कोरोना के बाद से दुनिया भर के देशों ने चीन के खिलाफ एक्शन लिया जिसमें उसके साथ आर्थिक सम्बन्धों को कम करने से लेकर हुवावे जैसी बड़ी दिग्गज कंपनी का बहिष्कार शामिल था। परंतु मौजूदा स्थिति को देखा जाए तो वो ट्रेलर था, चीन के बुरे दिन तो अब शुरू होने जा रहे हैं। अमेरिका ने जमीनी स्तर पर चीन के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है, चाहे वो भारत के साथ BECA जैसी महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करना हो या चीन के खिलाफ इंडो पैसिफिक में अपने कोस्ट गार्ड को भेजना हो या फिर सेनकाकू पर जापान के साथ सेना को भेजने की तैयारी करना हो। अब अमेरिका पूरी तरह से एक्शन में दिखाई दे रहा है और चीन को अब यह समझ लेना चाहिए कि ये अमेरिका की धमकी नहीं बल्कि ‘धमाका’ है।
दरअसल, कल भारत और अमेरिका ने ऐतिहासिक Basic Exchange and Cooperation Agreement यानि BECA डिफेंस पैक्ट पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद दोनों देश एक दूसरे से उच्च स्तरीय सैन्य प्रौद्योगिकी, भू-स्थानिक मानचित्र और वर्गीकृत उपग्रह डेटा साझा कर पाएंगे। इस समझौते के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि, “आज हम वॉर मेमोरियल गए थे। हमने उन वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने भारत के लिए अपनी जान दी। इनमें वो 20 जवान भी शामिल हैं, जिन्हें गलवान में चीन ने मारा था। भारत अपनी अखंडता के लिए खतरों से लड़ रहा है और हम भारत के साथ खड़े हैं।“
यह बयान उस समय आया है जब चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने आर्थिक और सैन्य दबदबे का विस्तार करने का प्रयास कर रहा है, और पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ तनाव को बढ़ाने में लगा हुआ है। वार्ता के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने भारत को यह भी आश्वासन दिया कि जब भी भारत को उसकी अखंडता और सुरक्षा को चुनौती मिलेगी, अमेरिका उसके साथ खड़ा है।
US Secretary of State Mike Pompeo mentions #LadakhClash, says "US will stand with the people of India as they confront threats to their sovereignty and to their liberty."#ITVideo #India #US #IndoUSTies #IndoUSTalks pic.twitter.com/sISI4ZQRLU
— IndiaToday (@IndiaToday) October 27, 2020
यही नहीं, अमेरिका अब सेनकाकू द्वीप को लेकर भी चीन के खिलाफ एक्शन लेने जा रहा है। लेफ्टिनेंट जनरल Kevin Schneider ने कहा कि, “अमेरिकी सेना और जापान की एसडीएफ सेनकाकू की रक्षा के लिए युद्धक सैनिकों को पहुंचाने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।” इस रिपोर्ट की माने तो अमेरिका अपनी सेना को सेनकाकु द्वीप पर भी भेज सकता है। जापान के रक्षा मंत्रालय के अधिकारी उनकी टिप्पणी को चीन के लिए एक चेतावनी के रूप में देख रहे हैं, जो सेनकाकू द्वीप समूह के पास पानी में अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ा रहा है।
यही नहीं जमीनी स्तर पर चीन के खिलाफ एक्शन लेते हुए अमेरिका ने चीन के इस हथियारबंद मछुआरों की आक्रामक हरकतों को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने 23 अक्टूबर को घोषणा की कि अमेरिकी तटरक्षक बल यानि USCG चीनी मछली पकड़ने के बेड़े के आक्रामक गतिविधियों पर रोक लगाने और नेविगेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए पश्चिमी प्रशांत में अपने नए “फास्ट रिस्पॉन्स कटर” पोत को तैनात करेगा। यह देखा गया है कि कैसे चीन अपने मछ्ली पकड़ने वाले बेड़े के साथ कई समुद्री क्षेत्रों पर अपना कब्जा जमा चुका है। अब अमेरिका ने चीन के इन हथियारबंद मछुआरों के खिलाफ नई पीढ़ी के तटरक्षक पोत समुद्री सुरक्षा मिशनों को संचालन के लिए तैनात कर रहा है जिससे सहयोगी देश जिनके पास चीन को रोकने की सीमित क्षमता है वो भी अमेरिका की सहायता ले सकेंगे।
ट्रम्प प्रशासन ने चीन के खिलाफ एक और महत्वपूर्ण कदम में ताइवान को 2.37 बिलियन डॉलर में हार्पून मिसाइल सिस्टम को बेचने की योजना को मंजूरी दे दी है। अमेरिका कई वर्षों से ताइवान को चीन के खिलाफ मजबूत बना रहा है लेकिन इस मिसाइल के बाद से ताइवान की ताकत और बढ़ जाएगी। अमेरिका यह समझता है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए ताइवान रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।
चीन ने अपनी मीडिया के जरिए अमेरिका के खिलाफ कई देशों को भड़का कर अपने पक्ष में करने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। अमेरिका ने अब जिस तरह से एक के बाद एक कई कदम जमीनी स्तर पर उठाना शुरू किया है उससे अब यह स्पष्ट हो गया है कि वह चीन के साथ युद्ध की तैयारी कर चुका है। अमेरिका चीन की तरह खोखली धमकी नहीं दे रहा है, बल्कि एक्शन भी ले रहा है जिसका उत्तर चीन के पास नहीं है।