कमलनाथ को मध्य प्रदेश का शासन छोड़े सात महीने हो चुके हैं, परंतु विवादों से उनका नाता अभी तक नहीं छूटा है। अभी हाल ही में भाजपा नेता इमरती देवी के लिए भद्दे शब्द बोलने के कारण कमलनाथ को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था, और अब चुनाव आयोग ने भी इस बात के लिए उन्हे आड़े हाथों लिया है।
हाल ही में चुनाव आयोग ने कमलनाथ पर बार-बार आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए उन्हें पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची से हटवाने का निर्देश दिया है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, “आयोग ने कमलनाथ का नाम स्टार प्रचारकों से हटा दिया है। आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई की है। हालांकि, कमलनाथ मध्य प्रदेश उपचुनाव में प्रचार कर सकेंगे, लेकिन खर्चा पार्टी नहीं प्रत्याशी देगा।”
परंतु चुनाव आयोग को ऐसा निर्णय क्यों लेना पड़ा? दरअसल, कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के दौरान बीजेपी नेता इमरती देवी के लिए काफी भद्दे शब्द इस्तेमाल किए थे, और उन्हें ‘आइटम’ तक कहा था। इतना ही नहीं, इस ओछे बयान के लिए प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा आड़े हाथों लिए जाने के बाद, एक अन्य सभा में कमलनाथ ने उन्हें नौटंकी कलाकार भी कहा था।
इसके पीछे चुनाव आयोग को कई शिकायतें की गई, जिसका संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के सीईओ की रिपोर्ट के आधार पर कमलनाथ को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी माना।
आयोग ने इससे पहले आइटम वाले बयान पर कमलनाथ से जवाब मांगा था। कमलनाथ ने कहा था कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया। चुनाव आयोग ने कमलनाथ को नसीहत भी देते हुए कहा कि चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने पर सार्वजनिक रूप से ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
लेकिन कमलनाथ ने इसके जवाब में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। चुनाव आयोग के पूछे जाने पर कमलनाथ ने उत्तर दिया, “कमलनाथ ने कहा कि अगर चुनाव आयोग मेरे पूरे भाषण को फिर से देखता है तो उसे समझ आ जाएगा कि उसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक निर्णयों में कई बार कहा है कि चुनावी सरगर्मी में कई बयान सामने आ चुके हैं।”
इसके अलावा कमलनाथ और पार्टी के वर्तमान रुख को देखते हुए ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वे इस प्रकरण से कोई सीख लेने को तैयार है। चुनाव आयोग के निर्णय पर कमलनाथ ने खुलेआम चुनौती देते हुए कहा कि वे किसी भी स्थिति में पार्टी का प्रचार करेंगे, और वे भी देखते हैं कि कौन उन्हें रोकने आता है।
फलस्वरूप चुनाव आयोग की बार-बार दी गई चेतावनी के बावजूद न चेतने पर कमलनाथ के खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए आदर्श आचार संहिता के अनुच्छेद एक और दो के तहत कार्रवाई की गई है। लेकिन ये पहली बार नहीं है जब काँग्रेस ने शिष्टाचार की धज्जियां उड़ाई हो। काँग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा महिलाओं के संबंध में भद्दे बयान हो, या फिर पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर काँग्रेस पार्टी द्वारा कसी गई फब्तियाँ हो, काँग्रेस पार्टी का नारी सशक्तिकरण से उतना ही नाता है जितना तुर्की का लोकतंत्र से और पाकिस्तान का धार्मिक सद्भाव से है।