चीनी कम्युनिस्ट पार्टी किस प्रकार से मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाती आई है, इसके बारे में किसी विशेष शोध की कोई जरूरत नहीं। इन दिनों CCP पर ये आरोप लगे हैं कि वह अपने देश में स्थित अमेरिकी राजनयिकों को माइक्रोवेव के जरिये निशाना बनाया जा रहा है, जिससे उनके दिमाग को सर्वाधिक नुकसान हो रहा है।
The National Academies of Sciences, Engineering, and Medicine द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से चीन में घट रहे इन घटनाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं , जो कि स्वाभाविक नहीं है। हालांकि, इस रिपोर्ट में चीन का नाम नहीं लिया गया है, परंतु जो भी बात कही गई है, वो इतना बताने के लिए काफी है कि सब कुछ ठीक नहीं है। रिपोर्ट के अंश के अनुसार “जब ऐसी तकनीक का दुरुपयोग संभव है, तो इसके बारे में सोचकर ही भय लगता है। अभी अमेरिका वैसे ही प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है, और अब यह चीनियों द्वारा माइक्रोवेव हमला”।
पर ये माइक्रोवेव हमला है क्या? दरअसल, चीनी शहर ग्वान्गज़्हू में रहस्यमयी तरह से बीमार पड़ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह घटनायें तभी से शुरू हुई जब 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुए। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि चीन अपनी हेकड़ी सिद्ध करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए प्रयासरत है।
विश्लेषकों के अनुसार इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अमेरिकी राजनयिक मार्क लेनज़ी के उदाहरण से मिलता है, जिन्हें 2017 में एक अजीब बीमारी हुई थी, और उन्हें सिर दर्द, पढ़ने में दिक्कत, चिड़चिड़ापन इत्यादि जैसी समस्यायें हो रही थीं। MRI findings के अनुसार मार्क के मस्तिष्क के 20 हिस्सों में बहुत ही कम वॉल्यूम था, विशेषकर जहां मेमोरी, इमोशनल रेगुलेशन जैसी चीजें स्थित है। ऐसा लग रहा था मानो दिमाग के एक हिस्से को काफी गहरी चोटें लगी थीं।
यूं तो ये सभी हमले 2016 और 2017 में हुए थे, परंतु इन हमलों में पिछले की वर्षों में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई है। ये हमले इतने सफाई से किए गए थे कि जब जांच पड़ताल के लिए इन अमेरिकी दूतावास पर छापा पड़ा, तो एक भी सबूत सामने नहीं आया, और न ही कोई ऐसा acoustic device मिला जिससे इन बिल्डिंगो से निकलने वाले अजीबोगरीब आवाज़ों का पता लगाया जा सके। मतलब स्पष्ट था – वह आवाज संभवत माइक्रोवेव हमले को छुपाने के लिए छोड़ी जाती थी।
लेकिन यह हमले अपने आप में पूरे मानव जगत को शर्मसार करती है। किसी देश के राजनयिकों पर इस प्रकार से हमले करना स्पष्ट करता है कि किस प्रकार से उक्त देश मानवाधिकारों के लिए कोई जगह नहीं होती। लेकिन हम ये भूलते हैं कि ये चीन है, जहां ऐसे हमले आम बात मानी जाती है, और जो हमले अभी हुए हैं, उसके बाद तो अमेरिका को चीन से अपने सभी नाते रिश्ते तोड़ लेने चाहिए।
चीन अपने अकर्मण्यता और LAC पर अपने सैनिकों की नाकामयाबी को छुपाने के लिए इस तरह की नीच हरकतों पर उतर आया है। जिस प्रकार से वह अमेरिकी राजनयिकों पर हमले करा रहा है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि वह अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए क्या क्या कर सकता है, भले ही इसके चक्कर में देश का सर्वनाश क्यों न हो जाए।