हाल ही में स्वीकृत किए गए जम्मू-कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट के अंतर्गत अब जम्मू-कश्मीर की भूमि पर केवल वहां के नागरिकों का विशेषाधिकार नहीं होगा, बल्कि देश का कोई भी निवासी यहां पर आकर बस भी सकता है, और अपने विभिन्न उपयोगों हेतु भूमि अधिग्रहण भी कर सकता है। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसके अंतर्गत अब जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में भूमि सुधार हेतु नए नियम लागू होंगे।
लेकिन चाहे जम्मू-कश्मीर हो, या भारत का कोई भी अन्य हिस्सा, देशहित में लिया गया कोई भी निर्णय भला हमारे विपक्ष को भाया है? यहाँ भी वही हुआ, और विपक्षियों ने हो हल्ला-मचान शुरू कर दिया। किसी ने इसे जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण बताया, तो किसी का टेप ‘दिनदहाड़े लूटपाट’ पर ही अटका रहा, परंतु एक बात तो स्पष्ट थी – इस निर्णय से भारत का, विशेषकर अहित चाहने वालों को जबरदस्त तकलीफ हो रही है।
अगर जम्मू-कश्मीर में कोई विपरीत दिशा में भी छींक दे, तो अब्दुल्ला परिवार को लगता है कि कश्मीर बिक गया। एक बार फिर इसी सोच को जगजाहिर करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ट्वीट करते हैं, “जम्मू कश्मीर के भूमि कानून के साथ जो संशोधन किए गए हैं, वो अस्वीकार्य है। अब तो क्षेत्रीय अधिकार का भी सहारा नहीं रहा, और कोई भी कृषि भूमि पर कब्जा जमा सकता है। जम्मू कश्मीर अब बिकाऊ हो चुकी है और गरीब एवं छोटी जमीन का मालिकाना हक रखने वाले इस नीति का सबसे अधिक शिकार बनेंगे”।
Unacceptable amendments to the land ownership laws of J&K. Even the tokenism of domicile has been done away with when purchasing non-agricultural land & transfer of agricultural land has been made easier. J&K is now up for sale & the poorer small land holding owners will suffer.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 27, 2020
अब ऐसे में कॉमरेड सीताराम येचुरी कैसे पीछे रहते? वे भी इस निर्णय पर उबल पड़े, लेकिन उनके ट्वीट की भाषा में पिछले 5 हजार वर्षों में कोई बदलाव नहीं आया और अब भी कॉमरेड की सूई ‘दिनदहाड़े लूटपाट’ पर ही अटकी हुई है। येचुरी ट्वीट करते हैं, “ये दिनदहाड़े लूटपाट की गई है। ये जम्मू-कश्मीर के संसाधन और उसकी सुंदर भूमि की लूटपाट हुई है। लोगों के अधिकार छीनकर भी इस सरकार को तृप्ति नहीं हुई है, अब क्या ये अपने चाटुकारों के लिए लोगों से उनकी जमीन जबरदस्ती छीनेंगे? ऐसा नहीं चलेगा”।
This is highway robbery.
The loot of J&K's resources & beautiful landscape.
Having destroyed all people’s democratic structures, will the next step be forcible land acquisition to hand over to cronies & fatten the purses of the ruling party at centre?
This cannot be allowed. https://t.co/ObykyNy4Un— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 27, 2020
इसके अलावा महबूबा मुफ्ती के भी इस निर्णय के बाद बौखला गईं। उनके ट्वीट के अनुसार, “यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित रखने के लिए लिया गया एक और कदम है। अनुच्छेद 370 को बलपूर्वक हटाने से लेकर हमारे संसाधनों की लूट सुनिश्चित कराकर अब उन्होंने हमारे कश्मीर की जमीन को बेचने के लिए बोली लगाई है। रोटी और रोजगार दिलाने में असमर्थ भाजपा भोली-भाली जनता को बेवकूफ बनाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। ऐसे दमनकारी नीतियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के तीनों क्षेत्रों को मिलकर लड़ने की आवश्यकता आन पड़ी है”।
After failing on all fronts to provide roti & rozgar to people, BJP is creating such laws to whet the appetite of a gullible electorate. Such brazen measures reinforces the need of people of all three provinces of J&K to fight unitedly .
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 27, 2020
अरे कोई महबूबा जी को बताओ कि यह 2018 नहीं 2020 है, और अब लद्दाख जम्मू-कश्मीर का हिस्सा न होकर एक स्वतंत्र केंद्र शासित प्रदेश है, जिसपर अब जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों की हेकड़ी नहीं चलने वाली। लेकिन सबसे हास्यास्पद ट्वीट किया दिल्ली विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर देविका मित्तल ने, जिनका ट्वीट यह सिद्ध करता है कि महातिर मोहम्मद के भारत में भी कुछ प्रशंसक मौजूद हैं। मोहतरमा ट्वीट करती है, “वर्तमान भूमि कानून, जो भारत के किसी भी नागरिक को जम्मू कश्मीर के विवादित क्षेत्र में भूमि खरीदने की स्वतंत्रता देती है, एक तरह से जम्मू कश्मीर पर आक्रमण है। यह एक फासीवादी शासन का निर्णय है, जिसे बातचीत, लोकतंत्र और मानवाधिकार में कोई दिलचस्पी नहीं है” ।
The "Land Laws" that will allow any citizen of India to buy a piece of land in the disputed region of J&K is an act of invasion. It is an act by a fascist regime that does not believe in dialogue, democracy and human rights. #Landlaws #JammuAndKashmir #Kashmir #Article370
— Devika Mittal देविका मित्तल دیوِیکا مِتّل (@devikasmittal) October 27, 2020
इस ट्वीट को पढ़कर एक बार को आपको लगेगा कि कहीं ये महातिर का कोई सीक्रेट अकाउंट तो नहीं, क्योंकि पिछले वर्ष UN की आम सभा में भी उन्होंने ठीक ऐसे ही शब्दों का प्रयोग किया था। जम्मू कश्मीर कोई विवादित क्षेत्र नहीं, बल्कि भारत का अभिन्न अंग है, और अनुच्छेद 370 को जनता द्वारा सर्वसम्मति से चुने हुए सांसदों द्वारा सर्वसम्मति से निरस्त किया गया था। पर वो कहते हैं न, आप सोते हुए को जगा सकते हो, सोने का नाटक करने वालों को नहीं।