नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी। कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सुधारने में यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है। चीन कोरोना संक्रमण के इस दौर में पैसे लगाकर दूसरे देशों के आर्थिक संसाधनों पर प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना थी कि चीन भारत के कोयला क्षेत्र में भी अपने पांव जरूर पसारता।
भारत सरकार की कंपनी कोल इंडिया पूरे देश में 352 खदानों का संचालन करती है जिनसे 6 सौ मिलियन टन से ज्यादा कोयला उत्पादित होता है। कोल इंडिया कुल 1 लाख 40 हजार करोड़ का राजस्व तो पैदा करती है लेकिन, इसमें अभी काफी सुधार की गुंजाइश है। और यह तभी संभव हो पाएगा जब देशी-विदेशी कम्पनियां नई तकनीकों का निवेश भारत के कोयला खदानों में करेंगे। यही कारण था कि भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया।
विदेशों की उच्च तकनीक भारत को सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश बना सकती है। भारत के पास दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा कोयला भंडार है लेकिन ऑस्ट्रेलिया, चीन और अमेरिका के सामने तकनीकी स्तर पर पिछड़ जाता है। भारत दुनिया में स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन कम कोयला उत्पादन के कारण स्टील उत्पादन में लगने वाले कोयले को हमें ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से आयात करना पड़ता है। पर अब कोयला क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से न सिर्फ उत्पादन में तेज़ी आएगी बल्कि देश का बहुत सा बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भंडार भी बचाया जा सकेगा।
भारत में तेजी से बढ़ते विनिर्माण उद्योग को बड़ी मात्रा में कोयला और स्टील उत्पादन की आवश्यकता है। यही कारण है कि जब भारत सरकार ने कोयला क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने का निर्णय लिया तो देश-विदेश की प्रमुख कंपनियों ने अपनी रूचि जाहिर की।
बता दें कि, इससे पहले भी भारत सरकार ने ऐसा ही फैसला मोबाइल निर्माण क्षेत्र में भी लिया है। साथ ही, भारत सरकार ने चीन की कन्फ़्यूशियस इंस्टिट्यूट को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों से बाहर खदेड़ने का काम भी शुरू कर दिया है। भारत सरकार ने आईटी सेक्टर में चीनी apps को बैन करने के साथ ही चीन मुक्त भारत का अभियान शुरू किया था जो अब भारत के ऊर्जा क्षेत्र में भी शुरू हो गया है। साफ़ जाहिर है कि, भारत सरकार चीन पर अपनी निर्भरता तो कम कर ही रही है साथ ही उसे भारत में आर्थिक गतिविधियों से बाहर निकालकर, आर्थिक मोर्चे पर लगातार चोट भी पहुंचा रही है।