आखिरकार उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले ही लिया। इस साल की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़काए गए दंगों का खाका बुनने के लिए उमर खालिद को UAPA के अंतर्गत हिरासत में लिया गया। दंगों को भड़काने के लिए जेल में बंद पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने पूछताछ में इस बात को स्वीकारा था कि उमर खालिद ने उसके साथ मिलकर दिल्ली में दंगों को अंजाम दिया था।
परंतु एक छात्र नेता से उमर खालिद एक शैतान में कैसे तब्दील हुआ? इसके लिए हमें जाना होगा 2016 के प्रारम्भ में, जब ‘भारत की बरबादी तक जंग रहेगी’ अभियान ने पूरे देश में हो हल्ला मचाया था। उमर खालिद, कन्हैया कुमार, शेहला राशिद शोरा और अनिर्बन भट्टाचार्य के नेतृत्व में जेएनयू में आतंकी अफजल गुरु के मृत्यु की तीसरे वर्षगांठ पर जमकर देशद्रोही नारे लगाए थे। मोहम्मद अफज़ल गुरु ‘कुख्यात आतंकी’ 2001 में भारतीय संसद पर हूए आतंकवादी हमले का दोषी था जिसे 9 फ़रवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी की सजा हुई थी। जेएनयू के इस प्रकरण से देश के सामने जेएनयू का वो घिनौना चेहरा सामने आया, जिसे वामपंथियों ने बड़ी सफाई से वर्षों से छुपा रखा था – ऐसे लोग, जो भारत की बर्बादी को अपने जीवन का उद्देश्य मानते हैं। ये वो लोग थे जो देश को तोड़ने का खाका बुन रहे थे। देश भर के उदारवादी और वामपंथी जेएनयू के नए क्रांतिकारियों के पूरे समर्थन में उठे थे और आज इन लोगों को अपना हीरो बना लिया है।
जहां पूरा देश इन देशद्रोहियों को सलाखों के पीछे देखना चाहता था, तो वहीं वामपंथियों और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने इन गद्दारों को हीरो बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उमर खालिद लिबरल ब्रिगेड का पोस्टर बॉय बन गया, और उसे हर मंच पर बुलाया जाने लगा। अपने आप को भाजपा विरोधी और हिन्दुत्व विरोधी मसीहा के रूप में पेश करते हुए उमर खालिद ने ईश्वर और धर्म के सिद्धांतों का विरोध करना शुरू कर दिया। उमर खालिद ने सरकार को बुरा भला कहना शुरू किया, परंतु सरकारी एजेंसियों ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। जैसे-जैसे उमर की असलियत ज़ाहिर होने लगी, देश के नागरिकों ने उसके दोगले स्वभाव के लिए उसका मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया।
फिर सामने आया पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों का काला सच। स्वतन्त्रता की भी एक सीमा होती है, और सरकार को सबक सिखाने के नाम पर हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा करना अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता कहीं से भी नहीं कहलाई जा सकती। इसीलिए उमर खालिद को लंबे समय तक पूछताछ के बाद आखिरकार यूएपीए के अंतर्गत हिरासत में लिया गया। अब उमर खालिद को हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा भड़काने के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
ताहिर हुसैन ने अपनी स्वीकारोक्ति में कहा कि कैसे उमर खालिद ने उसे सलाह दी थी कि हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए बड़ी मात्र में तेज़ाब की व्यवस्था करना शुरू करे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे से चार दिन पहले अमरावती में उमर खालिद ने मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया था। खालिद ने मुसलमानों के ‘mob lynching’ के हास्यास्पद सिद्धान्त को बढ़ावा देते हुए पूछा कि आखिर मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम जन्मभूमि मामले में हिंदुओं को भूमि देने का विरोध क्यों नहीं किया। उमर खालिद ने अपने भड़काऊ भाषण में ये भी कहा कि इस सरकार को उसकी औकात दिखाने का वक्त आ गया, और लोगों को इस सरकार को उखाड़ने के लिए सड़कों पर उतरना होगा।
लेकिन अब सरकार ने उमर खालिद की सभी सुविधाओं पर लगाम लगाने का निर्णय किया, जिसका फायदा उठाकर उमर खालिद भारत विरोधी गतिविधियों को निरंतर बढ़ावा दे रहा था। उमर खालिद उन पोस्टर बॉयज में शामिल हैं, जिन्हें भारतीय मीडिया के वामपंथी वर्ग ने बढ़ावा दिया है। इसी वर्ग ने उमर खालिद जैसे शैतान को हीरो बनाया है, और इसी के कारण उमर खालिद को दंगे भड़काने की भी छूट मिली थी।
यही नहीं उमर के पिता आतंकी संगठन SIMI का हिस्सा रहे हैं, और उमर को देखकर लगता है कि वह अपने पिता से भी ज़्यादा उग्र और खतरनाक है। लेकिन मीडिया के एक वर्ग ने उमरल खालिद का इस प्रकार महिमामंडन किया, मानो भारत के लिए इससे बढ़िया व्यक्ति कोई है ही नहीं। उमर खालिद को लगा कि मीडिया के कवरेज के कारण भारत के कानून एजेंसियां उन्हें छू भी नहीं पाएँगी। लेकिन वर्तमान सरकार ने स्पष्ट कर दिया – आतंकी चाहे जैसा भी हो, वर्तमान सरकार उसकी आरती नहीं उतारेगी।