झारखंड की जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन सरकार के साथ केन्द्र सरकार की तनातनी किसी से छिपी नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आए दिन केन्द्र पर निशाना साधते रहते हैं। हाल ही में वो धमकी के अंदाज में यहां तक बोल गए कि पूरे देश को अगर झारखंड अपना कोयला न दे तो देश अंधेरे में डूब जाएगा। इसके अलावा अपने चुनावी वादे न पूरे कर पाने का ठीकरा भी हेमंत सोरेन मोदी सरकार के मत्थे ही मढ़ रहे हैं। वो राजनीतिक रूप से हमलावर रुख अख्तियार किए हुए हैं। सोरेन अपनी असफलताओं को मोदी सरकार का नाम लेकर छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि असल में उनकी अकर्मण्यता को दर्शाता है।
दरअसल, द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में उपचुनावों को लेकर दुमका में कहा कि केन्द्र सरकार की औकात ही नहीं है कि वो हमारा जीएसटी मद हमें दे सके। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने तीन दिन पहले राज्य के रिजर्व खाते में से 1,417 करोड़ रुपए काट लिए हैं। सोरेन ने धमकी के अंदाज में कहा कि, “ऐसा न हो कि झारखंड के लोग पूरे देश को कोयला देना बंद कर दें और देश में अंधेरा हो जाए। देश को उजागर करने वाला यह राज्य मोदी सरकार समेत पूरे देश के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।”
जीएसटी के पैसों को लेकर हेमंत सरकार ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने हमारे जीएसटी कोटे के 2,900 करोड़ रुपए अभी तक नहीं दिए हैं। इसके अलावा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के भी करीब 38,000 करोड़ रुपए केन्द्र रोक कर बैठा है। कोयला खनन की अलग-अलग यूनिटों के भी हजारों करोड़ रूपए बकाया हैं। इसके साथ ही उन्होंने करीब 74,000 करोड़ रुपए केन्द्र द्वारा रोके जाने का आरोप लगाया है जिसके चलते राज्य में मुसीबतों का अंबार है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोन लेने की बात कहे जाने पर हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि एक तरफ लोन देने की बात कही जा रही है तो दूसरी ओर हमारा ही पैसा काट लिया जा रहा है जो कि शर्मनाक है।
झारखंड में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो अपराध की बढ़ोत्तरी से लेकर भ्रष्टाचार तक से जुड़े हुए है। इसके चलते विपक्ष में बैठी बीजेपी लगातार सीएम पर आक्रमण कर रही है। पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, प्रदेश में भू-माफिया का राज चलने समेत नक्सलवाद के फिर से फन उठाने का मुद्दा लगातार उठाते रहते हैं। यही नहीं बाबूलाल झारखंड के मुख्यमंत्री और सीबीआई तक को पत्र लिखकर आम जनता की परेशानियों, पुलिस के कार्यशैली और जमीनी स्तर पर पूरे न होने वाले वादों के साथ घोटालों की ओर ध्यान आकर्षित करवाते रहे हैं। उन्होंने अपने एक पत्र के जरिये तो सीबीआई को बताया था कि सीबीआई द्वारा कोलगेट घोटाले की जांच के तहत 5 साल में 16 हजार टन कोयला जब्त करने की जानकारी देते हुए बताया था कि स्टॉक से धीरे-धीरे कर के 2 हजार टन कोयला गायब हो चुका है। उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि हेमंत सरकार ने जो भी वादे किए थे वो जमीनी स्तर पर कहीं दिखते ही नहीं हैं। सरकार में आने के बाद हेमंत सोरेन अपने वादे भूल गए है और अपराध को संरक्षण देने के साथ ही प्रदेश में खनिज और खनन माफिया को फलने-फूलने के मौका दे रहे हैं जो कि बेहद चिंताजनक बात है।
इसके साथ ही बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि सरकारी अधिकारी घूस से लेकर सभी तरह के भ्रष्टाचारों में लिप्त हैं और सरकार की तरफ से उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं, क्योंकि सरकार इन लोगों के साथ ही मिलकर अपने कुकर्मों का घड़ा भर रही है। यह सच है कि झारखंड में सरकार बदलने के बाद से ही अराजकता की स्थिति आ गई है। झारखंड सरकार को लेकर ये कहा भी जाता है कि सोरेन सरकार किसी अन्य गैर भाजपाई सरकार से ज्यादा मोदी सरकार से टक्कर लेती है। देखा जाये तो जिस तरह से बाबूलाल मरांडी हेमंत सोरेन को आड़े हाथों लिया उससे सोरेन सकपका गये हैं और अब अपनी जिम्मेदारियों से पलड़ा झाड़ते हुए केंद्र पर सारा ठीकरा फोड़ दिया है।
हेमंत सोरेन ने चुनाव के पहले वादे तो खूब किए लेकिन आज स्थिति यह है कि उनके पास जनता से किए वादे पूरे करने के लिए , केवल एक ही जवाब है कि केन्द्र सरकार हमें पैसा नहीं दे रही है… वो पैसे रोककर बैठी है। उनका केवल ये ही आरोप है कि मोदी सरकार झारखंड को पैसा देने के बजाए उससे पैसा ले रही हैं जिसके चलते झारखंड में विकास कार्य नहीं हो रहा हैं। झारखंड की सत्ता जब हेमंत सोरेन ने संभाली थी तो सभी बीजेपी की हार का जश्न मना रहे थे लेकिन आज केन्द्र और राज्य के बीच की ये तनातनी लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है जिससे जनहित के मुद्दों पर किसी का कोई ध्यान ही नहीं जा रहा है।
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन पिछड़ों और आदिवासियों के नेता होने का दावा करते हैं लेकिन जब वो खुद ही देश में कोयला आपूर्ति बाधित करने की बात करते हैं तो ये बेहद ही शर्मनाक लगता है। वो केन्द्र की मोदी सरकार से लड़ाई में जनहित के मुद्दों को पूरी तरह भूल चुके है और अब राजकोष के खाली होने का कारण देकर सारे विकास कार्यों की रुकावट और अपनी असफलताओं का ठीकरा मोदी सरकार पर फोड़ रहे हैं जबकि उन्हें पहले खुद को आईने में देखना चाहिए।