अगर आपने कभी भारतीय रेलवे के जरिये दिल्ली का दौरा किया है, तो रेलवे ट्रैक्स के दोनों तरफ़ बड़े पैमाने पर बसी झुग्गी-झोपड़ियों ने आपका ध्यान ज़रूर खींचा होगा। ये झुग्गी-झोपड़ियां ना सिर्फ बेहद गंदी और बदबूदार होती हैं, बल्कि ये पूरी तरह अवैध भी होती हैं क्योंकि, इन्होंने रेलवे की ज़मीन पर अतिक्रमण किया होता है। अगर आपको इन झुग्गियों से तकलीफ़ महसूस होती थी, तो आपके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अच्छा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन झुग्गी-झोपड़ियों को तीन महीनों के अंदर-अंदर हटाने का आदेश सुना दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि, “दुनिया की कोई भी दूसरी कोर्ट हमारे फैसले पर स्टे नहीं लगा सकती है। इस कार्य में किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप भी नहीं होना चाहिए।” यह फैसला जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनाया। जस्टिस अरुण मिश्रा जल्द ही रिटायर होने वाले हैं और यह उनका आखिरी फैसला माना जा रहा है।
बता दें कि, दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास लगभग 48,000 झुग्गी-झोपड़ियां बसी हुई हैं। रेलवे ने कहा है कि, एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था जिसके तहत इन झुग्गी बस्ती को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया था। लेकिन राजनीतिक दख़लंदाज़ी के चलते रेलवे लाइन के आसपास का यह अतिक्रमण हटाया नहीं जा सका है। रेलवे के मुताबिक इसमें काफ़ी अतिक्रमण तो रेलवे के सुरक्षा ज़ोन में है जो कि बेहद चिंताजनक है।
ये झुग्गी झोपडियां रेलवे के लिए कितना बड़ा सरदर्द बनी हुई थीं, इसका अंदाज़ा आप कुछ तथ्यों से बखूबी लगा सकते हैं। पिछले कुछ सालों में इन झुग्गी-झोपड़ियों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा देखने को मिला है। वर्ष 2018 में छपी दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में रेलवे की जिस जमीन पर वर्ष 2015 में 45 हजार के करीब झुग्गियां बसी थीं, उसी जगह वर्ष 2018 आते-आते उनकी संख्या 60 हजार के करीब पहुंच गई। ये झुग्गियां रेलवे ट्रैक्स के इतने नज़दीक होती हैं कि, शताब्दी और अन्य सुपरफास्ट रेलगाड़ियों को यहाँ से गुजरते समय अपनी स्पीड कम करनी पड़ती है। स्पीड कम करने से एक और खतरा पैदा हो जाता है और वह है अपराध और लूटपाट का। रेलवे को डर लगा रहता है कि, कम स्पीड होने के कारण यहाँ चेन खींचने, लूटपाट और अन्य अपराधों के अनुमान बढ़ जाते हैं। कुछ जुग्गियों के इलाके तो इतने खतरनाक हैं कि, वहाँ पुलिस भी जाने से घबराती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन झुग्गियों में नशे और ड्रग्स का कारोबार भी धड़ल्ले किया जाता है।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, “वर्ष 2015 में जब शकूर बस्ती में रेलवे ने अपनी जमीन से झुग्गियों को हटाने का काम शुरू किया गया था तो इसमें राजनीति आड़े आ गई। तब आधी रात को अरविंद केजरीवाल पहुंच गए थे। वहीं दिन के वक्त राहुल गांधी भी पहुंचे थे। नेताओं के पहुंचने की प्रतिस्पर्धा और बयानी हमले खूब हुए”।
इतना ही नहीं, राजनीतिक फायदे के लिए वर्ष 2009 में दिल्ली के लिए संसद से एक विशेष कानून पारित किया गया था, जिसके तहत वर्ष 2011 तक कोई भी इन झुग्गियों से किसी भी व्यक्ति को बाहर नहीं निकाल सकता था। बाद में इस कानून की अवधि को बढ़ाया जाता रहा गया। कुल मिलाकर राजनीति के कारण कभी रेलवे को उसकी ज़मीन इन अतिक्रमण करने वाले झुग्गी वालों से वापस नहीं मिल पाई। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि, वे किसी भी प्रकार की राजनीतिक दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तीन महीने के अंदर-अंदर इन सभी झुग्गी-झोपड़ियों को साफ कर दिया जाएगा और यहाँ रहने वाले लोगों के लिए अलग से रहने की व्यवस्था की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से रेलवे को सबसे ज़्यादा फायदा हुआ है। अब दिल्ली में रेलवे यात्रा ना सिर्फ सुरक्षित और ज़्यादा आरामदायक होगी, बल्कि अब रेलवे की सुपरफास्ट ट्रेनों को अपनी स्पीड कम भी नहीं करनी पड़ेगी। रेलवे और रेलयात्रियों के लिए यह बेशक बहुत बढ़िया खबर है।