अमेरिका जल्द ही ईरान पर हमला कर सकता है, जिसके जवाब में ईरान इज़रायल पर धावा बोल सकता है। यही कारण है कि अब इज़रायल की सेना हाई अलर्ट मोड पर चली गयी है। इजरायली मीडिया में यह रिपोर्ट किया जा रहा है कि राष्ट्रपति पद त्यागने से पहले डोनाल्ड ट्रम्प ईरान पर strike करने का फैसला ले सकते हैं। इसकी वजह से अब इज़रायली सेना को ईरान की किसी भी जवाबी कार्रवाई का मुक़ाबला करने के लिए तैयार होने को कहा गया है। बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी तक अपने पद पर बने रहेंगे, और ऐसे में वे ईरान के खिलाफ युद्ध छेड़कर देश में आपातकाल की घोषणा भी कर सकते हैं।
अगर अमेरिका ईरान पर हमला करने से संबन्धित कोई भी बड़ा फैसला लेता है, तो इसका सीधा असर इज़रायल पर पड़ेगा। ईरान अमेरिका के खिलाफ तो कोई सीधी कार्रवाई नहीं कर सकता, लेकिन वह हमले के बाद अपने proxies के जरिये या खुद अमेरिकी सैन्य ठिकानों और इज़रायल पर आक्रमण कर सकता है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि इज़रायल पहले ही ऐसे किसी ईरानी हमले का जवाब देने के लिए अपनी तैयारी पुख्ता कर ले।
पश्चिमी एशिया में शांति स्थापित करना ट्रम्प प्रशासन की प्राथमिकताओं में से एक रहा है, और ट्रम्प ईरान को एक आतंकी देश की संज्ञा दे चुके हैं। साथ ही साथ, अमेरिका और उसके अरब साथी ईरान पर क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने के आरोप लगाते रहते हैं। ऐसे में एक तरफ अमेरिका UAE को फाइटर जेट्स प्रदान कर ईरान के दुश्मनों को मजबूत कर रहा है, तो वहीं अब ट्रम्प प्रशासन अपने आखिरी दिनों में ईरान पर बड़ी स्ट्राइक कर ईरान के खतरे को समाप्त करने का फैसला भी ले सकता है। ऐसे समय में अगर अमेरिका ईरान पर कोई बड़ा हमला करता है, तो बाइडन प्रशासन भी ट्रम्प की ईरान नीति में कोई बड़ा बदलाव कर पाने में असफ़ल साबित होंगे!
पिछले कुछ समय में पश्चिमी एशिया में जिस प्रकार घटनाएँ घटी हैं, उसे देखकर भी यह अनुमान लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में कोई तो बड़ी घटना घटने वाली है, फिर चाहे वह सऊदी अरब द्वारा इजरायल को मान्यता प्रदान करना हो, या फिर अमेरिका द्वारा ईरान पर हमला करना हो। उदाहरण के लिए हाल ही में इजरायली न्यूज़ एजेंसी Haaretz में यह रिपोर्ट किया गया था कि सऊदी अरब में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू, Mossad के अध्यक्ष, अमेरिकी विदेश मंत्री Mike Pompeo और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच एक गुप्त बैठक हुई थी। ऐसा भी हो सकता है कि इस बैठक में अमेरिका द्वारा ईरान पर किसी हमले की रणनीति पर बात की गयी हो। इस बात का शक इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस बैठक को किसी भी सरकार ने अब तक पुष्ट नहीं किया है। इसके उलट सऊदी अरब ने तो ऐसी किसी मुलाक़ात होने से ही इंकार किया है।
अगर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प अपने आखिरी दिनों में ईरान पर धावा बोलने का फैसला लेते हैं तो इसके बाद ट्रम्प अपने देश में आपातकाल का ऐलान भी कर सकते हैं। अब यहाँ बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या आपातकाल के समय ट्रम्प राष्ट्रपति पद को बाइडन को सौंपने में देरी का ऐलान कर सकते हैं? क्या राष्ट्रपति के पास ऐसी कोई शक्ति है जिसके तहत वे युद्ध का बहाना बनाकर या आपातकाल घोषित कर White House में बाइडन के प्रवेश को कुछ समय के लिए टाल सकते हैं? इसका उत्तर है नहीं! अमेरिका के संविधान के मुताबिक चुनावों में हार के बाद राष्ट्रपति को पहली 20 जनवरी को अपना पद नए राष्ट्रपति को सौंपना ही होगा, और उसपर किसी प्रकार के युद्ध या आपातकाल का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अमेरिका के इतिहास में कभी भी चुनावों को टाला नहीं गया है और ना ही किसी भी राष्ट्रपति ने तय समय-सीमा से 1 दिन ज़्यादा भी office में बिताया है। स्पष्ट है कि 20 जनवरी के बाद White House में बाइडन की एंट्री होने के पूरे-पूरे अनुमान हैं, लेकिन जाते-जाते ट्रम्प ईरान के खतरे को neutralize कर सकते हैं।